
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की इकलौती बहन गंगोत्री देवी का सोमवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया. उनके शव को रविवार रात को ही गोपालगंज के पंचदेवरी प्रखंड के चक्रपाण गांव पहुचा दिया गया था. उम्मीद की जा रही थी कि पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव भी सुबह यहां पहुंचेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
गंगोत्री देवी के परिजनों को भी उम्मीद थी कि बुआ के अंतिम संस्कार में उनके भतीजे तेजस्वी और तेजप्रताप यादव जरूर शामिल होंगे, लेकिन वो नहीं पहुंचे. दोनों के आने की उम्मीद में गंगोत्री देवी के परिजनों ने शव को पैत्रिक घर में रखकर घंटों उनका इंतजार किया, लेकिन इंतजार के बाद भी दोनों भतीजे नहीं पहुंचे. कई घंटे इंतजार करने के बाद गंगोत्री देवी के शव को उनके सबसे छोटे बेटे बैरिस्टर यादव ने मुखाग्नि दी.
यहां शव के पहुंचने के बाद ही गांव में मातम पसर गया था. कड़ाके की ठंड के बावजूद उनके अंतिम दर्शन के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग उनके पैत्रिक घर पर पहुंच गए थे. लालू यादव की भतीजी और गंगोत्री देवी की बेटी निर्मला देवी के मुताबिक उनकी मां की उम्र 70 साल थी. तेजस्वी और तेजप्रताप को यहां आना था, लेकिन मौसम की वजह से वो यहां नहीं आ सके. गंगोत्री देवी लालू यादव को सजा सुनने के बाद से ही सदमे में थीं. उन्होंने बताया कि रात को उठकर वो लालू यादव से फोन पर बात करने की जिद करती थीं. इसी सदमे में उनका देहांत हो गया.
वहीं कटेया की पूर्व विधायक किरण राय के मुताबिक गंगोत्री देवी को अपने भाई लालू यादव से बहुत लगाव था. वे बार-बार सफाई दे रही थीं कि उनका भाई चोर नहीं है, लेकिन सजा के बाद से ही वो उदास और सदमे में थीं. और इस सदमे से उबर नहीं पाई थीं. यहां हैरानी करने वाली बात यह थी कि गंगोत्री देवी के अंतिम संस्कार में आरजेडी का कोई बड़ा या जिलास्तर का नेता भी शामिल नहीं हुआ.