
राज्यपाल सत्यपाल मलिक बुधवार को अचानक सुर्खियों में तब आए जब उन्होंने जम्मू कश्मीर विधानसभा भंग कर दी. पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश करने वाले थे लेकिन ऐन वक्त पर विधानसभा भंग होना सबको चौंका गया. इसी साल सितंबर में जम्मू-कश्मीर की जिम्मेदारी सत्यपाल मलिक को दी गई थी. इससे पहले वे बिहार राज्यपाल थे.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय से आने वाले सत्यपाल मलिक को रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद बिहार का राज्यपाल बनाया गया था. राज्यपाल बनने से पहले वह बीजेपी में किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे थे. मलिक (72) करीब-करीब सभी राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़े रहे हैं. उन्होंने छात्र समाजवादी नेता के तौर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. पिछले साल बिहार का राज्यपाल नियुक्त किए जाने से पहले वह बीजेपी के उपाध्यक्ष थे.
राममनोहर लोहिया से प्रेरित मलिक ने मेरठ यूनिवर्सिटी में एक छात्र नेता के तौर पर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. वह उत्तर प्रदेश के बागपत में 1974 में चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से विधायक चुने गए थे. इसके अलावा वह 1980 से 1992 तक राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं.
2004 में बीजेपी में हुए थे शामिल
सत्यपाल मलिक 1984 में कांग्रेस में शामिल हो गए और इसके राज्यसभा सदस्य भी बने लेकिन करीब तीन साल बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. वह वीपी सिंह की जनता दल में 1988 में शामिल हुए और 1989 में अलीगढ़ से सांसद चुने गए. साल 2004 में मलिक बीजेपी में शामिल हुए थे और लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन इसमें उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह से शिकस्त का सामना करना पड़ा. वह 21 अप्रैल 1990 से 10 नवंबर 1990 तक केंद्र में राज्य मंत्री भी रहे थे.