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SC-ST कानून पर खत लिखकर चिराग पासवान ने बढ़ाई मोदी सरकार की मुश्किलें

चिराग पासवान ने पीएम मोदी को खत लिखकर कहा कि नौ अगस्त को फिर से हिंसा न हो, इसके लिए एके गोयल को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन पद से सरकार तुरंत बर्खास्त करे.2 - संसद के इसी मानसून सत्र में SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संशोधित बिल लाया जाए,

चिराग पासवान चिराग पासवान
राम कृष्ण/हिमांशु मिश्रा
  • पटना/नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:01 PM IST

लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने अनुसूचित जाति और जनजाति के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखा है, जिससे केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं. चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर कहा कि 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के जज एके गोयल ने SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम पर फैसला सुनाया गया था.

इससे अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय में असंतोष और आक्रोश हैं. चिराग पासवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग ने दो फरवरी को आंदोलन के दौरान उग्र प्रदर्शन किया था, जिसके चलते जानमाल का काफी नुकसान हुआ था और हमारी एनडीए सरकार के खिलाफ अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों में बिना वजह अविश्वास का माहौल बना.

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एक बार फिर से अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग ने नौ अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है. इस बार प्रदर्शन और ज़्यादा उग्र होने की संभावना जताई जा रही हैं, जिसको देखते हुए हमें उचित कदम उठाने की आवश्यकता है.

चिराग पासवान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जिस जज एके गोयल ने SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम पर फैसला सुनाया था, उन्हें रिटायरमेंट के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का चैयरमेन बनाया गया है. सरकार के इस फैसले से अनुसूचित जाति और जनजातीय में संदेश गया कि सरकार ने SC/ST के खिलाफ फैसला सुनाने के लिए जस्टिस एके गोयल को पुरस्कृत किया है.

चिराग पासवान ने पीएम मोदी के सामने रखी ये मांगें

चिराग पासवान ने पीएम मोदी को लिखे खत में कहा कि नौ अगस्त को फिर से हिंसा न हो, इसके लिए आप ये कदम उठाएं....

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1 - एके गोयल को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन पद से सरकार तुरंत बर्खास्त करे.

2 - संसद के इसी मानसून सत्र में SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संशोधित बिल लाया जाए, जिसमें अनुसूचित जाति और जनजातिय की सुरक्षा को फिर से बहाल किया जा सके. अगर इसमें किसी भी तरह की अड़चन आती है, तो संसद के सत्र को 10 अगस्त की जगह आठ अगस्त को समाप्त कर इस पर अध्यादेश लाया जाए.

इससे अनुसूचित और जनजाति वर्ग के बीच सरकार के प्रति विश्वास का माहौल पैदा होगा. साथ ही 20 मार्च से पहले की स्थिति बहाल हो सकेगी और नौ अगस्त को भारत बंद से होने वाले नुकसान को रोका जा सकेगा.

मोदी सरकार बीच मझधार में फंसी

लोकसभा चुनाव से पहले चिराग पासवान के खत से मोदी सरकार बीच मझधार में फंस गई है. इस मसले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की चिंता बढ़ गई है. इसकी वजह यह है कि इस मुद्दे पर मोदी सरकार द्वारा किसी भी तरह का कदम ठीक नहीं है, क्योंकि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.

इसके अलावा एके गोयल को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन पद से हटाने की मांग को भी मानना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं है. अगर सरकार ऐसा करती है, तो यह संदेश जाएगा कि सरकार ने अपने घटक दल के दबाव में आकर ऐसा फैसला लिया है.

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अध्यादेश लाने पर विचार कर रही मोदी सरकार

सूत्रों की माने तो मामले को बढ़ता देख मोदी सरकार संसद के मानसून सत्र के बाद SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम पर अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है. सरकार की दिक्कत यह है कि एक तरफ विपक्ष सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है, तो दूसरी तरफसमय-समय पर उसके सहयोगी दल भी इस तरह के मुद्दे उठाकर सरकार को कटघरे में खड़ा करते रहते हैं.

सूत्रों के मुताबिक अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विभिन्न संगठनों और समूहों के नेताओ के साथ मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्री बातचीत करेंगे. वो SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम पर सरकार के अगले कदमों की जानकारी देकर नौ अगस्त को भारत बंद न करने की अपील कर सकते हैं.

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