
कोरोना की तीसरी लहर से पहले बच्चों के वैक्सीनेशन का मामला गर्म है. सुप्रीम कोर्ट भी सरकार से बच्चों को वैक्सीन का रक्षा कवच देने के संबंध में सवाल पूछ चुका है. अब देश में 12 से 18 साल तक के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. बिहार की राजधानी पटना स्थित पटना एम्स में चल रहे को-वैक्सीन का बच्चों पर ट्रायल का पहला चरण सोमवार को पूरा हो गया.
सोमवार को 12 से 18 वर्ष के 17 अन्य बच्चों को को-वैक्सीन का पहला डोज दिया गया. इसके साथ ही पहले चरण में पटना एम्स में कुल 27 बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई. सोमवार को जिन 17 बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई उनको वैक्सीनेशन के बाद दो घंटे तक अस्पताल में चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया था. किसी भी तरह का कोई दुष्प्रभाव नजर नहीं आने पर इन बच्चों को घर जाने की इजाजत दी गई.
गौरतलब है कि 3 जून को पटना एम्स में बच्चों के ऊपर कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू किया गया था और उसी दिन कुल 3 बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई थी. इसके बाद 6 जून के दिन अन्य बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई थी. देश में कोरोनावायरस के तीसरे लहर से पहले बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए कई मेडिकल संस्थानों में बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. पटना एम्स में भी 12 से 18 वर्ष के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है.
पटना एम्स ने कोवैक्सीन के ट्रायल के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया था. यह लक्ष्य था वैक्सीन की पहली डोज 80 बच्चों को लगाने का. पहले चरण में वैक्सीन की पहली डोज 27 बच्चों को दी गई. इन सभी को वैक्सीन की दूसरी डोज 28 दिन के अंतराल पर लगाई जाएगी.