
बिहार में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) कोटे के लोगों को सरकारी सेवा में पदोन्नति में भी आरक्षण देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया. बिहार सरकार ने इस मामले पर शीघ्र सुनवाई की मांग की थी.
बिहार सरकार के वकील पीएस पटवालिया ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रमोशन में आरक्षण नहीं होने के चलते बिहार सरकार के 17 से 18 हजार पद खाली पड़े हैं. अर्जी के मुताबिक कुल 44 महकमों में 26 हजार पदों में से 21 हजार 275 पद खाली पड़े हैं, जिनको पदोन्नति में आरक्षण की नीति के तहत भरना है. इनमें 17109 सामान्य कोटे के हैं, जबकि 3957 अनुसूचित जाति और 209 पद अनुसूचित जनजाति कोटे से भरे जाने हैं.
याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2019 को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था. इस आदेश को भी करीब सवा चार साल हो गए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की अर्जी पर जल्द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि इस मामले में सुनवाई अगले साल यानी जनवरी 2024 में की जाएगी.
दरअसल, बिहार में SC-ST कोटे के अधिकारियों-कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए 21 अगस्त 2012 का प्रस्ताव और उसके बाद राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया आदेश पटना हाईकोर्ट की एकल जज बेंच ने 4 मई 2015 को रद्द कर दिया था. इसके बाद बिहार सरकार ने हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष अपील की थी. खंडपीठ ने भी 30 जुलाई 2015 को सरकार की अर्जी खारिज कर दी थी. इसके बाद बिहार सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2019 को इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने जा आदेश दिया था.