
केरल के कोझिकोड एयरपोर्ट पर 7 अगस्त को एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने पर 19 लोगों की मौत हो गई. रिपोर्ट्स के मुताबिक हादसा तब हुआ जब सही लैंडिंग प्वाइंट मिस करने की वजह से रनवे से आगे निकल गया. इस हादसे ने एक बार फिर भारत में जोखिम वाले एयरपोर्ट्स का मुद्दा सुर्खियों में ला दिया. देश में कुछ एयरपोर्ट्स पर असल में छोटे रनवे हैं. इनमें पटना का जयप्रकाश इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी शामिल है.
इंडिया टुडे ने सूचना के अधिकार (RTI) के आवेदन के तहत पटना एयरपोर्ट को लेकर एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) से कुछ सवालों का जवाब जानना चाहा. इनमें ट्रैफिक फ्लो, रनवे के आकार और सिक्योरिटी ऑडिट से जुड़े सवाल थे.
किस सवाल का क्या मिला जवाब?
पटना एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई के बारे में हमारे सवाल पर AAI पटना ने जवाब दिया- "पटना के रनवे की लंबाई 2072 M (मीटर) है"
हमने यह भी पूछा था कि क्या पिछले पांच वर्षों में रनवे की लंबाई को बढ़ाया गया?
AAI ने इस पर जवाब दिया- "नहीं, यह पिछले पांच वर्षों में नहीं बढ़ा है."
पटना एयरपोर्ट से आनेजाने वाले यात्री विमानों में बोइंग 737 और एयरबस A320 प्रमुख हैं.
इसलिए, हमने RTI के तहत यह भी पूछा कि बोइंग 737 और एयरबस A320 विमानों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए आदर्श रनवे की लंबाई क्या है?
AAI ने इसका जवाब देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि "डेटा एयरलाइन ऑपरेटर्स/एजेंसियों से संबंधित है.’’ अमेरिका के फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन के डेटा के मुताबिक ऐसे विमान की सुरक्षित लैंडिंग के लिए आवश्यक रनवे की लंबाई 2,300 मीटर है. इसका मतलब है कि पटना में उपलब्ध 2,072 पर्याप्त नहीं है. यह कोझिकोड एयरपोर्ट के टेबलटॉप रनवे की लंबाई से भी कम है, जो लगभग 2,700 मीटर है.
क्या पटना एयरपोर्ट ने हवाई अड्डे की लंबाई का कोई सुरक्षा ऑडिट किया है? इस सवाल के जवाब में AAI ने कहा, "नहीं, इस प्रकार का ऑडिट नहीं किया गया है."
यदि आप कहीं से पटना के लिए उड़ान भरते हैं, तो यह देखना सामान्य है कि पायलटों को कैसे जोर से ब्रेक लगाना पड़ता है. इससे लगता है कि छोटा रनवे बड़े विमानों की स्मूथ लैंडिंग मुश्किल बनाता है.
क्या पटना एयरपोर्ट को शिफ्ट करने की योजना है?
इंडिया टुडे ने यह भी पूछा कि क्या मौजूदा पटना एयरपोर्ट को कहीं और शिफ्ट करने की कोई योजना है? AAI के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है. उसने अपने जवाब में कहा, "यह जानकारी इस कार्यालय को ज्ञात नहीं है." यह समय समय पर आने वाली उन न्यूज रिपोर्ट्स के उलट है जिनमें कहा जाता रहा है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय पटना एयरपोर्ट को बिहटा में शिफ्ट करने की योजना बना रहा है.
हमने पटना एयरपोर्ट पर हुई लैंडिंग की संख्या को लेकर पांच साल का डेटा भी मांगा. AAI ने जवाब में कहा, "यह आपके संज्ञान में लाना है कि ED (ATM), CHQ, AAI की ओर से जारी MATS (मैनुअल ऑफ एयर ट्रैफिक सर्विसेज) पार्ट 1 के सेक्शन 3.9.1 के मुताबिक ‘एयर ट्रैफ़िक रिटर्न्स’ को केवल 3 वर्षों की अवधि के लिए संरक्षित/बरकरार रखा जाता है. नीचे दी गई तालिका में, वर्ष के आधार पर लैंडिंग (सिर्फ एराइवल्स) की कुल संख्या वार्षिक आधार पर दी गई है.
क्रमांक | वर्ष | लैंडिंग की कुल संख्या (सिर्फ एराइवल्स) |
1 | 2019-20 | 17269 |
2 | 2018-19 | 15958 |
3 | 2017-18 | 12099 |
इससे पता चलता है कि पिछले दो वर्षों में, पटना एयरपोर्ट पर उतरने वाले विमानों की संख्या 2017-18 में 12,099 से 5,170 बढ़कर 2019-20 में 17,269 तक पहुंच गई. पिछले एक साल में ही उड़ानों की संख्या 1,311 बढ़ गई.
एयर ट्रैफ़िक में खासी वृद्धि, अनुशंसित लंबाई की तुलना में छोटा रनवे, और एयरपोर्ट को कहीं और शिफ्ट करने की कोई योजना नहीं होने से ऐसा लगता है कि पटना एयरपोर्ट अभी भी अतीत में जी रहा है और किसी आपदा का इंतजार कर रहा है.