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G20 के डिनर में नीतीश कुमार का शिरकत करना, BJP से करीबी या फिर I.N.D.I.A. को मैसेज? जानिए क्या है 2024 वाला प्लान

द्रौपदी मुर्मू के रात्रिभोज के दौरान नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात और दोनों नेताओं का एक दूसरे को लेकर बेहद सहज दिखना. यह वो तस्वीरें हैं जिनके सामने आने के बाद अब एक बार फिर से अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में असहज महसूस कर रहे हैं? अटकलें तो यह भी हैं कि क्या एक बार फिर से वह 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के साथ हाथ मिला सकते हैं?

G20 के डिनर में शामिल हुए नीतीश तो 'INDIA' की बढ़ी चिंता G20 के डिनर में शामिल हुए नीतीश तो 'INDIA' की बढ़ी चिंता
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 11 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:02 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 9 सितंबर को जी20 के आयोजन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के निमंत्रण पर रात्रि भोज के कार्यक्रम में शिरकत की. जिसके बाद आप बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार के अगले राजनीतिक कदम को लेकर जबरदस्त अटकलों का बाजार गर्म हो गया है.

द्रौपदी मुर्मू के रात्रिभोज के दौरान नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात और दोनों नेताओं का एक दूसरे को लेकर बेहद सहज दिखना. यह वो तस्वीरें हैं जिनके सामने आने के बाद अब एक बार फिर से अटकलें लगाई जा रही हैं कि क्या नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में असहज महसूस कर रहे हैं? अटकलें तो यह भी हैं कि क्या एक बार फिर से वह 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के साथ हाथ मिला सकते हैं?

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INDIA में नीतीश की अनदेखी!

नीतीश कुमार भले ही इस वक्त INDIA गठबंधन का हिस्सा हैं और 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्ष को एकजुट करने में उन्होंने अगुआ की भूमिका निभाई है, मगर इस गठबंधन की बेंगलुरु और मुंबई में हुई बैठकों में जिस तरीके से नीतीश कुमार की अनदेखी की गई है वह किसी से छिपी नहीं है. विपक्षी गठबंधन की पहली बैठक पटना में जब हुई थी तो उस दौरान नीतीश कुमार एक नेता की भूमिका में नजर आ रहे थे मगर बेंगलुरु और मुंबई की बैठक को कांग्रेस ने जिस तरीके से हाईजैक किया है उसके बाद नीतीश कुमार अब इस विपक्षी गठबंधन में अलग-थलग नजर आ रहे हैं.

नीतीश कुमार जिन्होंने विपक्षी दलों को एकजुट किया और INDIA गठबंधन के बनने के बाद उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि सभी विपक्षी दल के नेता उन्हें इस गठबंधन का संयोजक बनाएंगे, मगर ऐसा कुछ भी अब तक नहीं हुआ है. सूत्रों से मिली जानकारी के दौरान नीतीश कुमार को उम्मीद थी कि मुंबई की बैठक में गठबंधन के संयोजक के नाम का ऐलान किया जाएगा मगर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने नीतीश के साथ बड़ा खेल कर ,दिया जिसके बाद विपक्षी गठबंधन में किसी भी संयोजक के नाम की घोषणा नहीं हुई बल्कि इससे अलग से 14 सदस्य कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन कर दिया गया.

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लालू ने कैसे बिगाड़ा नीतीश का खेल?

सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार के संयोजक नहीं बनने के पीछे की बड़ी वजह आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद हैं. दरअसल, जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक लालू और कांग्रेस ने आपस में मिलकर नीतीश कुमार का खेल बिगाड़ दिया है. बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार जहां उम्मीद कर रहे थे कि मुंबई की बैठक में उन्हें संयोजक बनाया जाएगा, वहीं दूसरी तरफ लालू ने नीतीश का खेल बिगाड़ते हुए यह घोषणा कर दी थी कि इससे विपक्षी गठबंधन में एक नहीं बल्कि 3 या 4 संयोजक बनाए जा सकते हैं और प्रत्येक संयोजक को तीन या चार राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.

मुंबई की बैठक में हुआ भी ऐसा ही. किसी भी एक संयोजक के नाम का ऐलान नहीं हुआ और इससे अलग INDIA गठबंधन के कोआर्डिनेशन कमेटी के नाम की घोषणा हो गई.

लालू के इस खेल से नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा और उनके प्रधानमंत्री बनने का सपना भी सपना ही रह गया. बताया जा रहा है कि लालू नहीं चाहते थे कि नीतीश कुमार इस विपक्षी गठबंधन के संयोजक बनें क्योंकि ऐसा होने से नीतीश का कद राष्ट्रीय राजनीति में बहुत ज्यादा बढ़ जाता और फिर जब बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे का समय आता तो नीतीश अपने कद का इस्तेमाल करके कांग्रेस और आरजेडी से ज्यादा सीटों की मांग कर सकते थे.

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'INDIA' को अल्टीमेटम!

गौरतलब है कि पिछले साल जब द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति बनी थीं तो उस वक्त नीतीश कुमार एनडीए में ही थे, मगर द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में वह शामिल नहीं हुए थे. ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि इस बार जब नीतीश कुमार विपक्ष में हैं तो आखिर ऐसा क्या हो गया कि राष्ट्रपति के रात्रि भोज के कार्यक्रम में नीतीश कुमार पहुंच गए, जबकि विपक्षी गठबंधन के कई मुख्यमंत्रियों ने ऐसे कार्यक्रम से अपने आप को दूर रखा?

इसका जवाब दरअसल यह है कि नीतीश कुमार की विपक्षी गठबंधन में हो रही लगातार अनदेखी को ध्यान में रखते हुए नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति के भोज कार्यक्रम में शामिल होने का दांव चला ताकि विपक्षी दलों को इस बात का एहसास कराया जा सके कि नीतीश कुमार के रास्ते और विकल्प पूरी तरीके से खुले हुए हैं और अगर उन्हें INDIA गठबंधन में कोई महत्वपूर्ण और बड़ी भूमिका नहीं मिली तो वह दोबारा बीजेपी के साथ भी जा सकते हैं. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने भी नीतीश कुमार के राष्ट्रपति के भोज कार्यक्रम में शामिल होने के कदम को इसी से जुड़ा है.

INDIA गठबंधन में लालू के एक्टिव होने के बाद नीतीश कुमार, जो अलग-थलग हो चुके हैं उन्होंने भी लालू और कांग्रेस को अपने तरीके से चेतावनी दे दी है कि उनकी भूमिका को विपक्षी गठबंधन में दरकिनार ना किया जाए.

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बीजेपी की मजबूरी!

नीतीश कुमार ने बीजेपी को एक बार नहीं बल्कि दो बार धोखा देकर आरजेडी के साथ सरकार बना ली है, मगर इसके बावजूद भी 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर नीतीश कुमार की उपयोगिता अभी बनी हुई है. बिहार जैसे राज्य जहां पर जाति के आधार पर वोटिंग होती है और 2015 विधानसभा चुनाव में भी स्पष्ट हो चुका है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के साथ आने के बाद बीजेपी की जबरदस्त हार हुई थी, उसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी की भी कोशिश यही नजर आती है कि किसी तरीके से 2024 लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश और लालू को अलग किया जाए. ताकि वोटों का बंटवारा हो और फिर इसका फायदा बीजेपी को मिल सके.

माना जा रहा है कि बीजेपी के बड़े नेताओं ने भले ही नीतीश कुमार को लेकर यह ऐलान कर रखा है कि अब उनकी तीसरी बार दोबारा एनडीए में एंट्री नहीं होगी मगर बीजेपी को इस बात का एहसास है कि जब नीतीश कुमार का साथ उन्हें मिला था तो 2019 लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटें एनडीए गठबंधन ने जीती थीं. वहीं 2024 में भी यह तभी संभव होगा जब नीतीश कुमार लालू से अलग हटकर एक बार फिर एनडीए में आ जाएं.

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बीजेपी को एहसास है कि अगर नीतीश कुमार एक बार फिर से एनडीए में शामिल हो जाते हैं तो बिहार में इसका फायदा उन्हें मिलेगा. मगर दूसरा सवाल यह भी खड़ा होता है कि क्या बीजेपी इस बात का जोखिम उठाएगी कि जो नीतीश कुमार, जिनकी बिहार में राजनीतिक कद काफी घट चुकी है और जिन की विश्वसनीयता भी लगभग समाप्त हो चुकी है उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाए और फिर उन्हीं के नेतृत्व में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़े? नीतीश कुमार अगर दोबारा बीजेपी के साथ आते हैं तो किस रूप में आएंगे और किस तरीके से बीजेपी उन्हें अपने साथ ले गई इसको भी लेकर अभी बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं.

नीतीश का पॉलिटिकल ट्रैक रिकॉर्ड

नीतीश कुमार के पिछले दो दशक की राजनीति पर नजर डालें तो यह बात सामने आती है कि नीतीश जिस किसी भी गठबंधन साथी के साथ रहते हैं उन्हीं को वह डरा कर रखते हैं और फिर मुख्यमंत्री के पद पर बने रहते हैं. 2005 से लेकर 2013 के बीच नीतीश कुमार बीजेपी के साथ सत्ता में रहे. 2017 के बाद भी नीतीश कुमार जब दोबारा बीजेपी के साथ आए तो ऐसे कई मौके आए जब बीजेपी के साथ रहते हुए नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद और उनके परिवार के द्वारा ईद के मौके पर दिए गए इफ्तार पार्टी में शामिल हुए जिसकी वजह से बीजेपी की धुकधुकी बढ़ जाती थी. 

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वैसा ही कुछ अभी भी देखने को मिल रहा है जब नीतीश कुमार आरजेडी के साथ सरकार में हैं मगर G-20 कार्यक्रम में नीतीश कुमार की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद कहीं ना कहीं लालू और कांग्रेस की धुकधुकी बढ़ गई है. पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार का जो ट्रैक रिकॉर्ड रहा है उससे यह कोई भी अब दावे से नहीं कह सकता है कि नीतीश कुमार इंडिया गठबंधन में बने रहेंगे और बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे? यही वह अनिश्चितता है जो समय-समय पर बीजेपी और आरजेडी में नजर आती है जिसकी वजह से नीतीश कुमार इन दोनों दलों का इस्तेमाल करते आए हैं और पिछले 18 सालों से मुख्यमंत्री बने हुए हैं.

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