
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए और महागठबंधन में नेताओं के दलबदल का सिलसिला शुरू हो गया है. एनडीए हो या फिर महागठबंधन, दोनों तरफ खलबली मची हुई है. एक तरफ जहां एनडीए में जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) को झटका देते हुए बिहार सरकार के मंत्री श्याम रजक ने आरजेडी का दामन थाम लिया है तो वहीं दूसरी तरफ आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के चार विधायकों ने पार्टी छोड़ दी है. इनमें से तीन ने जेडीयू का दामन थाम लिया है.
आरजेडी के जिन चार विधायकों ने पार्टी छोड़ी है उनके नाम महेश्वर यादव, अशोक राम, प्रेमा चौधरी और फराज फातमी हैं. फराज फातमी को छोड़कर तीन अन्य विधायकों ने जेडीयू का दामन थाम लिया है. दल बदल के हिसाब से देखें तो अब तक सबसे ज्यादा नुकसान महागठबंधन में देखने को मिल रहा है.
महागठबंधन के लिए बुरी खबर यह भी है कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा पार्टी भी जल्द ही महागठबंधन से अलग होकर जेडीयू के साथ गठबंधन करने वाली है. इस बात के संकेत मिले हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत हो चुकी है.
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माना जा रहा है कि 20 अगस्त को कोर कमेटी की बैठक के दौरान जीतन राम मांझी महागठबंधन से अलग होने का फैसला लेंगे. इसके बाद वह जेडीयू के साथ गठबंधन कर सकते हैं. राजनीतिक गलियारों में नीतीश और मांझी का दोबारा हाथ मिलाना तय माना जा रहा है.
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इस लिहाज से देखें तो महागठबंधन के लिए बिहार विधानसभा चुनाव से पहले की स्थिति कुछ बहुत ज्यादा बेहतर नहीं दिख रही है. जीतन राम मांझी का महागठबंधन से अलग होना महागठबंधन के दलित वोट बैंक पर असर डाल सकता है क्योंकि महागठबंधन में दलित का चेहरा केवल जीतन राम मांझी ही थे.