
बिहार में नीतीश कुमार सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है. राज्य में सरकार बने 1 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है मगर इसके बावजूद भी नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है जिसकी वजह से कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.
हालांकि, राजनीतिक अटकलों के बीच नीतीश कुमार ने 2 दिन पहले स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की और कहा था कि बीजेपी की तरफ से मंत्रिमंडल विस्तार का कोई प्रस्ताव नहीं आया है. उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी की तरफ से मंत्रिमंडल विस्तार पर कोई प्रस्ताव आएगा तो फिर इस पर चर्चा होगी.
नीतीश कुमार ने कहा. 'जब बीजेपी की तरफ से मंत्रिमंडल विस्तार पर प्रस्ताव आएगा तो उस पर चर्चा होगी. फिलहाल बीजेपी की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं आया है.' सूत्रों की मानें तो बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार में देरी की सबसे बड़ी वजह अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव हैं.
बिहार के चुनाव संपन्न होने के बाद बीजेपी आलाकमान का पूरा फोकस अब बंगाल विधानसभा चुनाव पर है. इसी वजह से बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार को फिलहाल तरजीह नहीं दी जा रही है.
नए चेहरे की तलाश में बीजेपी
जिस तरीके से बीजेपी के काम करने का तरीका रहा है उसके हिसाब से केंद्रीय नेतृत्व इस बात का फैसला करेगा कि बिहार सरकार में बीजेपी कोटे से कौन-कौन से चेहरे को मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिलेगी.
दूसरी तरफ केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव, प्रेम कुमार, रामनारायण मंडल और विनोद नारायण झा को विधानसभा समितियों में अध्यक्ष बनाकर साफ संकेत दे दिया है कि मंत्रिमंडल विस्तार में इन्हें जगह नहीं मिलने वाली है.
यह सभी चेहरे पूर्व में नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके हैं. अब ऐसे में नए चेहरों को मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिलना है और इसी वजह से केंद्रीय नेतृत्व को भी नए चेहरों की पहचान करने में देरी हो रही है.
जानकारी के मुताबिक बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में पेंच मंत्री पद के बंटवारे को लेकर भी फंसा हुआ है. फिलहाल नीतीश मंत्रिमंडल में उन्हें शामिल करके 14 मंत्री हैं. इनमें से सात बीजेपी कोटा से हैं, 4 जनता दल यूनाइटेड से और 1-1 हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी से.
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और इसके मुताबिक बिहार सरकार में कुल 36 मंत्री पद हैं.
बिहार एनडीए में 74 सीटों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी जिस फॉर्मूले पर काम कर रही है उसके मुताबिक उन्हें 20 मंत्री पद मिलना चाहिए, जबकि जनता दल यूनाइटेड को 14, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी को 1-1 मंत्री पद.
मंत्रियों पर काम का दबाव
हालांकि, जनता दल यूनाइटेड 50-50 के फॉर्मूले पर मंत्री पद का बंटवारा करने की मांग कर रही है. दोनों मुख्य दलों के बीच मंत्री पद बंटवारे को लेकर मामला फंस जाने की वजह से भी मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है.
साथ ही बिहार विधान परिषद में 12 सीटें इस वक्त खाली हैं जिसे राज्यपाल कोटे से भरा जाना है. इन सीटों को लेकर भी बीजेपी और जनता दल यूनाइटेड में सहमति नहीं बन पाई है.
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बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल का इस संबंध में कहना है कि बीजेपी के काम करने का अपना तरीका है. बीजेपी कोटे से मंत्री बनने वालों की लिस्ट समय आने पर तैयार होगी.
मौजूदा समय में बिहार के सभी मंत्रियों के पास तकरीबन 5 से 6 विभाग का बोझ है. मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने की वजह से विभिन्न विभाग में अधिकारियों के बीच कंफ्यूजन की स्थिति है. मंत्री की गैरमौजूदगी की वजह से काम प्रभावित हो रहा है.
उपमुख्यमंत्री तारकेश्वर प्रसाद के पास अकेले 6 विभाग की जिम्मेदारी है. साथ ही जनता दल यूनाइटेड कोटे से मंत्री विजय कुमार चौधरी और अशोक चौधरी के पास 5- 5 विभाग की जिम्मेदारी है.
ऐसे में बताया जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने के कारण सरकारी महकमे में काम की रफ्तार काफी धीमी है.
माना जा रहा है कि यह स्थिति 14 जनवरी तक रहेगी क्योंकि फिलहाल 16 दिसंबर से खरमास शुरू हो चुका है. 14 जनवरी को खरमास समाप्त होने के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार पर कोई बात आगे बढ़ सकती है.