
एक तरफ बीजेपी और कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पूरी ताकत झोंक रखी है. दूसरी तरफ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने में जुटे हैं. कर्नाटक में 10 मई को मतदान होना है और 13 मई को नतीजे आने हैं. इसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने चुनाव जीतने के लिए जबरदस्त प्रचार-प्रसार किया है. वहीं, दिलचस्प बात यह है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने विपक्षी दल के नेताओं से मुलाकात का सिलसिला तेज कर दिया है.
जहां बीजेपी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह व कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी कर्नाटक में प्रचार प्रसार करने में पूरी ताकत लगा रहे थे, उसी समय नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता को और मजबूत करने के लिए एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से संपर्क साधा.
शरद पवार व उद्धव ठाकरे से फोन पर बातचीत की
पिछले सप्ताह नीतीश कुमार की तरफ से बिहार विधान परिषद के चेयरमैन एवं जनता दल यूनाइटेड के नेता देवेश चंद्र ठाकुर नीतीश का पैगाम लेकर शरद पवार व उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. उसके ठीक बाद शनिवार को नीतीश ने महाराष्ट्र के इन दोनों दिग्गज नेताओं से फोन पर बातचीत की.
11 मई को मुंबई जाएंगे नीतीश कुमार
इस पूरी कवायद के बाद 11 मई को नीतीश कुमार मुंबई जा रहे हैं. जहां वह शरद पवार, उद्धव ठाकरे से मिलेंगे. इससे पहले नीतीश मंगलवार यानी 9 मई को भुवनेश्वर पहुंचेंगे. यहां वह ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात करेंगे और विपक्षी एकजुटता के मुद्दे पर चर्चा करेंगे.
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के जो भी नतीजे आएंगे, वह आने वाले दिनों में नीतीश कुमार की विपक्षी एकजुटता में महत्वपूर्ण भूमिका को निर्धारित करेंगे. नीतीश कुमार के लिए इस वक्त सबसे बड़ी समस्या यह है बेशक वो विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं के साथ मुलाकात कर रहे हों, मगर जिस तरीके से उन्होंने बिहार में लगातार पलटी मारी है, उससे उनकी छवि एक विश्वसनीय नेता की नहीं बची है.
इसीलिए कोई भी विपक्षी नेता नीतीश कुमार के समर्थन में खुलकर सामने नहीं आ रहा है. अब अगर कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन करती है और जीत दर्ज करती है तो विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने में अगुआ बनने वाले नीतीश कुमार को कांग्रेस की तरफ से वह अहमियत नहीं मिलेगी, जिसकी वह उम्मीद कर रहे होंगे.
'...तो कांग्रेस पार्टी निभाएगी अहम भूमिका'
कर्नाटक में अगर कांग्रेस जीत हासिल करती है तो फिर विपक्ष की एकजुटता को मजबूत करने में कांग्रेस पार्टी अहम भूमिका निभाएगी. फिर नीतीश कुमार को कहीं ना कहीं अन्य विपक्षी दलों की तरह कतार में खड़ा होना पड़ेगा. इसके उलट, अगर कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की जीत होती है तो यकीनन कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका होगा. जबकि नीतीश कुमार की अहमियत सबसे महत्वपूर्ण नेता के तौर पर होगी.
कर्नाटक में बीजेपी की जीत का साफ मतलब होगा कि नीतीश कुमार कांग्रेस को दरकिनार करके विपक्षी एकजुटता को मजबूत करने में सबसे आगे निकल जाएंगे. संभवतः अगर विपक्ष एकजुट होता है तो नीतीश प्रधानमंत्री का चेहरा भी बन सकते हैं.