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लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में सवर्णों की राजनीति तेज

बिहार में कांग्रेस ने 26 वर्षों के बाद किसी ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया हैं. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र के बाद मदन मोहन झा पहले ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष हैं. माना जा रहा है कि सर्वण वोटरों को आगामी लोकसभा चुनाव में अपने पाले में लाने के लिए ये कवायद की जा रही है.

फाइल फोटो फाइल फोटो
राम कृष्ण/सुजीत झा
  • नई दिल्ली,
  • 19 सितंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:39 PM IST

बिहार में सवर्णों को लेकर राजनीति चरम पर है. कोई पार्टी सवर्णों को आरक्षण देने की बात कर रही है, तो किसी पार्टी में उसे प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा रहा है. यहां तक कि पिछड़ों की राजनीति करने वाली पार्टी आरजेडी एक ब्राह्मण को राज्यसभा भेजती है, तो दूसरी तरफ जनता दल-यू में हाल ही शामिल चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भविष्य बताते हैं.

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बिहार में कांग्रेस ने 26 वर्षों के बाद किसी ब्राह्मण को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाया हैं. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र के बाद मदन मोहन झा पहले ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष हैं. पार्टी को लगता है कि वर्तमान परिस्थिति में अगर सवर्ण और खासकर ब्राह्मण, जोकि उसके पुराने वोट बैंक रहे हैं, अगर वो टूट जाते हैं, तो उनकी ताकत बढ़ जाएगी. हांलाकि मदन मोहन झा कहते है कि उनके बनने से सभी जातियां कांग्रेस से जुडेंगी, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता को धोखा दिया है.

दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा नहीं पूरा कर पाने, पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़ने और राफेल डील समेत कई मुद्दों पर लोग मोदी सरकार के खिलाफ हैं. ये मुद्दे लोगों को कांग्रेस के पक्ष में लाने के लिए पर्याप्त हैं. अब जनता बीजेपी और उसके शासन को देख चुकी है. इसलिए सभी जातियां हमारे पास आएंगी.

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मदन मोहन झा ने कहा, 'मुझे मौका दिया गया सिर्फ इसलिए ब्राह्मण का रुझान नहीं बढ़ेगा, बल्कि सभी जातियां पीएम मोदी से धोखा मिलने से नाराज हैं. जनता चार साल के एनडीए शासन में सब देख चुकी है. अब सभी कांग्रेस की तरफ आ रहे हैं.

माना जा रहा है कि कांग्रेस की नई टीम का गठन लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर किया जा रहा है. इस पूरी कवायद का मकसद वोटरों को टारगेट करना है. कांग्रेस ने अपना टारगेट सवर्ण वोट बैंक चुना है. पिछड़ा और अति पिछड़ा वोट बैंक उसने महागठबंधन की पार्टियों को सौंपी है. प्रदेश कांग्रेस कमेटी में 48 की टीम बनी है, जिसमें मदन मोहन झा प्रदेश अध्यक्ष हैं, तो अखिलेश प्रसाद सिंह को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया गया हैं. इसके अलावा 4 कार्यकारी अध्यक्ष है, जिसमें दो सवर्ण जाति से हैं और एक अल्पसंख्यक है.

कमेटी में केवल 8 पिछड़ों और एक अति पिछड़े को जगह दी गई है. इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस का टारगेट क्या है? हालांकि सवर्णों के वोट बैंक को लेकर चलने वाली बीजेपी इससे ज्यादा चिंतित नहीं नजर आ रही है. उसका मानना है कि कांग्रेस लाख कोशिश कर ले, लेकिन सवर्ण उसके साथ नहीं जाएंगे, क्योंकि वो आरजेडी के साथ खड़े हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में मंत्री नंदकिशोर यादव का कहना है कि इसी आरजेडी ने बिहार में भूरा बाल साफ करों का नारा दिया था.

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उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी किसको अध्यक्ष बनाती है, यह विषय नहीं है. उनका अंदरूनी मामला है, लेकिन कांग्रेस एक बात भूलती है कि किसी जाति विशेष को पद पर बैठा देने से उस समाज का वोट नहीं मिल जाता है. मुझे कांग्रेस के बुद्धि के दिवालियापन पर हंसी आती है, लेकिन एक बात कांग्रेस और भूल रही है कि कांग्रेस आरजेडी के साथ बिहार में समझौता करके काम कर रही है.'

यादव ने कहा, 'आरजेडी को बड़ा भाई मानती है और इसी आरजेडी ने बिहार के अंदर भूरा बाल साफ करो का नारा दिया था. भूरा बाल साफ करो का नारा देने वाली पार्टी के साथ जो पार्टी जुड़कर काम करेगी, बिहार के लोग उसको स्वीकार नहीं करेंगे. कांग्रेस जिसे चाहे उसे अध्यक्ष बना ले, लेकिन भ्रम में न रहे कि बिहार के लोग अब कांग्रेस और आरजेडी को वोट देने वाले हैं. बीजेपी को कोई नुकसान नहीं है, क्योंकि संपूर्ण समाज हमारे साथ है.'

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