
बिहार के सारण जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है. शराब तस्करी के आरोप में जेल बंद एक कैदी को भी कागजों पर मनरेगा मजदूर बताकर उसकी हाजिरी बनाई जा रही थी और पैसों का भुगतान भी लिया जा रहा था.
मामला बंगरा पंचायत के हंसापीर गांव का है जहां उप मुखिया शिव कुमार राय ने ये मामला सामने लाया है. उपमुखिया शिव कुमार ने दावा किया कि जेल में शराब तस्करी के आरोप में बंद कैदी के द्वारा भी मनरेगा मजदूर के रूप में हाजिरी बनाई जा रही है और पैसे लिए जा रहे हैं.
उन्होंने स्थानीय पंचायत की मुखिया और प्रखण्ड प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए तमाम योजनाओं में गड़बड़ी का आरोप लगाया है. शिव कुमार राय ने कहा कि 15 मार्च 2022 को गोपालगंज के हथुआ थाने ने शराब तस्करी के आरोप में हंसापीर के रहने वाले रामप्रवेश महतो को पकड़ा था और वो जेल में बंद है.
इसके बावजूद मनरेगा मजदूर के रूप में अपनी हाजिरी बनाई है. शराब तस्करी के आरोप में रामप्रवेश महतो गोपालगंज की चनावे जेल में 15 मार्च 2022 से 24 मई 2022 तक बन्द था.
इस दौरान मनरेगा मजदूर के रूप में 2 मार्च से 15 मार्च 2022 यानी उसके गिरफ्तारी वाले दिन को भी उसने अपनी हाजिरी बनाई है और फिर जेल में रहने के दौरान भी 17 मार्च से 31 मार्च 2022 तक हाजिरी लगाई है. उसे इन दिनों का भुगतान भी किया गया है.
उपमुखिया शिव कुमार ने इसके पक्ष में ऑनलाइन पेपर भी साक्ष्य के रूप में जुटाया है, साथ ही रामप्रवेश महतो की हथुआ थाने द्वारा जो गिरफ्तारी की गई थी उसके दस्तावेज में भी समय को दिखाया है.
हथुआ थाने की पुलिस के दस्तावेज के अनुसार रामप्रवेश महतो शराब तस्करी के आरोप में 15 मार्च 2022 की सुबह 6 :15 बजे गिरफ्तार किया गया था और उसे कोर्ट द्वारा उसी दिन जेल भी भेज दिया गया था. उसकी जमानत 25 मई 2022 को हुई थी.
उपमुखिया शिव कुमार ने इस पर अपनी आपत्ति मशरक प्रखण्ड के BDO, PRS सहित तमाम सक्षम पदाधिकारियों के सामने दर्ज कराई है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी शिकायत पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई. बता दें कि मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण मजदूरों को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है.