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बिहार में सरकार की भी नहीं सुन रहे अधिकारी? एक खत से उठे सवाल

बिहार में अधिकारी मनमानी कर रहे हैं. सरकार की ओर से पारित कैबिनेट के आदेशों पर कोई गंभीरता से काम नहीं हो रहा है. यही वजह है कि कई काम लंबित पड़े हुए हैं. वहीं इस मामले पर बीजेपी का कहना है कि राजद को अपना शासन देखना चाहिए.

बिहार विधानसभा. (File Photo) बिहार विधानसभा. (File Photo)
सत्यजीत कुमार
  • पटना,
  • 28 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 8:59 PM IST
  • सरकारी योजनाओं की हो रही अनदेखी
  • कैबिनेट से पास प्रस्तावों पर अफसरों ने नहीं किया काम

बिहार में कुछ वर्ष पहले जब अफसरशाही की चर्चा हुई तो नीतीश कुमार के इर्द गिर्द रहने वाले अधिकारियों को लोगों ने नौ रत्न के नाम दिए. कई तरह की बातें कही गईं, लेकिन ताजा मामला कैबिनेट के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ के एक पत्र का है, जिसके बाहर आने से हड़कंप मच गया है. आरोप है कि बिहार कैबिनेट से सैकड़ों एजेंडों को पारित तो कर दिया जाता है, लेकिन उसे लागू नहीं किया जाता, क्योंकि बिहार के अधिकारी किसी की सुन नहीं रहे हैं.

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बिहार सरकार में अधिकारी कैसे काम करते हैं? उनकी सरकार के योजनाओं की अनदेखी का परसेंटेज क्या है? जरा इन आंकड़ों पर नजर डालिए. 17 नवंबर 2020 से 19 जुलाई 2020 तक मंत्रिपरिषद में पास हुए प्रस्तावों की संख्या 2050 है. इनमें से 825 प्रस्ताव ही स्वीकृत हुए, जिनमें 374 प्रस्तावों की कार्ययोजना और अनुपालन लंबित है.

इस मामले में बिहार के शिक्षा मंत्री और सरकार में पावर सेंटर के करीब रहने वाले विजय जौधरी का कहना है कि इस पूरे मामले को सरकार देखेगी कि आखिर क्यों ऐसी स्थिति हुई है. कैबिनेट के प्रस्ताव लागू होने के लिए समय सीमा निर्धारित होती है. अगर काम नहीं हुआ होगा तो सरकार इसकी जांच कराएगी.

कई साल से लंबित हैं कैबिनेट से पारित प्रस्ताव

कैबिनेट की ओर से पारित प्रस्ताव पिछले कई सालों से लंबित हैं. राज्य सरकार की नीति निर्धारण की बड़ी संस्था के रूप में कैबिनेट के फैसले को देखा जाता है. प्रस्ताव पास होते हैं. नियम बनते हैं, तब जाकर विकास की योजनाएं शुरू होती हैं. कैबिनेट सचिवालय द्वारा जो पत्र जारी किया गया है, उसके मुताबिक, कुल 374 ऐसे एजेंडे हैं, जिस पर कैबिनेट सचिवालय को ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें बताया गया हो कि कार्य शुरू हो गया है. 

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पत्र के मुताबिक, इसमें नगर विकास एवं आवास विभाग के लिए 55 प्रस्ताव हैं, जिसमें मात्र 6 का अनुपालन किया गया है. 49 लंबित हैं. कृषि विभाग के कुल 32 प्रस्तावों में मात्र 6 पर अनुपालन हुआ है,  26 लंबित हैं. मुख्यमंत्री के पास मौजूद गृह विभाग का हाल और भी बुरा है. गृह विभाग के 53 प्रस्तावों पर मुहर लगी, सिर्फ 25 का अनुपालन हुआ, अन्य अभी लंबित हैं.

सरकार में अधिकारियों की इस मनमानी को राजद ने सरकार का फेल्योर बताते हुए नौकशाही हावी होने की बात कही है. वहीं बीजेपी नेता प्रेमरंजन पटेल ने कहा कि राजद को अपना शासन देखना चाहिए. उस समय तो कैबिनेट की बैठक भी नहीं होती थी. प्रस्तावों पर कार्रवाई बहुत जल्द होगी, समय रहते उसे लागू जरूर किया जाएगा.

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