Advertisement

Exclusive: ऑपरेशन झूम बराबर झूम... बिहार में शराबबंदी और सुशासन के दावों का चौंकाने वाला सच

बिहार में जहरीली शराब से परिवार के परिवार उजड़ गए. जांच के नाम पर फिर पुराना रिकॉर्ड बजाया गया और मुख्यमंत्री ने कह दिया... जो पिएगा वो मरेगा. लेकिन जो बेचने से रोक नहीं पाएगा वो क्यों जिम्मेदार नहीं? इस स्टिंग ऑपरेशन में बिहार सरकार के खोखले दावों की पोल खुल गई.

बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद नकली शराब का गोरखधंधा थम नहीं रहा है बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद नकली शराब का गोरखधंधा थम नहीं रहा है
मो. हिज्बुल्लाह
  • पटना,
  • 06 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 11:16 PM IST

बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद नकली शराब का गोरखधंधा थम नहीं रहा है. यहां यूपी-झारखंड से खाली बोतल और ब्रैंड के स्टीकर आते हैं तो वहीं नेपाल से स्प्रिट लाकर मिलवाटी और जहरीली शराब तैयार की जाती है. इतना ही नहीं, माफिया बिहार के किसी भी जिले में नकली शराब पहुंचाने का ठेका लेते हैं. इस मिलावटी शराब को चुनाव, शादी और पार्टियों में भी पहुंचाने का ठेका लिया जाता है. और बिना किसी खौफ के बोतल में बंद 'मौत' को आसानी से सप्लाई भी कर दिया जाता है. ये चौंकाने वाला खुलासा 'आजतक' के स्टिंग ऑपरेशन में हुआ है.

Advertisement

बिहार में जहरीली शराब से परिवार के परिवार उजड़ गए. जांच के नाम पर फिर पुराना रिकॉर्ड बजाया गया और मुख्यमंत्री ने कह दिया... जो पिएगा वो मरेगा. लेकिन जो बेचने से रोक नहीं पाएगा वो क्यों जिम्मेदार नहीं? इस स्टिंग ऑपरेशन में बिहार सरकार के खोखले दावों की पोल खुल गई. जिस जगह आजतक की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम पहुंची, वहां सुशासन सरकार की पुलिस को होना चाहिए था. पुलिस की आंखों की पट्टी हटाने के लिए ही आजतक की टीम ने स्टिंग में हैरान करने वाला खुलासा किया.

राजधानी पटना से सिर्फ 85 किमी दूर समस्तीपुर में छिपे हुए कैमरे के साथ आजतक रिपोर्टर एक नाव में पहुंचे. जहां मुंह ढंके दो लोग मिले.नाव में हरे रंग की एक बाल्टी थी, एक मग था. बाल्टी में ऐसी शराब थी जो अंग्रेजी ब्रैंड की शराब के नाम पर बोतलों में भरी जा रही थी. शराबबंदी वाले बिहार में नकली शराब बनाने की फैक्ट्री ऐसे ही चलती है.  

Advertisement

रिपोर्टर- यह कौन सी दारू आप लोग पैक कर रहे हैं?
शराब माफिया- @#$% है.
रिपोर्टर- अच्छा जो बात हुई थी हमारी, तो इतना ही है, कहां ज्यादा आप लोगों पास माल (शराब)?
शराब माफिया- माल (शराब) अभी तो भेज चुके हैं.
रिपोर्टर- कहां?
शराब माफिया- तुरंत पार्टी को दे देते हैं.
रिपोर्टर- नहीं... हम तो 2000 पीस (बोतल) की बात किए थे ना.
शराब माफिया- देंगे आपको माल. 

पहले आइए, पहले पाइए का ना दिखने वाला बोर्ड लगाए ये शराब माफिया समस्तीपुर में नदी के बीच में नाव पर बैठे हैं. जैसे शराब का लघु कुटीर उद्योग चल रहा हो. बाल्टी में घुली हुई ताजा तैयार नकली और अवैध शराब है. पास में खाली बोतलें हैं. मग से खाली बोतल में शराब भरी जाती है. और ब्रैंड का स्टीकर चिपका दिया जाता है. हाफ, क्वार्टर, फुल... सब तैयार और वो भी ओरिजिनल की गारंटी का दावा करके. 

रिपोर्टर- ओरिजिनल और इसमें क्या फर्क है? कोई फर्क है भी? जैसे मैं किसी को चुनाव में बाटूंगा?
शराब माफिया- पता नहीं चलेगा. एकदम ओरिजिनल है.
रिपोर्टर- 1 दिन में कितना (शराब) बना देते हैं आप लोग?
शराब माफिया- 1 दिन में 10 पेटी, 15 पेटी.
रिपोर्टर- 1 पेटी में कितना होता है?
शराब माफिया- 1 पेटी में हाफ 24 होता है और निप (क्वार्टर) 48 होता है.
रिपोर्टर- एक आदमी बना देता है (इतना माल)?
शराब माफिया- नहीं. दो-तीन आदमी मिलकर. 

Advertisement

नकली शराब का वो रोजगार. जहां एक दिन में दो-दो आदमी बैठकर 10 पेटी शराब ऐसे ही मजाक मजाक में बाल्टी से भरकर तैयार कर रहे हैं. जिसके लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी.

रिपोर्टर- यह बोतल आप लोग कहां से लाएं?
शराब माफिया- सब मिलता है. खरीद कर लाया 1500 सैकड़ा (1500 की 100).
रिपोर्टर- तो आप लोग नाव पर क्यों बना रहे हैं?
शराब माफिया- इधर ही बनाते हैं. उधर प्रशासन का ज्यादा है.
रिपोर्टर- कब से बना रहे हैं?
शराब माफिया- बहुत दिन से. 
रिपोर्टर- कितने लोगों की टीम है?
शराब माफिया- लगभग 10 आदमी.
रिपोर्टर- तो 10 आदमी. कितने नाव में बैठे हैं आप लोग?
शराब माफिया- बहुत सारे नाव है. देखिए इधर भी है. उधर भी है.
रिपोर्टर- एक नाव पर कितने आदमी बैठते हैं?
शराब माफिया-दो-तीन आदमी. अभी मजबूरी है तो दो आदमी.

एक नाव पर दो-तीन आदमी और दस से ज्यादा नाव. जहां नाप-नापकर हर चीज मिलाई जाती है और तैयार कर दी जाती है मिलावटी नकली अंग्रेजी शराब की बोतल.

रिपोर्टर- इसमें स्प्रिट कितना डलता है और पानी कितना डलता है?
शराब माफिया- हर चीज का लिमिट होता है. जैसे 20 लीटर स्प्रिट डालेंगे तो 6 कार्टन डालेंगे.
रिपोर्टर -क्या पानी?
शराब माफिया- हां.
रिपोर्टर- 6 कार्टन पानी?
शराब माफिया- हां. 6 कार्टन पानी डालते हैं.

Advertisement

यानी ऑपरेशन झूम बराबर झूम की पहली रिपोर्ट बताती है-

1- राजधानी पटना से शराबबंदी के दावे एक घंटे की दूरी पर फेल हैं. 
2-  अंग्रेजी ब्रैंड की नकली शराब बनाने का काम धड़ल्ले से जारी है. 
3-  समस्तीपुर समेत कई जिलों में नाव पर ही शराब तैयार की जा रही है. 
4-  बिहार में नकली शराब बनाने का संगठित उद्योग चलने लगा है. 
5-  नकली शराब को भी असली की गारंटी के साथ बेचा जा रहा है.  

15 रुपए की एक खाली बोतल. उसमें स्प्रिट के साथ पानी और रंग मिलाकर नाव पर बैठकर सुकून से शराबबंदी वाले बिहार में नकली शराब बन जाती है. नाव में बनती शराब का बिहार में चुनाव से कनेक्शन है. बिहार में अभी नगर निकाय चुनाव हुए हैं. इसी दौरान आजतक की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम के अंडर कवर रिपोर्टर वोटर को शराब की बोतल देने की डील करने के नाम पर शराब माफिया के पास पहुंचे.जिसने बिहार में कुटीर उद्योग की तरह नाव पर तैयार की जाती शराब तक पहुंचाया.

रिपोर्टर- यह कहां का माल है?
शराब माफिया- यह हरियाणा का है.
रिपोर्टर- हरियाणा का? सच में, ठोकवा (नकली शराब) है.
शराब माफिया-  ठोकवा नहीं, हरियाणा का.
रिपोर्टर- नहीं तो. ठोकवा (नकली शराब) लग रहा है.
शराब माफिया- नहीं देखिए ना. कहां से ठोकवा लग रहा है. कहीं से बुझा (समझ) रहा ठोकवा.
रिपोर्टर- हमको तो ये ही लग रहा है.
शराब माफिया- कहीं से अगर बुझा रहा है, देखिए स्कैन कीजिए.
रिपोर्टर- क्या स्कैन कीजिए. मतलब?
शराब माफिया- स्कैन करके देखिए ना तो को बुझा रहा है.
रिपोर्टर- तो स्कैन होगा तो वहीं निकलेगा? स्कैन करने पर वेबसाईट से verify हो जाता हैं.
शराब माफिया- जी

Advertisement

शराब माफिया समस्तीपुर में बैठकर इतनी गारंटी देता है कि जो नकली शराब ये नाव में तैयार कराएगा, उसका स्टीकर भी स्कैन कर लीजिए तो नकली नहीं असली की गारंटी मिलेगी. लेकिन आदमी पीएगा तो बचेगा कि नहीं? 

रिपोर्टर- ये ओरिजिनल दारू नहीं है?
शराब माफिया- जी. यह ओरिजिनल नहीं है दोस्त.
रिपोर्टर- तो इसको पीकर मर जाएगा?
शराब माफिया- मरेगा कैसे? कम मात्रा में डाला हुआ है.
रिपोर्टर- स्प्रिट कितने का लीटर लाते हैं आप लोग?
शराब माफिया- कम से कम 15,000 का 20 लीटर देता है.
रिपोर्टर- और फिर ढक्कन और सील और स्टीकर आप कह रहे हैं. किसको स्कैन करेंगे तो यह हो जाएगा.
शराब माफिया- इसका ₹200 पड़ता है.
रिपोर्टर- किसका?
शराब माफिया- ढक्कन का. स्टिकर का. स्कैनर का.
रिपोर्टर- अच्छा ₹200 आप लोग अलग से देकर लाते हैं?
शराब माफिया- हां. 

इसके बाद ये शराब माफिया हमें उन ब्रैंड्स का नाम भी बताता है, जिन-जिन के स्टीकर चिपकाकर ये नकली शराब तैयार करता है. ब्रैंड के नाम तो हमने छिपा लिए हैं. लेकिन उसने बताया कि बाल्टी में भरी नकली दारू में बस रंग गाढ़ा पतला करके कई ब्रैंड की शराब तैयार होती है.

रिपोर्टर- सबका कलर अलग-अलग होता है ना? टेस्ट अलग होता है ना?
शराब माफिया- कलर सर! जैसे यह है ना, जैसे @#$% (ब्रैंड का नाम) है. इससे मध्यम @#$% (ब्रैंड का नाम) में पड़ेगा. इसके बाद इससे हाई रहेगा तो @#$% (ब्रैंड का नाम) में पड़ता है. इससे भी हाई @#$% (ब्रैंड का नाम) में पड़ता है कलर.
रिपोर्टर- मतलब आप कोई भी दारू ले लो, सामान उसमें एक ही है?
शराब माफिया- एक ही है.

Advertisement

बाल्टी एक, मग एक, बोतल एक. ब्रैंड और रंग बस अलग-अलग. जहां स्प्रिट ज्यादा हो गई तो मौत, कम हुई तो पता नहीं. शराब जितना चाहिए माल तैयार है.

रिपोर्टर- मुझे नए साल पर कम से कम 30-40 पेटी चाहिए. कितने दिन में दे दोगे?
शराब माफिया- कम से कम 3-4 दिन लग जाएगा.
शराब माफिया- हम लोग बनाते हैं थोक में तो कम से कम मतलब 10 पेटी बनाया तो कम से कम 2 से 3 लीटर स्प्रिट लग जाता है.
शराब माफिया- टोटल खर्चा इसमें 10 पेटी में पड़ जाता है, 30 से ₹35 हजार.
रिपोर्टर- अच्छा 30-35 हजार रुपये.
शराब माफिया-  जी 30,35, 40, इतना भी पड़ सकता है.
रिपोर्टर- बनाने में फाइनल.
शराब माफिया- बनाने में फाइनल.
रिपोर्टर- और आप लोग 80,000 में उसको बेच देते हैं?
शराब माफिया- बेच देते 80 से 75 हजार में. 80 हजार. जैसा मिल गया वैसा रेट में बेच देते हैं. 

इसके बाद फिर अंडर कवर रिपोर्टर ने शराब माफिया से पूछा कि इसे पीकर मरेंगे या बचेंगे? 

रिपोर्टर- मुझे डर है कहीं पी के मर ना जाए.
शराब माफिया- फुल गारंटी है सर. पहले पीकर चेक कर लेंगे.

बिहार के सुशासन में ये शराबबंदी नहीं शराबचंगी का सुशासन है. जहां नकली शराब को भी खुद पहले टेस्ट करके देने की गारंटी के साथ माफिया बेचता है.  जिसकी बोतल और स्प्रिट कहां से आती है? उसने खुद खूफिया कैमरे पर बताई.

Advertisement

रिपोर्टर- तो यहां आते-आते महंगा क्यों हो जाता है?
शराब माफिया- इसलिए महंगा ज्यादा कि बोतल मिलता नहीं बिहार में.
रिपोर्टर- कहां से लाते हैं?
शराब माफिया- झारखंड से नहीं तो यूपी से.
रिपोर्टर- अच्छा, यह सब झारखंड-यूपी से आता है माल और स्प्रिट?
शराब माफिया- स्प्रिट नेपाल से आता है.
रिपोर्टर- अच्छा और यह ढक्कन और यह स्टिकर?
शराब माफिया- यह सब (ढक्कन और स्टिकर) जहां से बोतल भेजेगा ना वहीं से साथ भेजता है.

इस तरह सुशासन का सच दिखाने वाले ऑपरेशन झूम बराबर झूम की दूसरी रिपोर्ट बताती है- 

1- यूपी-झारखंड से खाली बोतल बिहार में नकली शराब के लिए पहुंचती है. 
2- नेपाल से स्प्रिट मंगाकर उसी से नकली शराब का खेल होता है. 
3- बड़े ब्रैंड के स्टीकर और ढक्कन की डिलिवरी भी यूपी और झारखंड से आती है. 
4-  शराब माफिया एक पेटी नकली शराब तीन हजार में तैयार करके 8-9 हजार में बेच रहा है. 
5-  शराब माफिया नकली शराब को पीकर ना मारने की गारंटी दे रहा है.  

बिहार में शराबबंदी के बावजूद मिलावटी, जहरीली और नकली शराब ही बिकती है, बल्कि जहरीली शराब से होने वाली मौत के आंकड़ों में भी खूब मिलावट होती है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े कहते हैं कि बिहार में जहरीली शराब से पांच साल में सिर्फ 23 लोगों की जान गई. जबकि मीड़िया की अलग-अलग रिपोर्ट्स में ही दावा है कि पांच साल में 20 से ज्यादा बड़ी घटनाएं मौत की सामने आई हैं. दिसंबर में ही 70 से ज्यादा जान गई. इसलिए सरकार के लिए जरूरी है कि मौत के आंकड़े छिपाने की जगह, चोरी छिपे नहीं बल्कि खुलकर नकली शराब बनाने वालों पर कार्रवाई करे.

शराब सप्लायर- इसमें का सब साइज मिल जाएगा. छोटा, बड़ा, मझला.
रिपोर्टर- क्या रेट है?
शराब सप्लायर- हम लोगों को ₹10500 खरीदारी पड़ा हुआ है.
रिपोर्टर- 10500 यहां का?
शराब सप्लायर- पेटी खरीदारी 48 पीस आता है. एक पेटी में छोटा वाला. छोटा या बड़ा लीजिए या बीच वाला लीजिए. सब मिलाकर.
रिपोर्टर- एक ही ब्रांड है?
शराब सप्लायर- हां अभी एक ही ब्रांड है.
रिपोर्टर- तो आप डिलीवर कर दोगे शहर में?
शराब सप्लायर- कहां पर भेजना है? वह पहले बताइए.
रिपोर्टर- वह बता देंगे. यह गांधी चौक के आसपास ही है.
शराब सप्लायर- हां पहुंच जाएगा. 
रिपोर्टर- 2000-2000 बोतल चाहिए अपने को.
शराब सप्लायर- हिसाब से हम लोग पहुंचा देंगे.
रिपोर्टर- देखो भाई हमें फसना नहीं है.
शराब सप्लायर- कोई ना. आप भी न फंसे, हम भी न फंसे. आप भी खुश रहिए. हम भी खुश रहें.

अभी तक आपने भी देखा कि किस तरह बिहार में हंसी-खुशी शराब के कारोबारी फल फूल रहे हैं. मर रहे हैं तो आम आदमी. और सरकार पल्ला झाड़ रही है. मुजफ्फरपुर में हमें एक स्प्रिट सप्लायर भी मिला, जो बताता है कि कैसे नकली शराब के खेल में एक चूक जहरीली शराब का घोल बना देती है.

स्प्रिट सप्लायर- दारूवाला सब लेकर जाता है. क्वांटिटी थोड़ा बहुत 19-20 हुआ मर गया. हम लोग चाहे तो बहुत अच्छे तरीके से बना देंगे. आदमी मरेगा भी नहीं और हर वैरायटी बना सकते हैं उसमें.
रिपोर्टर- तो उसमें क्या कलर मिलाकर बनता है या कुछ और कलर के लिए क्या डालते हैं?
स्प्रिट सप्लायर- सबका कलर है. दुनिया में जितना (शराब) है, सबका कलर है. स्प्रिट वाइट होता है. 

ये तीन चेहरे और नाव पर तैयार होती शराब सिर्फ एक हिस्सा है. पूरे बिहार में सोचिए ऐसी कितनी सैकड़ों नाव और माफिया नकली शराब के खेल में शामिल हैं. उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जब जहरीली शराब के मसले पर सुनवाई करेगा तो देखेगा कि बिहार में शराबबंदी सिर्फ एक भ्रम है. जहरीली शराब से बचाव के लिए बड़े एक्शन प्लान की जरूरत है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement