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बिहार में सूखे के संकट के बाद अब बाढ़ का खतरा! अगस्त महीने में बारिश से उफान पर नदियां

जुलाई के महीने में बिहार में हुई कम बारिश के चलते राज्य में सूखा पड़ने से किसान परेशान थे, लेकिन अब एक बार फिर बिहार में मॉनसून एक्टिव हुआ है. अगस्त में हुई बारिश के चलते अब बिहार की नदियां उफान पर हैं और बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है.

IMD Rainfall (Representational Image) IMD Rainfall (Representational Image)
शशि भूषण कुमार
  • पटना,
  • 10 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST

जुलाई महीने के आखिर तक सूखे के संकट का सामना कर रहे बिहार में अब बाढ़ का संकट मंडरा रहा है. अगस्त महीने में बिहार में हुई बारिश की वजह से ज्यादातर नदियां उफान पर हैं और कई नदियां खतरे के निशान के पार जा पहुंची हैं. जुलाई महीने तक बिहार में सूखे की स्थिति देखने को मिल रही थी, सामान्य से 48 फ़ीसदी कम बारिश रिकॉर्ड की गई थी, लेकिन अगस्त महीने के शुरुआती 9 दिनों में हुई बारिश ने कम बारिश की भरपाई कर दी है. बिहार में अब तक सामान्य से 74 फ़ीसदी बारिश हो चुकी है. 

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मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अगस्त महीने में अब तक बिहार के अंदर 213 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है. मॉनसून एक बार फिर से बिहार में पूरी तरह सक्रिय हो चुका है. सूखे की संकट का सामना कर रहे किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है. 1 जून से 9 अगस्त के बीच अगर वर्षा अनुपात की बात करें तो सामान्य बारिश 585 मिलीमीटर होनी चाहिए थी जो अब तक 435 मिलीमीटर हो चुकी है. 

किसानों के लिए राहत
बिहार में मॉनसून के मेहरबान होने की वजह से धान की रोपनी, जो अबतक नहीं हो पाई थी, वो होने लगी है. वहीं, धान के जो पौधे सूख रहे थे वो भी हरे-भरे हो गए हैं. बिहार में पिछले 8 दिनों के अंदर धान की रोपनी का रकबा बढ़कर 9 लाख हेक्टेयर गया है. बिहार में इस साल धान की खेती के लिए 35 लाख हेक्टेयर का अनुमान है. 8 अगस्त तक 27 लाख हेक्टेयर की रोपनी हो चुकी है जो कुल क्षेत्र का 75 फ़ीसदी है. कृषि वैज्ञानिक भी मानते हैं कि अगर धान की रोपनी 15 जुलाई तक पूरी हो जाए तो उत्पादन ज्यादा होता है. इस लिहाज से देखा जाए तो इस बार मॉनसून रूठने की वजह से धान की खेती पर असर पड़ा है और उत्पादन घटने की संभावना है. 

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गंगा में बढ़ रहा जलस्तर
अगस्त महीने में हुई बारिश की वजह से बिहार की नदियों में भी उफान देखने को मिल रहा है. एक तरफ जहां सूखे का संकट टल गया है, वहीं उत्तर बिहार और गंगा से सटे इलाकों में बाढ़ का संकट भी देखने को मिल रहा है. राजधानी पटना से सटे रिवर फ्रंट पर गंगा का पानी चढ़ चुका है जिसकी वजह से प्रशासन भी अलर्ट पर है. बुधवार को पटना में 18.83 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई थी. बारिश की वजह से गंगा, गंडक, बागमती समेत सभी नदियां खतरे के निशान के आसपास हैं. राज्य की कई नदियां लाल निशान को पार कर गई हैं. बागमती, कमला, भूतही, ललबकिया जैसी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं.

खतरे के  निशान के ऊपर ये नदियां 
राज्य के जल संसाधन विभाग के मुताबिक, मुजफ्फरपुर के रूनीसैदपुर घाट पर बागमती नदी खतरे के निशान से 144 सेमी ऊपर बह रही है, जबकि गोपालगंज जिले के डुमरिया घाट पर गंडक नदी खतरे के निशान 36 सेमी ऊपर बह रही है. वहीं, खगड़िया के बलतारा घाट पर कोसी का जलस्तर खतरे के निशान से 4 सेमी ऊपर है. कोइलवर घाट पर सोन नदी का जलस्तर भी 22 सेमी बढ़ा है.

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गंडक बराज से बुधवार को 2 लाख 93 हजार 400 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज हुआ है, जिससे गंडक के जलस्तर में काफी इजाफा हुआ है. बिहार के गोपालगंज, सारण और सीवान में बाढ़ को लेकर प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को खुद पटना के गंगा से सटे इलाकों का जायजा लिया था और दियारा के इलाके में रहने वाले लोगों के लिए सतर्कता बरतने का निर्देश अधिकारियों को दिया था. 

 

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