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बिहार में दिखने लगा PK इफेक्ट! MLC चुनाव में उनके समर्थित उम्मीदवार अफाक अहमद की जीत

प्रशांत किशोर के लिए गुरुवार का दिन बेहद खास रहा. दरअसल उनका समर्थित उम्मीदवार अफाक अहमद एमएलसी चुनाव जीत गया है. इस जीत के बाद उन्होंने महागठबंधन और बीजेपी पर जमकर हमला बोला. वहीं अब चर्चा यह भी शुरू हो गई है कि प्रशांत किशोर की पदयात्रा का असर दिखने लगा है.

बिहार में प्रशांत किशोर को मिली बड़ी सफलता (फोटो स्रोत: Twitter) बिहार में प्रशांत किशोर को मिली बड़ी सफलता (फोटो स्रोत: Twitter)
सुजीत झा
  • पटना,
  • 07 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 7:03 AM IST

प्रशांत किशोर को बिहार में बड़ी सफलता हाथ लगी है. दरअसल सारण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र में हुआ एमएलसी उपचुनाव उनकी जन सुराज पार्टी से समर्थित उम्मीदवार अफाक अहमद ने जीत लिया है. उन्हें कुल 3055 मत मिले हैं. उन्होंने महागठबंधन प्रत्याशी आनंद पुष्कर को 674 मतों से हराया है. आनंद के पिता केदार पांडेय के निधन के बाद ही यह सीट खाली हुई थी.

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अफाक अहमद की जीते से बेशक प्रशांत किशोर का कॉन्फिडेंस हाई हुआ है. उन्होंने कहा कि आरजेडी, जेडीयू और बीजेपी ने वोटर बनाया, लेकिन वोट मेरे समर्थित उम्मीदवार को मिला. उन्होंने कहा कि बिहार की पार्टियों को नहीं पता कि अब सारा समीकरण बिगड़ रहा है. उन्होंने दावा किया,'जैसे-जैसे मैं यात्रा कर रहा हूं, नीचे से उनकी जमीन खिसक रही है. जिस दिन बिहार की जनता जागरूक हो गई मैं तीनों पार्टियों को काट फेकूंगा. 

उन्होंने कहा कि सारण के एमएलसी उपचुनाव में बीजेपी और महागठबंधन दोनों दल साफ हो गए हैं. बीजेपी कह रही है कि महागठबंधन का वोट कटा और महागठबंधन कह रहा कि बीजेपी का वोट कटा है लेकिन हम पहले ही कह चुके हैं कि न बीजेपी का वोट काटेंगे और न महागठबंधन का वोट काटेंगे. दोनों दलों को जनता ही काट कर साफ कर देगी. 

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प्रशांत किशोर ने कहा कि जेडीयू का राजनीतिक अस्तित्व खत्म हो गया है. आरजेडी और बीजेपी भी नहीं समझ रहीं कि जिस दिन बिहार की जनता को तीसरा रास्ता दिखा वो दोनों को आउट कर देगी. बिहार की जनता के दिमाग में काई बैठ गयी थी, जो अब धीरे-धीरे हट रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी वाले कब तक नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट लेंगे. सारण में एमएलसी चुनाव में बीजेपी को 455 वोट मिले हैं.

कौन हैं अफाक अहमद

अफाक अहमद पिछले एक साल से प्रशांत किशोर के साथ जुड़े हुए हैं. उन्हें चुनाव में जन सुराज पार्टी का समर्थन हासिल था लेकिन वह निर्दलीय प्रत्याशी थे. अफाक पश्चिम चंपारण के बेतिया के रहने वाले हैं. उन्होंने बेतिया में ही आमना उर्दू उच्च विद्यालय में 35 साल तक काम किया. वहां से वीआरएस लेने के बाद राजनीतिक में आए. खुद प्रशांत किशोर ने बताया है कि वह एक किसान के बेटे हैं और इस चुनाव में एक रुपया खर्च किए बिना जीत हासिल कर ली है.

2500 किमी. की पदयात्रा कर चुके पीके

प्रशांत किशोर पूरे बिहार में जनसुराज पदयात्रा निकाल रहे हैं. उन्होंने पश्चिम चंपारण जिले से दो अक्टूबर को भितिहरवा गांधी आश्रम से इस यात्रा की शुरुआत की थी. अब करीब 2500 किमी. की यात्रा पूरी कर चुके हैं. पीके अभी सारण जिले में है.

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