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सीएम नीतीश कुमार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि बिहार में जल्द ही जातीय जनगणना शुरू होने जा रही है. उन्होंने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से इसी संबंध में मुलाकात हुई थी. उन्होंने कहा कि बहुत ही जल्द बिहार में जातीय जनगणना शुरू हो जाएगी.
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि कोरोना संक्रमण की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया था, लेकिन अब बहुत जल्द सर्वदलीय बैठक बुलाकर सबकी सहमति ले लेंगे. नीतीश के आगे कहा कि तेजस्वी यादव से जो मुलाकात हुई थी, इन्हीं सब मुद्दों पर बात हुई और हमने इस पर अपनी राय साफ तौर पर उनको बता दी है.
बिहार में जातीय जनगणना को लेकर राजनीति काफी समय से गरम है. केंद्र सरकार से इतर बिहार की एनडीए सरकार जातीय जनगणना कराने का ऐलान कर चुकी है. इससे पहले राज्य सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया था कि वह अपने खर्च पर जातीय जनगणना कराएगी. सीएम नीतीश कुमार ने खुद कहा था कि जातीय जनगणना की तैयारी हो चुकी है. उन्होंने बताया था कि बिहार सरकार पारदर्शी तरीके से जनगणना कराएगी. किसी भी तरह की गलती नहीं की जाएगी. राज्य की अन्य पार्टियों से भी सहमति बन गई है. जल्द सर्वदलीय बैठक करेंगे और रूपरेखा स्पष्ट की जाएगी.
बताते चलें कि इससे पहले कर्नाटक अपने स्तर से राज्य में जातीय जनगणना करा चुका है. अब बिहार देश का दूसरा राज्य होगा, जो अब जातीय जनगणना कराने जा रहा है. गौरतलब है कि अप्रैल में ही जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने भी जातीय जनगणना की मांग दोहराई थी और कहा था कि जातीय जनगणना समय की मांग है. बिहार में इसे कराया जाना जरूरी है. देश में पहली बार 1881 में जनगणना हुई थी. तब जातीय जनगणना के आंकड़े जारी हुए थे. तब से हर 10 साल में जनगणना होती आ रही है.