
जेल से रिहाई के बाद भी पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन की मुश्किलें कम नही होंगी. बिहार के पूर्व आईपीएस अमिताभ दास पटना हाईकोर्ट में रिहाई के विरोध में जनहित याचिका यानी पीआईएल दाखिल करने जा रहे हैं. इस मामले में पूर्व आईपीएस अमिताभ दास ने नीतीश सरकार से लेकर बीजेपी को भी जमकर लताड़ा है.
इससे पहले मृत डीएम जी कृष्णैय्या की पत्नी भी पीएम से लेकर राष्ट्रपति तक से मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगा चुकी हैं. उधर, आईएएस एसोसिएशन ने भी आनंद मोहन की रिहाई का विरोध करते हुए सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की है.
सरकारी सेवक की हत्या अपवाद की श्रेणी में नहीं
बताते चलें कि बिहार सरकार ने कारा कारा हस्तक 2012 के नियम 481 आई में संशोधन किया है. जेल में 14 साल की सजा काट चुके आनंद मोहन की तय नियमों की वजह से रिहाई संभव नहीं थी. इसलिए ड्यूटी करते सरकारी सेवक की हत्या अब अपवाद की श्रेणी से हटा दिया गया है. बीते 10 अप्रैल को ही बदलाव की अधिसूचना सरकार ने जारी कर दी थी. इसके बाद उन्हें 27 अप्रैल को जेल से रिहा कर दिया जाएगा.
भीड़ ने पीट-पीटकर की थी डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या
आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैय्या हत्याकांड में सजा काट रहे थे. तेलंगाना में जन्मे आईएएस अधिकारी कृष्णैया अनुसुचित जाति से थे. वह बिहार में गोपालगंज के जिलाधिकारी थे. साल 1994 में ड्यूटी पर रहने के दौरान वह मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहे थे. उसी दौरान भीड़ ने पीट-पीट कर उनकी हत्या कर दी थी और गोली भी मारी गई थी.
डीएम हत्याकांड में मिली थी फांसी की सजा, उम्रकैद में बदली
आरोप था कि डीएम की हत्या करने वाली उस भीड़ को कुख्यात बाहुबली आनंद मोहन ने ही उकसाया था. लिहाजा, पुलिस ने आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली समेत 6 लोगों को इस मामले में नामजद किया था. आनंद मोहन को साल 2007 में फांसी की सजा सुनाई गई और पटना हाईकोर्ट ने 2008 में सजा को उम्रकैद में बदल दिया.
सजा से ज्यादा दिन जेल में रहे हैं आनंद मोहन- मांझी
गया में बिहार के पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने कहा की आनंद मोहन क्रिमिनल नहीं है. वह सजा से ज्यादा दिन जेल में बिता चुके हैं. मांझी ने कहा कि यह रिहाई कानूनी कार्यवाई के तहत की गई है. सिर्फ आनंद मोहन हीं नहीं, 20 अन्य लोगों को भी रिहा किया गया है. कानूनी प्रावधान है, जो सजा मिली थी वह काट चुके थे. आनंद मोहन को हम व्यक्तिगत रूप से जानते हैं. वह कोई क्रिमिनल नही थे.
वहीं, चिराग पासवान ने गया में कहा कि सरकार का यह फैसला दलित विरोधी है. इस पर जीतनराम मांझी ने कहा कि यह सिर्फ कहने से नही होता है. चिराग पासवान खुद दलित विरोधी हैं. यह कहे, तो माना जाएगा क्या? हम भी दलित हैं, हम भी सुझाव देते हैं. सरकार दलितों के हित में कार्य कर रही है.
जी कृष्णैय्या की पत्नी उमा देवी पर कहा कि इसके लिए कोर्ट का दरवाजा है. अगर कोई स्कोप है, तो अपनाए. आईएएस गुट भी कोर्ट का रास्ता अपनाए. डीएम की हत्या भीड़ ने की थी. आनंद मोहन को साल 2014 में हीं रिलीज होना चाहिए था.
(इनपुट- पंकज कुमार)