
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे लगभग आ चुके हैं जिसमें बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं और वह सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरी है, मगर इसके बावजूद भी वह सरकार बनाने में फिलहाल असमर्थ दिख रही है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) दूसरे और तीसरे नंबर की पार्टी होने के बावजूद सरकार बनाने तैयारी में जुटी हुई है.
कर्नाटक में इसी राजनीतिक शह-मात के खेल में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने पिछले साल की उस घटना को याद किया है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ रातों-रात सरकार बना ली थी और आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भी हाथ मलती रह गई थी.
कर्नाटक के राजनीतिक हालात पर ट्वीट करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि वह यह जानने को काफी उत्सुक हैं कि वहां के राज्यपाल इस राजनीतिक उठापटक के बीच क्या निर्णय लेते हैं? क्या कर्नाटक के राज्यपाल बीजेपी को सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सरकार बनाने के लिए न्योता देते हैं या फिर कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर और गठबंधन को संख्याबल के आधार पर सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं?
तेजस्वी ने कहा कि पिछले साल नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव में तीसरे नंबर पर आई भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी और आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद भी सरकार नहीं बना पाई और ऐसे में कर्नाटक में भाजपा का यह कहना कि वह सबसे बड़ी पार्टी है और उसे ही सरकार बनाने के लिए सबसे पहले उन्हें बुलाना चाहिए, यह प्रवचन उन्हें शोभा नहीं देता.
तेजस्वी ने कहा कि जिस रात नीतीश कुमार ने गठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाने का दावा राज्यपाल से मिलकर पेश किया था उस रात वह आरजेडी के 80 विधायकों के साथ 2 बजे रात तक राज्यपाल से मिलने के लिए कोशिश करते रहे, मगर उन्हें मिलने का वक्त नहीं दिया. तेजस्वी ने कहा कि सबसे बड़े राजनीतिक दल होने के बावजूद भी राज्यपाल ने आरजेडी को उस दौरान सरकार बनाने का न्योता नहीं दिया.
तेजस्वी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि वह देखना चाहते हैं कि कर्नाटक के राज्यपाल बिहार जैसे ही हालत में क्या फैसला लेते हैं?