
पटना में वायु प्रदूषण को देखते हुए सभी ईंट-भट्ठा को जिग-जैक तकनीक पर आधारित चिमनी लगाने का निर्दश दिया गया है. बिहार के उपमुख्यमंत्री और वन एवं पर्यावरण मंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि पटना शहर में सर्दी के महीनों यानी अक्टूबर से मार्च तक वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक हो जाती है. इस दौरान वायु में छोटे कण पदार्थ की मात्रा 100 से 300 माईक्रोग्राम घनमीटर तक पाई गई है जबकि इसका स्तर 60 घनमीटर तक ही होना चाहिए.
सेंटर फॉर इन्वायरमेंट एंड इनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की ओर से आयोजित वायु प्रदूषण पर राष्ट्रीय सेमिनार के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में उपमुख्यमंत्री सह वन व पर्यावरण मंत्री सुशील कुमार मोदी ने ऐलान किया कि पटना, गया, मुजफ्फरपुर में वायु गुणवत्ता प्रबोधन केंद्र (CONTINUOUS AMBIENT AIR QUALITY MONITORING STATION) की संख्या बढ़ाई जाएगी और शहर के महत्वपूर्ण स्थलों पर वायु की गुणवत्ता से संबंधित बोर्ड डिस्पले की जाएगी.
सुशील मोदी ने कहा कि ईंट-भट्ठा वायु प्रदूषण के बड़े कारक हैं, इसलिए राज्य के सभी ईंट-भट्ठा मालिकों को जिग-जैक तकनीक पर आधारित चिमनी लगाने का निर्देश दिया गया है. पटना शहर के निकटवर्ती पांच प्रखंडों (ब्लॉक्स) में इस नई तकनीक को अपनाए बिना ईंट-भट्ठों को संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी नगर निगमों को निर्देश दिया गया है कि कचरे की ढुलाई तिरपाल से ढ़क कर करें. किसानों से उन्होंने अपील की कि वे अपने कृषि अवषिष्ट को जलाने से परहेज करें.
आने वाले दिनों में वायु के साथ ध्वनि प्रदूषण भी बड़ी चुनौती बनने वाला है. गाड़ियों के हॉर्न और अनावश्यक शोर से परेशानी बढ़ रही है. जल प्रदूषण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने तय किया है कि सीवरेज के पानी को उपचार के बाद भी गंगा में बहाने के बजाय उसका उपयोग खेती में किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पॉलीथिन बैग के प्रयोग को उसके निर्माण पर रोक लगा कर ही बंद किया जा सकता है.