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'ये मेरी मूर्खता से मुख्यमंत्री बना', विधानसभा में जीतन राम मांझी पर भड़के CM नीतीश कुमार

सीएम नीतीश कुमार बिहार विधानसभा में बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी पर भड़क गए. उस वक्त विधानसभा में जातिगत सर्वे और आरक्षण का दायरा बढ़ाने वाले बिल पर चर्चा चल रही थी. इसी बीच सदन में हंगामा हो गया.

सीएम नीतीश ने पूर्व सीएम मांझी पर टिप्पणी की सीएम नीतीश ने पूर्व सीएम मांझी पर टिप्पणी की
शशि भूषण कुमार
  • पटना,
  • 09 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:22 PM IST

बिहार विधानसभा में गुरुवार को जातिगत सर्वे और आरक्षण का दायरा बढ़ाने पर चर्चा हुई. इस दौरान सीएम नीतीश कुमार और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के बीच तीखी बहस देखने को मिली. सीएम नीतीश ने यह तक कह दिया कि मांझी उनकी (नीतीश) की मूर्खता से सीएम बने.

बता दें कि चर्चा के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा था कि हम नहीं मानते कि बिहार की जातिगत जनगणना सही हुई है. अगर आंकड़े गलत हैं तो सही लोगों तक लाभ नहीं पहुंचेगा. देखें वीडियो

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इस बीच नीतीश अचानक भड़क गए. वह बोले, 'इस आदमी (मांझी) को कोई आइडिया है. इसको हमने मुख्यमंत्री बना दिया था. दो महीने के अंदर ही मेरी पार्टी के लोग कहने लगे इसको हटाइए. ये गड़बड़ है. फिर हम मुख्यमंत्री बने थे. कहता रहता है, ये मुख्यमंत्री था... ये क्या मुख्यमंत्री था. ये मेरी मूर्खता से सीएम बना.'

नीतीश ने आगे कहा कि ये (मांझी) गवर्नर बनना चाहता है. इसके बाद सीएम ने बीजेपी के विधायकों की तरफ इशारा करते हुए कहा- इसको राज्यपाल बना दीजिए. इसके बाद मामला बिगड़ता देख सत्तापक्ष की तरफ से कुछ विधायक और तेजस्वी यादव ने नीतीश को संभाला. बाद में विजय कुमार चौधरी ने नीतीश को रोका.

इस मामले पर मांझी का बयान भी आया है. उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार अगर आपको लगता है कि आपने मुझे मुख्यमंत्री बनाया तो यह आपकी भूल है. जब जदयू विधायकों ने लतियाना शुरू किया तो उसके डर से आप कुर्सी छोड़कर भाग गए थे. आप एक दलित पर ही वार कर सकतें है, औकात है तो ललन सिंह के खिलाफ बोलकर दिखाएं जो आपका ऑपरेशन कर रहें थे.'

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नीतीश ने मांझी को बनाया था सीएम

बता दें कि जीतन राम मांझी पहले नीतीश कुमार के करीबी नेताओं में से एक माने जाते थे. साल 2014 में जब लोकसभा चुनाव में JDU को करारी हार मिली तो नीतीश ने सीएम पद से इस्तीफा देकर 9 मई, 2014 को अपने 'विश्वासपात्र' महादलित समाज के जीतनराम मांझी को ये पद सौंप दिया था.

शुरुआत में मांझी को 'रिमोट कंट्रोल सीएम' कहा गया, लेकिन धीरे-धीरे मांझी खुद बड़े फैसले लेने लगे और नीतीश से उनकी दूरियां बढ़ने लगीं. धीरे-धीरे स्थिति जब बिगड़ी तो पार्टी ने मांझी को इस्तीफा देने के लिए कहा लेकिन वे मुकर गए. फिर उनको JDU से निकाल गया गया. इस तरह जीतनराम मांझी मई 2014 से फरवरी 2015 तक नौ महीने बिहार के सीएम रहे.

बाद में एक इंटरव्यू में मांझी ने ये तक कह दिया था कि नीतीश ने नैतिकता का नाटक किया और अपनी खस्ता होती स्थिति से उबरने के लिए इस्तीफा दे दिया और मांझी को ढाल बनाया.

75% आरक्षण वाला विधेयक पास

विधानसभा में हंगामे से पहले 75% आरक्षण वाला विधेयक बिना विरोध के पास हो गया था. बिहार में अभी आरक्षण की सीमा 50 फीसदी है. EWS को 10% आरक्षण इससे अलग मिलता था. अब अगर नीतीश का बिल कानून में बदलता है तो आरक्षण की 50% की सीमा टूट जाएगी. बिहार में कुल 65 फीसदी आरक्षण मिलने लगेगा. इसके अलावा EWS का 10% आरक्षण अलग रहेगा.

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वर्ग अभी कितना आरक्षण प्रस्ताव
अत्यंत पिछड़ा वर्ग 18 प्रतिशत 25%
पिछड़ा वर्ग 12 प्रतिशत 18%
अनुसूचित जाति 16 प्रतिशत 20%
अनुसूचित जनजाति 1 प्रतिशत 2%
EWS 10 प्रतिशत 10%

विधानसभा में नीतीश के बयान पर पहले भी हंगामा

बिहार विधानसभा का ये सत्र सीएम नीतीश के बयानों के चलते चर्चा में रहा है. इससे पहले मंगलवार को जातिगत सर्वे से जुड़े आंकड़ों पर चर्चा हो रही थी. इसमें नीतीश ने महिला साक्षरता और जनसंख्या को जोड़कर बयान दिया. इसपर हंगामा हो गया था. 

सीएम ने कहा था, 'लड़की पढ़ लेगी अगर, तो जब शादी होगा. तब पुरुष रोज रात में करता है ना. उसी में और (बच्चे) पैदा हो जाता है. लड़की अगर पढ़ लेगी तो उसको भीतर मत ..., उसको .... कर दो. इसी में संख्या घट रही है.' इस बयान पर हंगामे के बाद सीएम नीतीश ने माफी मांगी थी.

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