
इस समय जब देश के नए राष्ट्रपति के लिए वोट डाले जा रहे हैं. बिहार की सियासत पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. अटकलें हैं कि अगले 24 घंटे में नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे अपने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो महागठबंधन पर भी खतरा मंडराने लगेगा. हालांकि राजनीतिक हालात पर नजर रखे विश्लेषक मानते हैं कि तेजस्वी की कुर्सी जाने पर भी महगठबंधन बचा रहेगा क्योंकि ये लड़ाई राजनीतिक समीकरणों में बदलाव की नहीं बल्कि महज इमेज और अहम की है.
घोटालों के मामले में सीबीआई की एफआईआर में नाम आने के बाद नीतीश कैबिनेट से तेजस्वी का जाना तय है. क्योंकि नीतीश की पार्टी जेडीयू लगातार कह रही है कि वो करप्शन के मामले में कोई समझौता नहीं करेगी. यानी मामला नीतीश की छवि का है जिनपर पिछले दो दशकों से मुख्यमंत्री रहने के बावजूद करप्शन का कोई आरोप नहीं है. अब सवाल सिर्फ ये है कि तेजस्वी खुद इस्तीफा देंगे या फिर नीतीश उन्हें बर्खास्त करेंगे. नीतीश को अपनी छवि की चिंता है तो सवाल लालू के अहम का भी है.
आरजेडी का तर्क है कि संख्याबल में ज्यादा होने के बावजूद नीतीश या जेडीयू उसके साथ गैरों जैसा बर्ताव नहीं कर सकते. आरजेडी जानती है कि महागठबंधन बचाना जितनी उसकी मजबूरी है उतनी ही नीतीश और जेडीयू की है इसलिए नीतीश को ही इसे बचाने की पहल करनी चाहिए और लालू से बात कर कोई बीच का रास्ता निकालना चाहिए. पार्टी नेता अब खुलकर कहने लगे हैं कि नीतीश को लालू से बात करनी चाहिए.
क्या होगा बीच का रास्ता
इतना साफ है कि नीतीश अब तेजस्वी को किसी कीमत पर सरकार में नहीं देखना चाहते. उन्हें हटाने पर महागठबंधन टूट जाए और फिर से बीजेपी की मदद से सरकार चलानी पड़े नीतीश ऐसा भी नहीं चाहेंगे. यही वजह है कि बीच के रास्ते की बात की जा रही है. एक विकल्प ये है कि तेजस्वी को इस्तीफा देने को कहा जाए और लालू अपने परिवार से किसी अन्य को डिप्टी सीएम बनवा दें. इस कड़ी में लालू की बेटी रोहिणी यादव का नाम भी चर्चा में चल रहा है.
क्या है लालू का प्लान-बी
नीतीश के साथ गठजोड़ कर सियासी वापसी करने वाले लालू का रुख सख्त भले ही दिख रहा हो लेकिन किसी भी सूरत में वे महागठबंधन को टूटते देखना नहीं चाहेंगे. तेजस्वी के इस्तीफे के बाद सरकार पर दबाव बनाए रखने के लिए आरजेडी के सभी मंत्री नीतीश मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे सकते हैं लेकिन नीतीश सरकार को बाहर से समर्थन जारी रहेगा. बीजेपी नीतीश सरकार को समर्थन का ऐलान कर चुकी है ऐसे में लालू नीतीश को बीजेपी खेमे में जाने से रोकने के लिए बाहर से समर्थन वाला कदम उठा सकते हैं.
इन 5 कारणों से नीतीश नहीं जाएंगे बीजेपी के साथ
भले ही बीजेपी नीतीश कुमार की तारीफ कर रही हो और लालू से अलग होने पर समर्थन का ऐलान कर रही है लेकिन नीतीश के बीजेपी खेमे में जाने की संभावनाएं कम ही हैं. ये हैं 5 कारण-
1. मोदी के कट्टर विरोधी की रही है छवि
2. मोदी-शाह युग में एनडीए में नीतीश के लिए अवसर कम होंगे
3. मोदी के खिलाफ विपक्ष में भविष्य में अच्छी संभावनाएं
4. विपक्ष के सबसे भरोसेमंद चेहरे
5. तीसरा मोर्चा बनने की सूरत में नीतीश के हाथ मिल सकती है बागडोर
हालांकि, बीजेपी के साथ जाकर नीतीश एक लंबा दांव भी खेल सकते हैं. बीजेपी के वोटबैंक और अपने चेहरे की बदौलत नीतीश बिहार में एक लंबी सियासी पारी खेल सकते हैं.