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क्या राहुल गांधी से खफा हैं बिहार के कांग्रेसी विधायक?

कांग्रेस आलाकमान के एक इशारे पर दिल्ली की दौड़ लगाने वाले कांग्रेस के विधायक आखिर दिल्ली क्यों नहीं जाना चाहते हैं, तो इसकी पीछे की वजह ये है कि बहुत सारे विधायकों का मानना है कि कांग्रेस आलाकमान की ढुलमुल रवैया की वजह से बिहार की महागठबंधन सरकार चली गई.

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी
सुजीत झा/सुरभि गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 09 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 9:21 PM IST

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के बुलावे पर बिहार के सभी विधायक दो दिनों में भी दिल्ली नहीं पहुंचे. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार कांग्रेस की क्या स्थिति है. राहुल गांधी ने बिहार कांग्रेस में टूट के अंदेशे पर दिल्ली में कांग्रेसी विधायकों की बैठक बुलाई. एक दिन के अचानक नोटिस पर पहले दिन सिर्फ 9 विधायक दिल्ली पहुंच सके. सबके साथ राहुल गांधी ने कोई मीटिंग नहीं, बल्कि वन टू वन मुलाकात की. सभी विधायकों के दिल्ली ना पहुंचने पर राहुल गांधी ने अगले दिन भी मीटिंग रखी.

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सिर्फ 20 विधायकों ने की राहुल से मुलाकात

इसमें सबको उम्मींद थी कि इस बैठक में सभी 27 विधायक पहुंच जाएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. दूसरे दिन भी 11 विधायक ही दिल्ली पहुंचे यानी 27 विधायकों में से केवल 20 विधायकों ने ही दिल्ली दरबार में हाजरी लगाई और वो भी अनमने ढंग से. हालांकि कई विधायकों ने मीटिंग में नहीं आने की वजह अपना व्यक्तिगत कारण बताया. कुछ ने कहा कि इलाके में आई बाढ़ की वजह से वो नहीं आ पा रहे हैं, पर यह संतोषजनक जवाब नहीं था. बुधवार और गुरुवार को दिल्ली में हुई इस बैठक में बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी शामिल नहीं हुए.

कांग्रेस आलाकमान से खफा हैं विधायक

कांग्रेस आलाकमान के एक इशारे पर दिल्ली की दौड़ लगाने वाले कांग्रेस के विधायक आखिर दिल्ली क्यों नहीं जाना चाहते हैं, तो इसकी पीछे की वजह ये है कि बहुत सारे विधायकों का मानना है कि कांग्रेस आलाकमान की ढुलमुल रवैया की वजह से बिहार की महागठबंधन सरकार चली गई. अगर समय रहते कांग्रेस आलाकमान ने फैसला ले लिया होता तो यह दिन नहीं आते. आखिर 10 वर्षों के बाद कांग्रेस को बिहार में सत्ता का सुख मिल रहा था. विधायकों को कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी से काफी उम्मीद थी कि वो तेजस्वी के मामले पर कुछ फैसला ले सकते हैं क्योंकि विधायकों को लग रहा था भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अध्यादेश फाड़ने वाले जरूर पार्टी के हित में कुछ फैसला लेंगे, लेकिन उन्होंने कोई फैसला नहीं लिया.

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हाथ से सत्ता जाने का गम

इसका नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस के हाथ से सत्ता चली गई. विधायक कांग्रेस आलाकमान से इसलिए खफा हैं कि उन्हें अब हर हाल में आरजेडी के साथ रहना होगा, जबकि अधिकतर विधायक इसके पक्ष में नहीं हैं. ऐसे में पार्टी में टूट का खतरा है और इसी टूट को बचाने के लिए तमाम कोशिशें की जा रही हैं.

 

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