
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने पिछले 33 सालों में विकास के नीतीश-लालू मॉडल पर सवाल खड़े कर दिये हैं. उन्होंने कहा है कि यह दूरदृष्टि की कमी ही है जिसके कारण बिहार में आज तक एक भी पांच सितारा होटल नहीं है.
गया जैसे ऐतिहासिक शहरों का उदाहरण देते हुए सिंह ने कहा, 'जहां हर साल लाखों लोग 'पिंडदान' करने आते हैं, नालंदा (पावापुरी) जो जैन समुदाय के लिए महत्वपूर्ण स्थान है, पटना जो सिखों के 10वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का जन्मस्थान है, बेतिया और मुंगेर जो ईसाइयों के लिए महत्वपूर्ण पूजा स्थल हैं वहां कोई पांच सितारा होटल नहीं है.
नीतीश में दूरदृष्टि की कमी: आरसीपी सिंह
आरसीपी सिंह ने कहा कि बिहार में पर्यटन के क्षेत्र में बहुत बड़ी संभावना है और रोजगार पैदा करने का अवसर भी है लेकिन पिछले 33 सालों में दूरदृष्टि की कमी के कारण देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए प्रदेश में एक भी फाइव स्टार होटल का निर्माण नहीं किया गया है.
उन्होंने मौजूदा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, "नीतीश कुमार यह नहीं समझ पाए हैं कि राज्य में पर्यटन की इतनी संभावनाएं हैं, बिहार का भाग्य तभी बदलेगा जब राज्य में पर्यटन स्थलों का एकीकृत विकास होगा.''
आरसीपी सिंह ने पूछा, 'नीतीश बाबू, जब पर्यटक आएंगे, तो कहां ठहरेंगे, विदेशी मेहमान आ गए तो उनके खाने-पीने की क्या व्यवस्था होगी? क्या आपको कभी ऐसा लगता है कि आज बिहार में एक भी मैरिज डेस्टिनेशंस नहीं है.'
बिहार 5 स्टार होटल के लिए तरह रहा: आरसीपी सिंह
उन्होंने कहा, ''मुख्यमंत्री के साथ काम करने वाले राजनेता और अधिकारी अक्सर मैरिज डेस्टिनेशन की तलाश में बिहार से बाहर जाते हैं. ये कैसा विकास का बिहार मॉडल है जो पिछले 33 सालों में आपने और आपके साथी (लालू प्रसाद) ने बनाया है जिसमें बिहार आज भी एक 5 स्टार होटल के लिए तरस रहा है.''
आरसीपी सिंह ने अपने लंबे ट्वीट में आगे लिखा, 'बिहार के मुख्यमंत्री को चेतावनी है कि वे राज्य के मुख्यमंत्री रहकर टाइमपास न करें.' उन्होंने कहा, कि राज्य के लोगों के लिए नारा "बिहार जिंदाबाद" था, लेकिन नीतीश और लालू के लिए नारा "कुर्सीवाद जिंदाबाद" था.
आखिर क्या होता है थ्री स्टार और फाइव स्टार होटल में अंतर
किसी भी होटल को थ्री स्टार और फाइव स्टार होटल की रेटिंग के लिए एक कई मापदंड पूरे करने होते हैं. होटलों को 2 स्टार, 3 स्टार, 4 स्टार या फाइव स्टार होटल की मान्यता देने के लिए पर्यटन मंत्रालय के अधीन एक कमेटी है जो होटलों की रेटिंग तय करती है.
इसे होटल एंड रेस्टोरेंट अप्रूवल एंड क्लासिफिकेशन कमेटी के नाम से जाना जाता है. इसके दो विंग होते हैं. एक विंग थ्री स्टार और दूसरी विंग फोर स्टार या फिर उससे ऊपर के होटलों को रेटिंग देती है.
थ्री स्टार या फाइव स्टार रेटिंग के लिए कमेटी होटलों का दौरा करती है जहां सफाई, सर्विस, होटल के कमरों की साइज, पब्लिक एरिया, लॉबी, रेस्टोरेंट, बार, शापिंग, कॉन्फ्रेंस हॉल, बिजनेस सेंटर, फायर फाइटिंग सिस्टम, सुरक्षा, स्विमिंग पूल, हेल्थ कल्ब, ऐसेसरीज जैसे पैमानों को परखती है जिसके बाद इनको अंक दिया जाता है.
फिर उस अंक के आधार पर होटलों की रेटिंग तय होती है कि वो होटल थ्री स्टार है, फोर स्टार है या फिर फाइव स्टार. फाइव स्टार होटल का किराया आमतौर पर साधारण और थ्री स्टार होटल से कई गुणा ज्यादा होता है. ये कीमत पर्यटन स्थल और अलग-अलग क्षेत्र पर निर्भर करता है.