
गंगा के रौद्र रूप धारण कर लेने से बिहार में भयंकर तबाही मची है. बाढ़ पीड़ितों की बचाव में लगे एनडीआरएफ की टीम लोगों के लिए भगवान साबित हो रहे हैं. हजारों लोगों को एनडीआरएफ की टीम ने प्रभावित इलाकों से निकाल कर राहत शिविरों में पहुंचाया है. लेकिन दो मामले ऐसे हैं जिसमें एनडीआरएफ की टीम ने सराहनीय काम किया है.
दर्द से कराहती एक गर्भवती महिला को एनडीआरएफ की टीम ने तत्परता दिखाते हुए अस्पताल तक पहुंचाया, जहां महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया. अस्पताल में जच्चा और बच्चा दोनों सही सलामत है. घटना पटना जिले के बख्तियारपुर की है, जहां एनडीआरएफ की टीम को इस बात की जानकारी मिली कि रुपस मांझी गांव में एक महिला नीतू देवी दर्द से कराह रही है. लेकिन उसे अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो रहा है. किसी को ये समझ में नहीं आ रहा था कि करें तो क्या करें. कैसे महिला को अस्पताल पहुंचाया जाए. बाढ़ की वजह से गांव से निकलने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था.
इसी बीच उसी गांव के संजीत पासवान नाम के युवक ने इसकी सूचना एनडीआरएफ टीम को दी. सूचना मिलते ही एनडीआरएफ की टीम रुपस मांझी गांव पहुंची. नीतू देवी को एनडीआरएफ के जवानों ने घर से निकाल कर नाव पर बिठाया और गांव से बाहर लाया. गांव से बाहर लाने के बाद समय पर एंबुलेंस नहीं आने पर एनडीआरएफ के जवानों ने अंचलाधिकारी बख्तियारपुर के सरकारी वाहन से नीतू देवी को बख्तियारपुर सदर अस्पताल पहुंचाया. अस्पताल पहुंचाने के बाद डॉक्टरों की टीम ने नीतू देवी का इलाज शुरू किया और नीतू ने एक बच्चे को जन्म दिया जो बिल्कुल स्वस्थ है.
पिछले पांच दिनों से पटना और आसपास के बाढ़ की तबाही का दंश झेल रहे हैं. बाढ़ पीड़ित अपनी जान बचाने में लगे हैं और उन सबों की मदद में लगा है एनडीआरएफ की टीम. इन्हीं सब में बाढ़ के भुवनेश्वर पासवान की कहानी ही कुछ अलग है, यहां भी अगर एनडीआरएफ की टीम ना होती तो पता नहीं भुवनेश्वर को और कितने दिनों तक पेड़ पर ही भूखे–प्यासे दिन गुजारना पड़ता. भुवनेश्वर पिछले 72 घंटे से नग्न अवस्था में अपनी जान बचाने भूखे-प्यासे पेड़ पर बैठा है.
एनडीआरएफ की टीम अपनी नाव लेकर उस ओर से जा रहे थे कि भुवनेश्वर ने आवाज लगाकर अपनी जान बचाने के लिए गुहार लगाई. भुवनेश्वर की आवाज सुन नाव लेकर एनडीआरएफ के जवान पेड़ के पास पहुंचे. पहले पहनने के लिए भुवनेश्वर को कपड़े दिए गए फिर एनडीआरएफ के जवानों ने उसे पेड़ से नीचे उतारा, फिर एनडीआरएफ की टीम ने भुवनेश्वर को पास के राहत कैंप में पहुंचा दिया. अब भुवनेश्वर अपने परिवार वालों की खोज में लगा है.
दरअसल शनिवार की रात बाढ़ का पानी भुवनेश्वर के घर में घुसने से अफरातफरी मच गई और सभी घर से भागने लगे. भुवनेश्वर भी भागा. लेकिन तेज नहीं भाग पाने के कारण पानी भुवनेश्वर को अपनी आगोश में लेने लगा जिससे उससे कपड़े बह गए. पानी की धार इतनी तेज थी कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे. इन सबके बीच उसे एक पेड़ नजर आया जिसपर वो अपनी जान बचाने के लिए चढ़ गया और पिछले 72 घंटे से उसी पेड़ पर बाढ़ का पानी पीकर वो जिंदगी और मौत से जूझ रहा था.