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पटना HC के मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस राकेश कुमार पर लगाई रोक

जस्टिस राकेश कुमार ने कहा था कि पता चला है कि मुख्य न्यायाधीश के आगे-पीछे हाई कोर्ट के सीनियर जज तक लगे रहते हैं. जब हमने न्यायाधीश पद की शपथ ली थी, तब से देख रहा हूं कि सीनियर जज भी मुख्य न्यायाधीश को मस्का लगाने में मशगूल रहते हैं, ताकि उनसे कोई फेवर लिया जा सके.

पटना हाई कोर्ट पटना हाई कोर्ट
सुजीत झा
  • पटना,
  • 29 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 3:13 PM IST

पटना हाई कोर्ट में सीनियर जस्टिस राकेश कुमार की न्यायपालिका पर बेहद तल्ख टिप्पणी के बाद मुख्य न्यायाधीश ने नोटिस जारी करते हुए उनके सभी केसों की सुनवाई पर रोक लगा दी है. जस्टिस राकेश कुमार ने न्यायपालिका से जुड़े सीनियर जजों की कार्यप्रणाली पर उठाते हुए तीखा प्रहार किया था.

हाई कोर्ट में पूर्व आईएएस अधिकारी केपी रमैय्या की खारिज अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस राकेश कुमार ने न केवल भ्रष्ट अधिकारियों की खिंचाई की बल्कि न्यायपालिका तक को भी नहीं छोड़ा. हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश कुमार ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचारियों को न्यायपालिका से ही संरक्षण मिल जाता है. इसी वजह से उसके हौसले बुलंद रहते हैं. कोर्ट ने दो घंटे में लिखाए गए ऑर्डर की प्रतिलिपि पीएमओ, कॉलेजियम, केंद्रीय कानून मंत्रालय और सीबीआई के निदेशक को अग्रसारित करने का भी आदेश दिया है.

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जस्टिस राकेश कुमार ने कहा कि बाद में पता चला कि मुख्य न्यायाधीश के आगे-पीछे हाई कोर्ट के सीनियर जज तक लगे रहते हैं. जब हमने न्यायाधीश पद की शपथ ली थी, तब से देख रहा हूं कि सीनियर जज भी मुख्य न्यायाधीश को मस्का लगाने में मशगूल रहते हैं, ताकि उनसे कोई फेवर लिया जा सके और इससे ही भ्रष्ट लोगों को संरक्षण मिलता है.

मुख्य न्यायाधीश को लेकर तीखी टिप्पणी किए जाने के बाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने नोटिस जारी करते हुए जस्टिस राकेश कुमार के सभी केसों की सुनवाई पर रोक लगा दी है. यह अपने तरह का पहला मौका है जब पटना हाई कोर्ट के किसी जज ने न्यायपालिका की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए तीखा प्रहार किया.

बिहार महादलित विकास मिशन योजना में 5.55 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपी पूर्व आईएएस रमैय्या को निचली अदालत द्वारा जमानत दिए जाने पर बुधवार को हाई कोर्ट ने कहा कि जिस एडीजे के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला साबित हुआ, उसे बर्खास्तगी की जगह मामूली सजा मिली. भ्रष्ट न्यायिक अधिकारियों को मिल रहे संरक्षण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई में जिस न्यायिक अधिकारी के खिलाफ आरोप साबित होता है उसे मेरी अनुपस्थिति में फुल कोर्ट की मीटिंग बुलाकर उसे बर्खास्त करने के बजाए मामूली सजा देखकर छोड़ दिया जाता है.

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उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि पटना सिविल कोर्ट में हुए स्टिंग ऑपरेशन में घुस लेते दिखे कोर्ट कर्मचारियों पर एफआईआर क्यों नही की गई.

हाई कोर्ट के न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के लिए बेली रोड, सर्कुलर रोड एवं अणे मार्ग में बंगले आवंटित किए जाते हैं, लेकिन इसके साज-सज्जा में करोड़ों रुपये तक खर्च कर दिए जाते हैं जबकि यह करदाताओं की दी हुई राशि होती है.

उन्‍होंने यह भी सवाल किया केपी रमैय्या की सुप्रीम कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद भी उनको किस परिस्थिति में नियमित जमानत दे दी गई? कोर्ट ने कहा कि जिला जज इस पूरे प्रकरण की जांच करें और तीन सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करे.

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