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Bihar: 'छोड़ के अपने विद्यालय को, मधुशाला का चक्कर काटेंगे', नए आदेश पर छलका शिक्षकों का दर्द

बिहार में शिक्षकों द्वारा शराबियों पर निगरानी रखने के आदेश के बाद टीचर्स में आक्रोश है. बक्सर के के कोरान सराय पंचायत के शिक्षक पूर्णानंद मिश्रा ने एक कविता लिखकर अपना दर्द साझा किया है.

कविता लिखने वाले पूर्णानंद मिश्रा कविता लिखने वाले पूर्णानंद मिश्रा
सुजीत झा
  • बक्सर,
  • 29 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:08 PM IST
  • शराबियों की निगरानी करने का था आदेश
  • दर्द भरी कविता सोशल मीडिया पर वायरल

बिहार में शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी किया. इसमें कहा गया कि शिक्षक अब शराबियों पर नजर रखें. साथ ही शराब की आपूर्ति करने वालों और अवैध शराब निर्माण करने वालों के खिलाफ गुप्त सूचना दें. सरकार के इस आदेश के बाद अब प्रदेश के शिक्षक हैरान हैं. उनका दर्द छलक उठा है. बक्सर के डुमरांव अनुमंडल के कोरान सराय पंचायत के शिक्षक पूर्णानंद मिश्रा ने एक कविता के जरिए अपना दर्द साझा किया है.

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शिक्षक पूर्णानंद मिश्रा की यह कविता बिहार शिक्षक संघ के व्हाट्सएप ग्रुप से निकलकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. पूर्णानंद ने लिखा कि शिक्षकों के सारे अरमान लुट गए हैं. उन्हें अब नए फरमान का स्वागत करते हुए कलम त्यागकर शराबबंदी की कमान थामनी होगी.

ये है पूर्णानंद मिश्रा की कविता

लुट गए शिक्षक के सारे अरमान, 
उस पर सरकार का एक नया फरमान 
कलम त्याग अब थामेंगे,
शराबबंदी की कमान
गुरु की महिमा है अपरंपार
बंद हुए जहां बीयरबार
वहां शराब कहां से आता है?
कौन कहां छिपाता है?
प्रश्न है यह बड़ा विचित्र
कौन-कौन धंधे में लिप्त?
कहां से होता है कारोबार,
माल कहां होता है तैयार?
अब शिक्षक पता लगाएंगे
अपना कौशल दिखलाएंगे,
छोड़ पढ़ाई जासूसी का
हुनर भी अब आजमाएंगे!

कविता में शिक्षकों की परेशानियों का उल्लेख करते हुए पूर्णानंद ने लिखा है कि सरकार ने कैसे अपने बहुत सारे काम शिक्षकों को सौंप दिए हैं. वह लिखते हैं...

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खुले में शौच से मुक्ति हो,
या मध्याह्न भोजन की युक्ति हो,
अलबेंडाजोल की गोली हो
या मानव श्रृंखला की टोली हो.
हर जगह पर शिक्षकों को फिट कर दो
चाहे फ्लॉप करो या हिट कर दो
जैसे चाहो इन्हें यूज करो, 
वेतन मत दो कनफ्यूज करो.
गैर शैक्षणिक कार्यों का
पहले से अंबार जहां
कैसे फल और फूल रहा
दारू का व्यापार यहां!
चलो चलें अब मयखानों में
खेतों में खलिहानों में,
मुंह सूघें हम सब मिलजुल कर
आने जाने वालों में!
किसके पांव हैं डगमग-डगमग
किसकी आंखों में लाली है,
कौन-कौन मदमस्त यहां?
किस-किस की चाल मतवाली है?
एक अकेले शिक्षक पर
सौ-सौ जिम्मेदारी है,
ध्वस्त हुआ शिक्षा का मंदिर
अब शराब की बारी है!
नशा नाश का कारण है,
हम घर-घर पर्ची बाटेंगे,
छोड़ के अपने विद्यालय को
मधुशाला का चक्कर काटेंगे।

पूर्णानंद की ये कविता शिक्षकों की जुबान पर चढ़ी हुई है. शिक्षक इसे अब पंपलेट के रूप में छपवाकर वितरित करने का प्लान बना रहे हैं. उधर विधान पार्षद और कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने भी बिहार सरकार के इस फरमान को अमानवीय बताया है.


 

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