
केंद्रीय मंत्रिमंडल में आरसीपी सिंह के मंत्री बनने के बाद जेडीयू में हलचल तेज हो गई है. मंत्री पद की आस लगाए जेडीयू के कद्दावर सांसद ललन सिंह ने पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात कर अपनी व्यथा सुनाई और मन हल्का किया. बाहर आकर भी उनका दर्द भी छलका.
ललन सिंह ने मंत्रिमंडल में उन्हें नही शामिल किए जाने पर कहा ''पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह इसके लिए अधिकृत थे उन्होंने जो फैसला किया वो सही है. पार्टी में सब ठीक है कोई नाराजगी नही है.''
लेकिन ललन सिंह ने आगे कहा ''ये बात सही है कि आरसीपी सिंह इसके लिए अधिकृत थे और जब केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक ही सीट जेडीयू को मिली तो बिना किसी लागलपेट के उन्होंने खुद मंत्री बनने का निर्णय ले लिया. वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन उन्होंने यहां पार्टी के बारे में नही सोचा. इसी बात का मलाल जेडीयू के आम कार्यकर्ताओ में है.
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आपको बता दें कि ललन सिंह भी मंत्रिमंडल में शामिल होने के प्रबल दावेदार थे. 2019 के मोदी मंत्रिमंडल में जेडीयू को एक मंत्री मिलने के कारण उस समय नीतीश कुमार ने शामिल होने से मना कर दिया था, क्योंकि उस समय भी ये दोनों मंत्री बनना चाहते थे और नीतीश कुमार किसी एक को नाराज नही करना चाहते.
क्या नीतीश कुमार ने खुद चाहा था कि आरसीपी सिंह बनें मंत्री?
हालांकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मंत्रिमंडल विस्तार से पहले पता था कि इस बार भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनकी पार्टी को एक ही सीट मिलनी थी, इसलिए उन्होंने मीडिया में ये बयान देकर अपने आप को अलग कर लिया था कि इस पर बातचीत के लिये राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ही अधिकृत हैं. नीतीश कुमार ने ये भी पहले ही साफ कर दिया था कि इस बार कोई फॉर्मूला नही है. लेकिन इतना तो उनके मन मे होगा ही कि राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह पार्टी के हित का ध्यान रखते हुए कोई फैसला लेंगे. लेकिन आरसीपी सिंह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में खुद को ही शामिल करने का फैसला ले लिया. हालांकि उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने से जेडीयू को कोई फायदा होता दिखाई नही दे रहा, खासकर वोट बैंक के मामले में.
नीतीश ने नहीं दी मंत्री बनने की बधाई?
कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को सार्वजनिक तौर पर बधाई भी नही दी है. समझने की बात ये है कि आरसीपी सिंह उन्ही की बिरादरी के हैं. वो जानते है कि उनके बधाई देने से उनके करीबी ललन सिंह का दर्द और बढ़ जाएगा. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता इस मामले पर कहते हैं कि ये तो सभी जानते है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई भी रहे, बिना नीतीश कुमार की इजाजत के इस पार्टी में पत्ता भी नही हिलता.
दूसरी तरफ कहने वाले ये भी कह रहे हैं कि आरसीपी सिंह की बीजेपी से काफी नजदीकियां रही हैं और वो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, पार्टी के संविधान के मुताबिक वो किसी भी तरह का निर्णय ले सकते थे.