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चिराग पासवान को दिल्ली हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत, जानें क्या है मामला

नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के चलते शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी का गठन किया था, जिसका विलय उन्होंने 20 मार्च 2022 को राजद में कर दिया है.

चिराग पासवान. -फाइल फोटो चिराग पासवान. -फाइल फोटो
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 31 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 11:25 PM IST
  • 2017 में राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित हुए थे
  • 2018 में JDU से अलग हुए थे शरद यादव

दिवंगत रामविलास पासवान का जनपथ स्थित सरकारी बंगला यूं तो खाली हो गया, लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट में इस बाबत चल रहे मामले में याचिकाकर्ता चिराग पासवान को राहत नहीं मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकसभा सांसद चिराग पासवान को उनके दिवंगत पिता रामविलास पासवान को आवंटित बंगले से बेदखल करने में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.

दिल्ली हाईकोर्ट ने चिराग पासवान की मां रीना पासवान की याचिका को खारिज करते कहा कि कार्रवाई शुरू हो गई है लिहाजा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है. याचिकाकर्ता के वकील ने व्यावहारिक कठिनाइयों का हवाला देते हुए कोर्ट से बंगले को खाली करने के लिए चार महीने का समय मांगा. 

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शरद यादव को सुप्रीम कोर्ट से राहत

जनता दल यूनाइटेड (JDU) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को दिल्ली स्थित सरकारी बंगला खाली करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से दो महीने की राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने शरद यादव से 31 मई तक सरकारी बंगला खाली करने को कहा है.

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने शरद यादव को 30 मार्च तक सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया था जिसके बाद शरद यादव ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. शरद यादव के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि यादव को बढ़ती उम्र और गिरती सेहत के मद्देनजर उन्हें कुछ समय दिया जाए. शरद यादव मई में सरकारी बंगला खाली करने को तैयार हैं.

शरद यादव ने 24 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने शीर्ष अदालत से मांग की थी कि लुटियंस दिल्ली में उन्हें मिला बंगला फिलहाल खाली ना कराया जाए. शरद यादव पिछले 22 सालों से लुटियंस दिल्ली के एक बंगले में रह रहे हैं. पार्टी में अंदरूनी विवाद और मतभेद के बाद दिसंबर 2017 में शरद यादव को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. हालांकि, उन्होंने अपनी अयोग्यता को हाई कोर्ट में चुनौती दे रखी है. मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है. 

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20 मार्च को RJD में किया था पार्टी का विलय

शरद यादव ने 20 मार्च 2022 को अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल (LJD) का लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में विलय कर दिया था. LJD के RJD में विलय के बाद बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इसे लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. 

तेजस्वी यादव ने कहा था कि शरद यादव की ओर से एलजेडी के आरजेडी में विलय को लेकर लिया गया फैसला जनता की मांग है. तेजस्वी ने इसे अन्य विपक्षी दलों के लिए भी संदेश बताया था. उन्होंने कहा था कि आरजेडी में एलजेडी का विलय अन्य विपक्षी दलों के लिए भी एक संदेश है कि यह सही समय है. हमें 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ही एकजुट होना चाहिए था. उन्होंने साथ ही ये भी कहा कि कभी नहीं से देर भी अच्छी. 

2018 में JDU से अलग होकर बनाई थी पार्टी

बता दें कि नीतीश कुमार के साथ राजनीतिक मनमुटाव के चलते शरद यादव ने 2018 में जेडीयू से बगावत कर लोकतांत्रिक जनता दल नाम से अपनी अलग राजनीतिक पार्टी का गठन किया था. शरद यादव के साथ अली अनवर सहित कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी थी. इसके बाद शरद यादव 2019 लोकसभा चुनाव में आरजेडी के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव भी लड़े. लेकिन जेडीयू के दिनेश्वर यादव से 1 लाख वोटों से हार गए थे.

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