
Bihar News: सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड के सतौर पंचायत के बरवाही वार्ड नंबर-12 में खुशियों का माहौल है. यहां के निवासी चंद्रशेखर यादव के पुत्र कमलेश कुमार जज बन गए हैं. उनकी इस उपलब्धि के पीछे एक अजीब वजह है.
गौरतलब है कि कोसी नदी के किनारे तटबंध के अंदर बसे गांव में कोसी हर बाढ़ कहर ढाती है. इससे परेशान होकर लोग पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं. कमलेश कुमार के पिता भी इसी के चलते पलायन कर दिल्ली पहुंचे. यहां वह सड़क किनारे छोले-भटूरे की दुकान लगाकर झुग्गी-झोपड़ी में रहकर परिवार का भरण-पोषण करने लगे.
एक दिन सड़क किनारे चंद्रशेखर यादव दुकान लगाए थे. इसी वक्त एक पुलिसवाले ने किसी बात पर बेटे के सामने ही उन्हें थप्पड़ जड़ दिया. इस पर बेटे ने पिता से पूछा, "पापा ये लोग सबसे ज्यादा किससे डरते हैं?"
64वीं रैंक की हासिल
पिता ने कहा, "ये लोग जज से डरते हैं." फिर क्या था, कमलेश ने उसी दिन ठान लिया कि उसे जज बनना है. मन इसी बात को लेकर जीने वाले बेटे ने पूरी लगन से पढ़ाई शुरू की और Bihar Judiciary Examination में 64वीं रैंक हासिल की है. आज कमलेश के घर में खुशियों का माहौल है. पंचायत और गांव के लोग उनके घर पहुंचकर बधाई दे रहे हैं और खुशियों में शामिल हो रहे हैं.
झुग्गी में बिताया बचपन
कमलेश कुमार बताते हैं, "मेरा जन्म बिहार के सहरसा जिले में हुआ. गरीबी की वजह से मेरे पिताजी दिल्ली आ गए थे. मैंने बचपन दिल्ली में झुग्गी-झोपड़ियों में बिताया. जब मैं 8th में था उस वक्त मेरी झुग्गी टूट गई थी. उसके बाद मैं किराए के मकान में रहा.
थप्पड़ से हो गया था विचलित
"इसी दौरान एक दिन पिताजी को पुलिसवाले ने थप्पड़ मार दिया. इस घटना से मैं विचलित हो गया था. इसी की वजह से मैं जज बना. बस मैं यही कहना चाहूंगा कि आप किसी भी परिस्थिति में या बैकग्राउंड से हों, मेहनत करते रहिए सफल जरूर होंगे".
दादी दुर्गा देवी बताती हैं, "कमलेश बचपन में पिता के साथ जबरन चला गया था. वहीं उसने पढ़ाई की और जज बन गया. आज हम लोग बहुत खुश हैं." उधर, गांव के मुखिया तेज नारायण यादव ने कहा कि कमलेश ने जिले और गांव का नाम रोशन किया है.