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बिहार: सैनिटाइजेशन से कोविड टेस्ट तक, इस गांव के लोगों ने ऐसे बैन की कोरोना की एंट्री

इस गांव का नाम कटैया है जो सुपौल जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर है. इस गांव में स्थानीय लोगों ने जिस तरीके से अनुशासन का परिचय दिया है उसी के कारण कोरोना की दोनों लहरों में इस गांव का एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ है.

कटैया गांव के बाहर सेनीटाइज करते हुए ग्रामीण कटैया गांव के बाहर सेनीटाइज करते हुए ग्रामीण
रोहित कुमार सिंह
  • सुपौल,
  • 23 मई 2021,
  • अपडेटेड 5:41 PM IST
  • गांव में किसी बाहरी की एंट्री नहीं है
  • बिना काम किसी को बाहर नहीं जाने दिया जाता
  • बाहर से आने वालों को किया जाता है क्वारनटीन

बिहार के सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड में एक ऐसा गांव है जहां पर पिछले 2 सालों में कोविड-19 संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है. इस गांव का नाम कटैया है जो सुपौल जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर है.

इस गांव में स्थानीय लोगों ने जिस तरीके से अनुशासन का परिचय दिया है, उसी के कारण पिछले साल जब संक्रमण ने दस्तक दी और इस साल जब संक्रमण की दूसरी लहर आई, तब भी इस गांव में कोई भी मरीज संक्रमित नहीं हुआ.

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आजतक की टीम इस गांव में पहुंची और जानने की कोशिश की कि आखिर ऐसे समय में जब ग्रामीण इलाकों में संक्रमण पूरी तरीके से फैल चुका है वैसे  में गांव के लोगों ने कैसे संक्रमण को मात दे रखी है. इस गांव का भ्रमण करने के बाद पता चला कि स्थानीय लोगों ने सतर्कता और स्वयं को ही अपना मुख्य हथियार बनाया है.

इस गांव में अब तक कोई भी मरीज कोविड-19 वायरस से संक्रमित नहीं हुआ है. बीते दिनों इसी गांव में स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र में कैंप लगाया गया था और गांव के तकरीबन डेढ़ सौ लोगों की कोविड-19 जांच की गई थी मगर किसी की भी रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई. इसकी मुख्य वजह यह है कि इस गांव के लोग ना ही बेवजह घर से बाहर जाते हैं और ना ही बाहरी लोगों को गांव में घुसने की इजाजत दी गई है.

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गांव को संक्रमण मुक्त रखने की जिम्मेदारी यहां के युवाओं ने उठाई है. गांव के मुख्य द्वार पर ही पूरी तरह से बांस-बल्ला लगाकर बैरिकेडिंग की गई है. गांव के मुख्य द्वार पर 24 घंटे कोई न कोई व्यक्ति सैनिटाइजर लेकर मौजूद रहता है. गांव का व्यक्ति किसी कारण से अगर बाहर जाता है तो वापस आने पर उसे सैनिटाइज किया जाता है जिसके बाद ही उसे गांव में प्रवेश दिया जाता है.

इस गांव के लोग जो दूसरे प्रदेशों में काम करते हैं अगर वापस लौटते हैं तो उन्हें भी गांव में घुसने की इजाजत नहीं दी जाती है. सबसे पहले वैसे लोगों का कोविड-19 टेस्ट करवाया जाता है और रिपोर्ट नेगेटिव आने पर ही गांव में घुसने दिया जाता है. अगर किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उससे क्वारनटीन सेंटर में भेज दिया जाता है.

इस गांव में आपसी सहमति से सभी लोगों ने किसी भी प्रकार के आयोजनों पर भी रोक लगा रखी है. गांव के युवकों की टोली रोजाना हर एक घर को सैनिटाइज करवाती है ताकि गांव संक्रमण मुक्त रहे. गांव का कोई भी व्यक्ति अगर किसी कारण से बाहर जा रहा है और उसके पास मास्क नहीं है तो उसे मास्क उपलब्ध करवाया जाता है.

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सुपौल जिला प्रशासन ने भी माना है कि कटैया गांव के लोग संक्रमण के दौरान काफी सतर्क रहे हैं जिसकी वजह से इस गांव में कोई भी पॉजिटिव मरीज अब तक नहीं सामने आया है.

सुपौल के एसडीएम मनीष कुमार ने आजतक को बताया, “इस गांव का पूरा समाज शुरू से ही संक्रमण को लेकर काफी जागरुक रहा है. वहां के लोग बाहरी लोगों को क्वारनटीन करते हैं उसके बाद ही उन्हें गांव में घुसने की इजाजत दी जाती है. इस गांव में जो अनुशासन अपनाया है वह सबके लिए अनुकरणीय है”

 

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