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नीतीश के साथ क्या 2024 से पहले बड़ा खेल करेंगे मांझी? जानिए राज्यपाल से मुलाकात के पीछे की वजह

जीतन राम मांझी कई बार यह कह चुके हैं कि वह नीतीश कुमार का साथ नहीं छोड़ेंगे, लेकिन उनकी हालिया एक्टिविटी देखने के बाद सियासी गलियारों में हलचलें काफी तेज हैं. पहले उन्होंने अमित शाह से मुलाकात की थी. इसके बाद हाल फिलहाल वह नीतीश कुमार से मिले और उसके बाद राज्यपाल से मिलकर शिक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया.

जीतनराम मांझी/नीतीश कुमार (फाइल फोटो) जीतनराम मांझी/नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 09 जून 2023,
  • अपडेटेड 11:45 PM IST

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संस्थापक जीतनराम मांझी 2024 लोकसभा चुनाव से पहले कोई बड़े खेल की तैयारी में लगे हुए हैं. इसलिए बिहार के राजनीतिक गलियारे में मांझी के हर कदम पर पैनी नजर रखी जा रही हैं, क्योंकि एक तरफ जहां वह कसमें खाते हैं कि वह हमेशा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ ही रहेंगे तो वहीं दूसरी तरफ वह विपक्ष के नेताओं के साथ भी मुलाकात करते हैं और कभी-कभी तो नीतीश कुमार की नीतियों की भी आलोचना करते नजर आते हैं.

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दरअसल, बिहार की राजनीति में जीतन राम मांझी एक बार फिर से चर्चा का विषय बने हुए हैं. हुआ यूं कि 2024 लोकसभा चुनाव को लेकर जितना मांझी ने ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी महागठबंधन में 5 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. मांझी ने अपनी इस मांग को लेकर बुधवार को नीतीश कुमार से उनके आवास पर मुलाकात भी की और 5 लोकसभा सीटों से लड़ने की मांग रखी.

इसके बाद अचानक गुरुवार को मांझी ने राज्यपाल राजेंद्रन विश्वनाथ आर्लेकर से मुलाकात की और प्रदेश में बदहाल शिक्षा व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए ज्ञापन सौंपा. मांझी ने राज्यपाल से मुलाकात के दौरान बिहार में एस्टीमेट घोटाले का जिक्र किया. उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में 100 रुपए का काम करने के लिए 1000 रुपए का एस्टीमेट बनता है, जिसकी वजह से गुणवत्ता में कमी आती है.

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इससे पहले इसी साल 13 अप्रैल को मांझी ने दिल्ली जाकर गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. अमित शाह से मुलाकात के दौरान मांझी ने माउंटेन मैन के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठाई थी.

झी ने उस वक्त जरूर कहा था कि अमित शाह से मिलने के पीछे उनका उद्देश्य कुछ और था, लेकिन मांझी और अमित शाह की मुलाकात से एक बार फिर संकेत मिलने लगे थे कि 2024 से पहले वह एनडीए में वापस आ सकते हैं. हालांकि, मांझी हमेशा इस बात से इनकार करते आए हैं और कसमें खाते रहे हैं कि वह हमेशा नीतीश कुमार के साथ ही रहेंगे.

अब जब राज्यपाल से उनकी मुलाकात हुई है, जहां पर जीतन राम मांझी ने बिहार की बदहाल शिक्षा व्यवस्था और एस्टीमेट घोटाले को लेकर शिकायत की है तो राजनीतिक गलियारे में फिर चर्चा गर्म है. कहा जा रहा है कि मांझी नीतीश के ऊपर प्रेशर पॉलिटिक्स करने में जुट गए हैं, ताकि उन्हें लोकसभा में ज्यादा से ज्यादा सीटें लड़ने को मिले और अगर ऐसा नहीं होता है तो वह बीजेपी के साथ भी हाथ मिला सकते हैं.

इन घटनाक्रमों पर बीजेपी नेता अरविंद कुमार सिंह का कहना है कि जीतन राम मांझी नीतीश कुमार की रग-रग से वाकिफ हैं और इसीलिए वह बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर चिंता जता रहे हैं. वह महागठबंधन के सभी नेताओं से भी अच्छी तरह वाकिफ हैं.

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