Advertisement

पुलिस ने नष्ट की 100 एकड़ में लगी अफीम, नक्सल इलाकों में उगाई गई थी फसल

अफीम की फसल तीन महीने में तैयार होती है और ये समय अफीम की फैसल तैयार होने का ही है. अफीम को फसलों के बीच में लगाया जाता है और इसकी खेती काफी गुप्त तरीके से की जाती है ताकि किसी की नजर न पड़े.

गुप्त तरीके से की जाती है अफीम की खेती गुप्त तरीके से की जाती है अफीम की खेती
सुजीत झा
  • गया,
  • 07 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 8:04 PM IST

बिहार में इस बार जमकर अफीम की खेती की जा रही है. हालांकि नक्सल प्रभावित क्षत्रों में अफीम की खेती होना कोई नई बात नहीं है क्योंकि जानकार बताते हैं कि अफीम की खेती नक्सलियों की अर्थव्यवस्था का एक अहम हिस्सा है. नक्सली दुर्गम क्षेत्रों में इसकी खेती कर कमाई करते है और उससे उनकी अर्थव्यवस्था चलती है. लेकिन इस बार अफीम की खेती कुछ ज्यादा ही हो रही है. माना जा रहा है कि बिहार में शराबबंदी के बाद अन्य मादक पदार्थों की तस्करी बढ़ी है और अफीम भी उसी रैकेट का एक हिस्सा है.

Advertisement

गया के कई इलाकों में पिछले दो दिनों से पुलिस, अभियान चला कर अफीम की खेती को नष्ट कर रही है . पुलिस का दावा है कि इस दौरान करीब 100 एकड़ में लगी अफीम की खेती को नष्ट किया गया है. गया की एसएसपी गरिमा मलिक ने बताया कि पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि इन इलाकों में अफीम की खेती हो रही.

ऐसे होती है अफीम की खेती

आपको बता दें कि अफीम की फसल तीन महीने में तैयार होती है और ये समय अफीम की फैसल तैयार होने का ही है. अफीम को फसलों के बीच में लगाया जाता है और इसकी खेती काफी गुप्त तरीके से की जाती है ताकि किसी की नजर न पड़े. जिन इलाकों में वाहनों की आवाजाही ना हो सके वहां भी अफीम की खेती की जाती है.

Advertisement

पुलिस ने अफीम के खेती को नष्ट कर रही है साथ ही जिनकी जमीन पर खेती की गई है उन किसानों पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी है. हालांकि कई बार नक्सली जबरदस्ती किसानों की जमींन पर खेती करने लगते हैं. अफीम की खेती करना भी काफी महंगा होता है लेकिन अवैध कारोबार के जरिए फसल तैयार होने के बाद लागत से कई गुणा ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement