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बिहारः राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में नीतीश ने दिया बीजेपी का साथ, फिर क्यों बदलना पड़ा पाला?

बिहार में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हो गया है. हालांकि, ये ऐसा परिवर्तन है जिसमें मुख्यमंत्री का चेहरा वही नीतीश कुमार हैं, लेकिन बाकी किरदार बदल गए हैं. नीतीश कुमार ने बीजेपी को झटका देते हुए गठबंधन तोड़ लिया है और अब लालू यादव की पार्टी आरजेडी के साथ मिलकर नई सरकार बना ली है. लेकिन सवाल ये है कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी का साथ देने वाले नीतीश कुमार ने अचानक इतना बड़ा फैसला क्यों ले लिया?

बिहार के सीएम नीतीश कुमार बिहार के सीएम नीतीश कुमार
सुजीत झा
  • पटना,
  • 10 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 11:36 PM IST

बिहार में जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन टूटने के बाद महागठबंधन की सरकार बन गई है. बुधवार को राजभवन में नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वहीं तेजस्वी यादव ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. अब बिहार में आए सियासी तूफान के मायने तलाशे जा रहे हैं. सभी लोग अपने-अपने तरीकों से इसकी समीक्षा करने में जुटे हैं. वहीं Aajtak ने इस सियासी तूफान की नींव टटोली. बड़ा सवाल ये है कि अगर बीजेपी ने जदयू को तोड़ने की कोशिश बहुत पहले शुरू कर दी थी, तो फिर नीतीश कुमार की पार्टी ने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान बीजेपी का साथ क्यों दिया ? ये पूरा खेल अचानक नहीं हुआ. इसकी पटकथा बहुत पहले लिखी जा चुकी थी. इस मामले में मोहरा भले आरसीपी सिंह हों, लेकिन तेजस्वी के साथ जाना बहुत पहले प्लानिंग का हिस्सा था.

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अब सोचिए हाल तक बीजेपी और जेडीयू के नेता लोकसभा 2024 और विधानसभा 2025 का चुनाव साथ लड़ने का दावा कर रहे थे. वहीं जदयू ने भी मजबूती के साथ राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का साथ दिया. ठीक उसके बाद उपराष्ट्रपति चुनाव में भी जदयू ने भाजपा का साथ दिया, लेकिन अचानक कुछ दिनों में ऐसा क्या हुआ कि नीतीश कुमार ने इतना बड़ा फैसला ले लिया और बीजेपी को पूरी तरह छोड़कर 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. सवाल उठ रहा है कि क्या राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव तक राजद से डील नहीं हो पाई थी या फिर सोनिया गांधी ने लालू को मनाया नहीं था? तमाम ऐसे सवालों पर मंथन जारी है.

हमने बीजेपी को धोखा नहीं दिया-जेडीयू
 

इस मामले पर जदयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि जदयू ने भाजपा को धोखा नहीं दिया है. यह बात इसी से साबित होती है कि हमने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी बीजेपी का साथ दिया. लेकिन जैसे ही हमें जानकारी मिली कि हमारी पार्टी को तोड़ने की साजिश की जा रही थी. उसके बाद हमने, हमारे विधायकों ने और पार्टी के नेता नीतीश कुमार ने मिलकर निर्णय लिया. 

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बीजेपी ने नीतीश के खिलाफ खोला मोर्चा
 

इधर बीजेपी ने नीतीश कुमार के खिलाफ पहले से मोर्चा खोल रखा है. बीजेपी नेताओं के बयानों के अलावा सोशल मीडिया पर अभी मुख्य टारगेट नीतीश कुमार हैं. किसी भी नेता का ट्वीट और फेसबुक एकाउंट देख लीजिए. उसमें पलटूराम, धोखेबाज सरीखे शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है. 

नीतीश कुमार ने 8वीं बार ली सीएम पद की शपथ
 

जदयू के नेता नीतीश कुमार ने बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इसके साथ ही राजद नेता और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने दूसरी बार डिप्टी सीएम बने. राज्यपाल फागू चौहान ने राजभवन में दोनों नेताओं को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. शपथ लेने के बाद तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. 22 साल में यह 8वां मौका है, जब नीतीश कुमार राज्य के सीएम बने हैं. 

महागठबंधन में शामिल हैं 7 पार्टियां
 

नीतीश कुमार ने मंगलवार को बीजेपी से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ आने का ऐलान किया था. महागठबंधन में इस बार 7 पार्टियां शामिल हैं. बिहार में 243 विधानसभा सीटें हैं. यानी बहुमत के लिए 122 सीटों की जरूरत है. वहीं, नीतीश कुमार ने 164 विधायकों के समर्थन होने का दावा किया है. 

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