
बिहार की पांच राज्यसभा सीटों पर हुए चुनाव में भले ही सारे उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हों, लेकिन विधान परिषद के चुनाव में सियासी घमासान होने की बिसात बिछाई जा रही है. बिहार की सात विधान परिषद (एमएलसी) सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. नीतीश के अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन में शामिल जेडीयू और बीजेपी ने दो-दो एमएलसी सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने का प्लान बनाया है.
वहीं, आरजेडी ने महागठबंधन के सहयोगी दलों को दरकिनार करते हुए तीन एमएलसी उम्मीदवार उतारे हैं, जिसके चलते अब कांग्रेस भी चुनावी किस्मत आजमाने के मूड में है.
ऐसे में कांग्रेस अगर विधान परिषद चुनाव में अपना प्रत्याशी उतारती है तो आरजेडी के लिए तीसरी एमएलसी सीट जीतना आसान नहीं होगा. इतना ही नहीं, एक दूसरे के विधायकों को भी साधने के लिए जोड़तोड़ की सियासत तेज होगी. ऐसे में जीतन राम मांझी से लेकर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी के विधायकों की बार्गेनिंग पावर बढ़ेगी.
बिहार की एमएलसी सीटों पर चुनाव
बिहार कोटे की पांच राज्यसभा सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी दो, जेडीयू एक और आरजेडी ने दो कैंडिडेट उतारे थे, जिसके चलते सभी निर्विरोध चुन लिए गए हैं. वहीं, विधान परिषद की सात सीटों पर हो रहे चुनाव में बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी के अलावा कांग्रेस ने भी ताल ठोंकने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में कांग्रेस अगर अपने बयान पर कायम रहती है और चुनावी मैदान में उतरती है तो फिर मतदान की नौबत आ सकती है.
आरजेडी ने तीन सीट पर उतारे कैंडिडेट
आरजेडी के उम्मीदवार के तौर पर कारी शोएब, मुन्नी देवी और अशोक कुमार पांडेय ने नामांकन पहले ही दाखिल कर दिया है. जेडीयू ने अपने राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद और राष्ट्रीय सचिव रवींद्र कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है, जो बुधवार को नामांकन दाखिल करेंगे. जेडीयू की सहयोगी बीजेपी ने भी अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है, पार्टी ने हरि सहनी और अनिल शर्मा को सदन भेजने का फैसला किया है. वहीं, कांग्रेस एक उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है.
एमएलसी चुनाव लड़ने की तैयारी में कांग्रेस
बिहार कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस परिषद चुनाव में एक उम्मीदवार पर दांव लगाने पर विचार कर रही है. तिवारी ने कहा पहले उम्मीद थी कि भाकपा माले और अन्य वामपंथी दल कांग्रेस के साथ मिलकर एक साझा उम्मीदवार देंगे. लेकिन, भाकपा माले का आरजेडी पर भरोसा जताए जाने के बाद कांग्रेस विधान परिषद चुनाव में अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है. वहीं, कांग्रेस अगर चुनाव लड़ती है तो संजीव सिंह और कोकब कादरी में से कोई एक प्रत्याशी हो सकते हैं.
बिहार विधानसभा के सियासी समीकरण
बिहार विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं, जिनमें से बीजेपी 77, जेडीयू 45, HAM 4 और एक निर्दलीय विधायक हैं. ये सभी एनडीए का हिस्सा हैं. इस तरह से नीतीश कुमार के समर्थन में 127 विधायकों का समर्थन है. वहीं, आरजेडी के 76, भाकपा माले के 12 और वामपंथी दल के 4 विधायक हैं. इसके अलावा कांग्रेस के 19 और AIMIM के 5 विधायक हैं. इस लिहाज से एक विधान परिषद के लिए कम से कम 31 वोटों का समर्थन चाहिए होगा.
किस पार्टी के कितने MLC बनेंगे?
विधानसभा के आंकड़े के लिहाज से बीजेपी के दो विधान परिषद सदस्य बनने तय हैं और उसके बाद 13 वोट अतरिक्त बचेंगे. जेडीयू अपने दम पर एक सीट आसानी से जीत लेगी और दूसरी सीट बीजेपी और जीतनराम मांझी के विधायकों की बदौलत भी जिता लेगी. वहीं, वामपंथी दलों के समर्थन से आरजेडी तीन एमएलसी को चुनाव जिता सकती है, लेकिन कांग्रेस अपने दम पर एक भी सीट जीतने की स्थिति में नहीं है.
हालांकि, जेडीयू को अपने 2 उम्मीदवार, आरजेडी को अपने 3 उम्मीदवार और कांग्रेस के अपने एक उम्मीदवार को बगैर दूसरी पार्टियों के सहयोग के चुनाव जिताना नामुमकिन होगा. ऐसे हालात में AIMIM, हम और वाम दलों के समर्थन के बिना चुनाव जीतना संभव नहीं होगा. कांग्रेस भले ही एमएलसी चुनाव में दावा कर रही हो कि दूसरी पार्टियों के 15 से 16 विधायक उसके संपर्क में हैं, लेकिन ये आंकड़ा जुटाना आसान नहीं है. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस एमएलसी चुनाव में अपना कैंडिडेट उतारती है या फिर राज्यसभा चुनाव की तरह वॉकओवर देती है?