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नीतीश का दावा कितना सही? लालू राज के मुकाबले बढ़ गया क्राइम का ग्राफ

बिहार में लालू यादव की सरकार के आखिरी साल 2004 में अपराध के कुल 1,15,216 मामले दर्ज हुए थे, जबकि नीतीश कुमार की सरकार में 15 साल बाद, साल 2019 में कुल अपराध के आंकड़े बढ़कर 2,69,096 हो गए, यानी दोगुने से भी ज्यादा.

नीतीश राज में लालू राज के मुकाबले अपराधों की संख्या में दोगुना से अधिक वृद्धि हुई है नीतीश राज में लालू राज के मुकाबले अपराधों की संख्या में दोगुना से अधिक वृद्धि हुई है
उत्कर्ष कुमार सिंह
  • पटना,
  • 17 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 7:46 PM IST
  • बिहार देश के सबसे अधिक असुरक्षित राज्यों में से एक है
  • नीतीश राज में लालू यादव के मुकाबले ज्यादा अपराध हुए हैं

रूपेश सिंह हत्याकांड के बाद बिहार की कानून व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है. अपराधी अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं और सूबे के मुखिया नीतीश कुमार से लेकर DGP एस के सिंघल तक हर कोई बस यही दावा कर रहा है कि सब कुछ बढ़िया है. नीतीश कुमार से बिहार में बढ़ते अपराध पर जब भी सवाल किए जाते हैं तो उनके पास सिर्फ एक ही जवाब होता है- '2005 से पहले क्या स्थिति थी?'

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नीतीश कुमार 15 साल सरकार चलाने के बाद भी अपनी उपलब्धियां बताने से ज्यादा ये साबित करने की कोशिश करते हैं कि उनसे पहले लालू-राबड़ी शासन काल में हालात बदतर थे. कुछ दिनों पहले ही मीडिया के सवालों पर भड़के नीतीश कुमार ने दावा किया कि अपराध के मामलों में बिहार देश में 23वें नंबर पर आता है. लेकिन NCRB का डेटा कहता है कि 2019 में देश भर में हुए अपराधों में से 5.2 फीसदी अपराध बिहार में दर्ज हुए. इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, गुजरात, मध्यप्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के बाद बिहार का ही नंबर आता है. यानी नीतीश कुमार का दावा झूठा साबित होता दिख रहा है.

बिहार देश में सबसे अधिक क्राइम होने वाले राज्यों में से एक है

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इतना ही नहीं, नीतीश कुमार हर बार ये दावा करते हैं कि लालू-राबड़ी के शासनकाल के मुक़ाबले उनकी सरकार में अपराध कम हुए हैं. हालांकि, नीतीश कुमार के दावों के इतर बिहार पुलिस के आंकड़े कुछ और ही गवाही देते हैं. बिहार पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर 2004 (लालू काल) से लेकर 2019 (नीतीश काल) तक के आपराधिक आंकड़े मौजूद हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक बिहार में लालू यादव की सरकार के आखिरी साल 2004 में अपराध के कुल 1,15,216 मामले दर्ज हुए थे, जबकि नीतीश कुमार की सरकार में 15 साल बाद 2019 में अपराध के आंकड़े घटने की बजाय (जैसा कि उनके द्वारा दावा किया जाता है) बढ़कर 2,69,096 हो गए, यानी दोगुने से भी ज्यादा.

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बिहार में कुल अपराध मामलों की संख्या लगातार बढ़ती रही है

अपराध के बढ़ते आंकड़ों पर पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय ने बढ़ती जनसंख्या को भी जिम्मेदार ठहराया था. कुछ और लोगों की भी ये ही दलील है कि अगर जनसंख्या बढ़ेगी तो अपराधों की संख्या भी बढ़ेगी. अब जरा बिहार की जनसंख्या पर गौर करिए, 2001 की जनगणना के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 8,28,78,796 थी. जो 2011 की जनगणना के मुताबिक बढ़कर 10,38,04,637 हो गई. अगली जनगणना 2021 में होनी है, लेकिन माना जाता है कि फिलहाल बिहार की आबादी 12-13 करोड़ है. यानी 2004 से 2019 के बीच बिहार की आबादी करीब 50 फीसदी की दर से बढ़ी है, लेकिन इसी दौरान बिहार में अपराध 133 फीसदी की दर से बढ़े हैं.

आंकड़े बता रहे हैं कि नीतीश सरकार में लालू यादव के शासनकाल के मुकाबले अपराध दोगुने से भी ज़्यादा बढ़े हैं लेकिन नीतीश कुमार अपनी सरकार में बेहतर कानून व्यवस्था के दावे कर रहे हैं.

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