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जेपी आंदोलन ने दी पहचान,दोस्त नीतीश का करते विरोध, बिहार की सियासत के दमदार नेता नरेंद्र सिंह का निधन

बिहार के दिग्गज नेता नरेंद्र सिंह का सोमवार को निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. उन्हें लीवर संबंधित कुछ बीमारियां थीं. बिहार की राजनीति में उनका कद काफी बड़ा रहा और उन्होंने एक लंबा राजनीतिक सफर तय किया.

नेता नरेंद्र सिंह का निधन नेता नरेंद्र सिंह का निधन
सुजीत झा
  • पटना,
  • 05 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 12:17 AM IST

बिहार की सियासत और जेपी आंदोलन से पैदा हुए नेता नरेंद्र सिंह के निधन के बाद पूरे बिहार में शोक की लहर है. अपनी बेबाकी और खरे-खरे बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले नरेंद्र सिंह बिहार की सियासत के सशक्त हस्ताक्षर थे. उन्होंने जमीन से जुड़ी राजनीति की और जब लोकहित की बात हुई, तो अपने दोस्त नीतीश कुमार का विरोध करने से भी नहीं चूके.

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नरेंद्र सिंह को बिहार के बेबाक नेता के रूप में जाना जाता था. हाल में तबीयत नासाज होने के बाद उन्हें पटना के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था. जहां उनका इलाज के दौरान निधन हो गया. जमुई जिले के रहने वाले पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार की सरकार में कई मंत्री पद पर रह चुके हैं. पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के निधन पर जमुई जिले में शोक की लहर है.

बताया जा रहा है कि नरेंद्र सिंह को लीवर संबंधित बीमारियां थीं. उनका ऑपरेशन भी दिल्ली में हुआ था. लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हो रहा था. जमुई जिले के खैरा इलाके के पकरी गांव के रहने वाले नरेंद्र सिंह स्वतंत्रता सेनानी श्री कृष्ण सिंह के पुत्र थे. नरेंद्र सिंह छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़े रहे. 1970 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव में नरेंद्र सिंह महासचिव पद पर चुने गए थे. नरेंद्र सिंह 1974 में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हो रहे छात्र आंदोलन में भी बढ़-चढ़कर शामिल हुए थे. नरेंद्र सिंह और लालू प्रसाद यादव की जोड़ी खूब चर्चा में रहा करती थी. बाद में वे चुनावी मैदान में उतरते हुए जमुई जिले के चकाई विधानसभा क्षेत्र से तीन बार और जमुई विधानसभा क्षेत्र से एक बार विधायक भी चुने गए.

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नरेंद्र सिंह बिहार की सियासत के उस पीढ़ी के नेता रहे, जिनके भीतर जेपी की आग हमेशा जलती रही. उन्होंने कई मौकों पर अपने दोस्त सीएम नीतीश कुमार का खुलकर विरोध किया. उनसे अलग भी हुए. हालांकि कई मौकों पर उन्होंने उनका साथ भी दिया. सियासी जीवन में उन्होंने दो अलग-अलग विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ते हुए दोनों बार जीत दर्ज की. नरेंद्र सिंह के सियासी सफर पर नजर डालें, तो 1985,1990 और 2000 के बिहार विधानसभा चुनाव में जमुई जिले के चकाई सीट पर चुनाव लड़ते हुए विधायक बने थे. विधानसभा के साल 2000 के चुनाव में ही नरेंद्र सिंह जमुई जिले के चकाई और जमुई पर चुनाव लड़ा था, जिसमें दोनों सीट पर उन्होंने सफलता पाई थी. बाद में उन्होंने जमुई सीट से इस्तीफा देते हुए चकाई से विधायक बने रहे.

नरेंद्र सिंह चुनाव जीतने के बाद बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के अलावा कृषि मंत्री रहे. कई विभाग संभालते रहे. उन्होंने कृषि मंत्री रहते कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. जिसमें जिला स्तर पर आत्मा का गठन और कृषि कॉलेजों में कई पदों पर बहाली निकाली. उन्हें कृषि कॉलेजों को जिंदा करने के लिए भी जाना जाता है. उन्होंने बिहार कृषि व्यवस्था में बहुत सारे बदलाव लाए थे. जिस कारण बिहार सरकार को कृषि क्षेत्र में बेहतर करने के लिए सम्मानित भी किया गया था. नरेंद्र सिंह ने लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान सीएम नीतीश कुमार से बगावत की थी. तब से वे लगातार नीतीश कुमार का विरोध करते आ रहे थे.

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नरेंद्र सिंह सोशल मीडिया पर भी सक्रिय थे और कई मौकों पर पीएम नरेंद्र मोदी की कई योजनाओं की खुलकर आलोचना करते थे. फेसबुक पर आम लोगों के सवालों का जवाब देते थे. वे कई पोस्ट सरकार विरोधी और जनहित के मुद्दों पर डालते थे जिसे लोग काफी पसंद करते थे.  बताते चलें कि 2005 में जब नीतीश कुमार की सरकार बनी थी तब रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी के विधायकों को तोड़कर नीतीश कुमार को समर्थन नरेंद्र सिंह ने ही दिलवाया था, उस समय नरेंद्र सिंह लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे. पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के एक पुत्र अजय प्रताप जमुई विधायक भी रह चुके हैं. जबकि छोटे बेटे सुमित कुमार सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ते वर्तमान में चकाई से विधायक हैं और नीतीश कुमार की सरकार में साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के मंत्री हैं.

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