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LJP का 'बंगला' फ्रीज, पारस बोले- किया था किसी को आवंटित न करने का निवेदन

चिराग और पशुपति पारस के धड़े की दलीलें सुनने के बाद ही निर्वाचन आयोग तय करेगा कि बंगला चुनाव चिह्न किस धड़े को दिया जाए या फिर किसी को नहीं दिया जाए.

चिराग पासवान और पशुपति पारस (फाइल फोटो) चिराग पासवान और पशुपति पारस (फाइल फोटो)
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 12:50 AM IST
  • उपचुनाव पर बंगला चुनाव  चिह्न से मैदान में नहीं उतर पाएंगे उम्मीदवार
  • चिराग और पारस धड़े की दलीलें सुनने के बाद आयोग लेगा फैसला

लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के एक धड़े के दावेदार चिराग पासवान के बंगले पर अब काली नजर की दोहरी मार पड़ गई है. एक तरफ सरकार की ओर से चिराग पर उनके पिता का 12 जनपथ वाला दशकों पुराना सरकारी आवास खाली करने का सख्त दबाव डाला जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ निर्वाचन आयोग की चाबुक भी चल गई है. सबसे पैना वार फिलहाल उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न की जब्ती है यानी फिलहाल तो चिराग के उम्मीदवार बंगला चुनाव चिह्न पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. निर्वाचन आयोग ने एलजेपी का चुनाव चिह्न बंगला फ्रिज कर दिया है.

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एलजेपी में चल रहे पारिवारिक घमासान को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने पार्टी का चुनाव चिह्न बंगला जब्त कर लिया है. गांधी जयंती के दिन आयोग ने ये फैसला लिया. अब दोनों धड़ों, चिराग और पशुपति पारस के धड़े की दलीलें सुनने के बाद ही निर्वाचन आयोग तय करेगा कि बंगला चुनाव चिह्न किस धड़े को दिया जाए या फिर किसी को नहीं दिया जाए.

निर्वाचन आयोग की ओर से चुनाव चिह्न फ्रिज किए जाने को लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा है कि निर्वाचन आयोग से एक निवेदन किया था. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक केंद्रीय मंत्री और चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस ने कहा है कि मामला कोर्ट में विचाराधीन होने का हवाला देते हुए बंगला चुनाव चिह्न किसी को भी आवंटित नहीं करने का निवेदन किया था.

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निर्वाचन आयोग का ये फैसला ऐसे समय में आया है जब बिहार में लोकसभा की दो रिक्त सीटों पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने हैं. पासवान परिवार में चुनाव चिह्न और अपने-अपने धड़े को असली एलजेपी बताने की होड़ लगी है. गौरतलब है कि बंगले पर संकट नया नहीं है. करीब बारह साल पहले 2009 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले रामविलास पासवान के 12 जनपथ वाले घर में आग लग गई थी. शगुन तभी से बिगड़ा और पासवान चुनाव हार गए थे. 2010 में भी आग का कहर इस बंगले पर बरपा था.

अब बारह साल बाद फिर बंगले पर संकट आया है लेकिन इस बार बंगले में आग तो नहीं लगी, आपसी लड़ाई की आंच जरूर तेज है. आयोग ने अब चुनाव चिह्न ही फ्रिज कर दिया है. यानी इस अग्निपरीक्षा में तो दोनो धड़े अपने नए और अस्थायी चिह्न के साथ ही उतरेंगे. नई पहचान नया निशान.

 

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