
उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास रविवार को जहां एक भीषण रेल हादसे में करीब 126 लोगों की जान चली गई वहीं दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के ही आगरा में अपनी पार्टी के द्वारा आयोजित एक राजनीतिक रैली को संबोधित किया. प्रधानमंत्री के इस रैली को लेकर विपक्ष में अब उन पर हमला करना शुरू कर दिया है. विपक्ष का आरोप है कि जब देश में इतनी बड़ी रेल दुर्घटना घटी हो तो ऐसे में प्रधानमंत्री का उसी प्रदेश में रैली करना जहां की दुर्घटना हुई है उनके असंवेदनशीलता को दर्शाता है.
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए हुए कहा कि कानपुर के पास हुए रेल हादसे के लिए रेल मंत्रालय जिम्मेदार है. तेजस्वी यादव ने कहा कि रेलवे की खामियों के चलते दुर्घटना घटी है, जिसमें इतने लोगों की जान चली गई. प्रधानमंत्री उसी राज्य में आयोजित राजनीतिक कार्यक्रम में शिरकत करते हैं जहां की दुर्घटना घटी है, यह बात किसी भी संवेदनशील व्यक्ति के गले नहीं उतर सकती. विपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी संवेदनहीनता की सारी सीमाएं को तोड़ते हुए वोट की खेती करने उत्तर प्रदेश के आगरा गए थे और उन्हीं के पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने संवेदनहीनता का परिचय देते हुए रविवार को पंजाब में एक रैली को संबोधित किया.
तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री जिस जगह खड़े होकर स्वयं का महिमामंडन कर रहे हैं, उसी के बगल में लाशों का ढेर पड़ा है. वजीर-ए-आजम ने संवेदनहीनता की सारी सीमाओं को तोड़ते हुए वोट की खेती करने उत्तर प्रदेश गए. अमित शाह भी वोटों के लिए लिए झोली फैलाए पंजाब में भाषणबाजी कर रहे थे. गौरतलब है कि रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार के 1 साल पूरे हुए और रविवार को ही नीतीश कुमार अपनी सरकार की उपलब्धियों को लेकर एक रिपोर्ट कार्ड भी पेश करने वाले थे, मगर कानपुर के पास हुए रेल हादसे की वजह से कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया.
तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार सरकार ने मानवीय संवेदना का परिचय देते हुए महागठबंधन सरकार के 1 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित रिपोर्ट कार्ड जारी करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम को स्थगित करने का निर्णय किया, मगर प्रधानमंत्री मोदी रेल हादसों पर विचार करने के बजाए वोट मांगते हुए अपने ही नेतृत्व की शिथिलता का परिचय दे रहे थे.