
नेपाल सरकार का विरोध करने वालों में तेजस्वी यादव का नाम भी जुड़ गया है. नेपाल सरकार के इस कदम पर तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा, 'नेपाल की संसद द्वारा हिंदुस्तान के हिस्से को अपने नक्शे में बताए जाने से परेशान हूं. ये क्यों हो रहा है? सोचना होगा? हम भरोसेमंद दोस्त क्यों खो बैठे? हम बिहारवासियों का नेपाल के साथ गहरा ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संबंध रहा है. भारत सरकार से त्वरित और सकारात्मक पहल की जरूरत है.'
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275 सदस्यों वाली नेपाली संसद में इस विवादित बिल के पक्ष में 258 वोट पड़े. भारत और नेपाल में सीमा विवाद के कारण रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं. 8 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लिपुलेख से धाराचूला तक बनाई गई सड़क का उद्घाटन किया था. इसके बाद नेपाल ने लिपुलेख को अपना हिस्सा बताते हुए विरोध किया था. 18 मई को नेपाल ने नया नक्शा जारी किया. इसमें भारत के तीन इलाके लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपना हिस्सा बताया था.
विवादित नक्शा पास होने पर बोला भारत, नेपाल के दावों का कोई आधार नहीं
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भारत पर अवैध कब्ज़े का आरोप लगाया. साथ ही दावा किया कि वो अपनी ज़मीन वापस लेकर रहेंगे. 11 जून को नेपाल की कैबिनेट ने 9 लोगों की एक कमिटी का गठन किया है. जिस ज़मीन पर नेपाल इतने दिनों से दावा कर रहा है और भारत के साथ विवाद खड़ा कर रहा है. उस ज़मीन पर अपने अधिकार का नेपाल के पास कोई प्रमाण ही नहीं है.