Advertisement

सृजन घोटाला: ब्लैंक चेक पर कराया गया किसानों से दस्तखत

सृजन के इस कारनामे को देख कर किसान हैरान और परेशान हैं. किसानों का कहना है कि सृजन ने भू अर्जन पदाधिकारियों के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया है. जमीन अधिग्रहण के पांच साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कई किसानों को मुआवजा नहीं मिला है.

सृजन घोटाला सृजन घोटाला
सुरभि गुप्ता/सुजीत झा
  • पटना,
  • 10 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:11 AM IST

भागलपुर सृजन घोटाले में सबसे ज्यादा सरकारी रुपये का बंदरबांट भूमि अधिग्रहण के मामले में हुआ है. सृजन किस तरह से सरकार बन कर किसानों को जमीन का मुआवजा अपने खाते से देती थी, इसका उदाहरण भागलपुर के पीरपैंती में बन रहे पावर प्लांट के लिए किए गए जमीन के अधिग्रहण से मिल सकता है. यहां किसानों को मुआवजे का पैसा सरकार ने नहीं बल्कि सृजन नामक संस्था ने दिया और वो भी पूरा नहीं दिया.

Advertisement

किसानों को नहीं मिला मुआवजा

भागलपुर के पीरपैंती में बिहार सरकार को पावर प्लांट के लिए जमीन अधिग्रहण 2013-15 में कराना था. लगभग 500 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करना है, लेकिन अभी तक केवल 60 फीसदी जमीन का अधिग्रहण हो पाया है. बताया जाता है कि सृजन की वजह से ही पूरी जमीन अधिग्रहित नहीं हो पाई. लेकिन अभी तक जितनी जमीन का अधिग्रहण सरकार ने किया है, उसका पूरा पैसा भी किसानों को नहीं मिला है.

किसानों को सृजन के खाते से मिला पैसा

कुछ किसानों का 30-30 करोड़ रुपया बकाया है. कुछ किसानों को सरकार के खाते से नहीं बल्कि सृजन के खाते से पैसा मिला है, जबकि नियमों के मुताबिक सरकार के द्वारा अधिग्रहित की गई जमीन का पैसा सरकार देती है, पर यहां सृजन के खाते से किसानों तक पैसा पहुंचा. सृजन महिला विकास समिति ने  भू अर्जन विभाग के साथ मिलकर किसानों को भी चूना लगाया.

Advertisement

नहीं मिला पूरा मुआवजा

'आज तक' की मुलाकात एसके रज्जाक नाम के पीरपैंती के किसान से हुई. जिनकी जमीन पावर प्लांट के लिए सरकार ने अधिग्रहित की है. बदले में जो मुआवजा मिला है, वो सरकार के खाते से नहीं बल्कि सृजन के खाते से मिला. रज्जाक के तीन बेटे हैं, तीनों को पहली किस्त में 60-60 लाख, दूसरी किस्त में 19-19 लाख तीनों भाइयों को मिलना था, लेकिन दो भाइयों को मुआवजा मिला और तीसरे को अभी तक मुआवजा नहीं मिला.

आधे किसानों को ही मिला मुआवजा

भागलपुर पीरपैंती में पावर प्लांट के लिए सरकार के द्वारा 840 किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया, लेकिन किसानों को मुआवजे का भुगतान सरकार के खाते से नहीं बल्कि सृजन के खाते से किया गया. अभी तक पचास प्रतिशत किसानों को ही मुआवजा दिया गया है, वो भी 70 से 80 फीसदी राशि ही दी गई है.

ब्लैंक चेक पर साइन कराया

एक किसान मुन्ना सिंह हैं, जिनकी कहानी तो और चौंकाने वाली है. उन्होंने बताया कि ब्लैंक चेक पर साइन कराया गया और उस समय के भूमि अधिकारी राजीव रंजन ने उनसे कहा कि अभी पैसा सरकार के खाते में नहीं है. जब आएगा तो आपको मिल जाएगा. भूमि अधिग्रहण के बदले सरकार को पैसा देना चाहिए, लेकिन उल्टे किसान से ही चेक ले लिया गया. इनका दो करोड़ रुपया बकाया है.

Advertisement

फरार है भू अर्जन अधिकारी

किसानों को जमीन का मुआवजा दिलाने के लिए आंदोलन कर रहे दिलीप मिश्रा ने बताया कि यहां ज्यादातर किसानों को सृजन के खाते से आधा-अधूरा भुगतान किया गया है. भू अर्जन अधिकारी राजीव रंजन पिछले कई वर्षों से भागलपुर में ही तैनात थे. फिलहाल इस घोटाले में उन पर एफआईआर दर्ज है और वो फरार हैं. लेकिन इतना तय है कि राजीव रंजन को इस मामले की पूरी जानकारी है क्योंकि घोटाले का खुलासा भी भू अर्जन विभाग के चेक बाउंस से ही पता चला.

कहां गई किसानों की मुआवजा राशि?

सृजन के इस कारनामे को देख कर किसान हैरान और परेशान हैं. किसानों का कहना है कि सृजन ने भू अर्जन पदाधिकारियों के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया है. जमीन अधिग्रहण के पांच साल बीत जाने के बाद भी अभी तक कई किसानों को मुआवजा नहीं मिला है. किसानों के पैसे को सृजन ने अपने निजी व्यापार में लगा दिया है. किसानों का ये भी कहना है कि भू अर्जन विभाग सादे कागज पर साइन ले लेता था और कहता था कि आपके अकाउंट में मुआवजे की राशि पहुंच जाएगी. चार महीने बाद कुछ किसानों के खाते में रुपये आए, लेकिन पूरे पैसे नहीं मिले. वहीं जमीन अधिग्रहण के पांच साल बीत जाने के बाद भी कुछ किसानों के पैसे अभी तक नहीं आए हैं.

Advertisement

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement