
बिहार में राजनीतिक हलचल के बीच बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात कर इस्तीफा सौंप दिया है. दरअसल, बुधवार सुबह लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी ने साफ कर दिया था कि नीतीश कुमार ने उनसे इस्तीफा नहीं मांगा है. जिसके बाद नीतीश ने खुद ही इस्तीफा दे दिया. गौरतलब है कि पिछले 4 सालों में ऐसे कई मौके आए हैं जब नीतिश ने अपने फैसले से सभी को चौंका दिया है.
भाजपा का साथ छोड़ना और मांझी से सीएम बनाना
16 जून 2013 को नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ अपने 17 साल पुराने गठबंधन को तोड़ दिया था. इसकी वजह थी नरेंद्र मोदी को एक हफ्ते पहले ही अभियान समिति का चेयरमैन चुना जाना. हालांकि इसका खामियाजा नीतीश को लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा. लोकसभा चुनाव में हार के बाद नीतिश ने एक बार सबको चौंकाते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिए. वहीं, अपनी जगह महादलित समुदाय से आने वाले जीतनराम मांझी को सीएम बना दिया. हालांकि बाद में दोनों के बीच दरार आ गई. इसके चलते जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री से इस्तीफा दे दिया और नीतीश एक बार फिर बिहार के सीएम बने.
लालू से गठबंधन और बिहार चुनाव में जीत
राज्य में 2015 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लालू प्रसाद की पार्टी राजद, नीतीश की जदयू और कांग्रेस ने मिलकर महागठबंधन का ऐलान किया. गौरतलब है कि कभी नीतीश और लालू कट्टर विरोधी हुआ करते थे. जदयू और राजद ने 100-100 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि कांग्रेस को 40 सीटें दी गईं. राजनीतिक पंडितों ने इसे बेमेल गठजोड़ करार देते हुए हैरानी जताई. लेकिन सारे अनुमानों को धता बताते हुए महागठबंधन को चुनाव में स्पष्ट बहुमत मिला और नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनी.
नोटबंदी, जीएसटी और राष्ट्रपति चुनाव में कोविंद का समर्थन
लालू के साथ दो साल तक सब कुछ ठीक चला लेकिन पिछले साल नरेंद्र मोदी ने बीते आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की. महागठबंधन के स्टैंड से उलट नीतीश ने नोटबंदी के सपोर्ट में आकर सबको चौंका दिया था. यही नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा नोटबंदी के समर्थन में बयान देते वक्त उनके बाएं और दाएं आरजेडी और कांग्रेस के नेता विराजमान थे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक तरफ उप मुख्यमंत्री और लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव तो दूसरी तरफ कांग्रेस के बिहार के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी बैठे हुए थे.
नोटबंदी के कुछ महीने बाद महागठबंधन के स्टैंड से अलग नीतिश ने जीएसटी का सपोर्ट किया. जीएसटी की पैरवी करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि जीएसटी अच्छी कर प्रणाली है और सभी दलों को जीएसटी लांच का समर्थन करना चाहिए. जीएसटी के बाद नीतीश कुमार ने एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देकर सबको चौंका दिया. विपक्ष द्वारा मीरा कुमार को राष्ट्रपति प्रत्याक्षी बनाने के बावजूद नीतिश अपने स्टैंड पर कायम रहे.