
केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने गरीब सवर्णों के लिए भी 15 फीसदी आरक्षण देने की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि प्रमोशन में आरक्षण के लिए भी सरकार सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेगी और अगर न्यायपालिका के जरिए इसका रास्ता नहीं खुलता है, तो सरकार इसके लिए भी अध्यादेश लाएगी.
न्यायपालिका में आरक्षण की मांग रामविलास पासवान पहले ही कर चुके हैं. उनकी पार्टी लगातार इस बात की मांग करती आ रही है कि हाल में सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जातियों के बारे में जो फैसला दिया है, उसे अगर पुनर्विचार याचिका के बाद भी बदला नहीं जाता है, तो सरकार इसके लिए भी अध्यादेश लाएगी. प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने की मांग रामविलास पासवान लंबे समय से करते आ रहे हैं. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की वजह से यह बहुत दिनों से रुका हुआ है और इसे ठीक करने की जरूरत है.
उच्च न्यायालय में आरक्षण की मांग करते हुए पासवान ने कहा कि जजों की बहाली का वर्तमान तरीका ठीक नहीं है और इसके लिए इंडियन जुडिशियल सर्विस का गठन होना चाहिए. साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले दलितों को लेकर राजनीति गर्म होती जा रही है और हर पार्टी खुद को दलितों का सबसे बड़ा मसीहा साबित करने में लगी हुई है. विपक्ष लगातार सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रहा है और कह रहा है कि यह सरकार आरक्षण खत्म करने में लगी है.
वहीं, दलितों की रक्षा करने वाले कानून को कमजोर होने से विपक्ष सुप्रीम कोर्ट में नहीं रोक सका, लेकिन सरकार को इस बात की भी चिंता है कि दलितों को खुश करने के चक्कर में कहीं सवर्ण नाराज न हो जाएं. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में सवर्णों में बड़ी संख्या में बीजेपी और एनडीए को वोट दिया था. इसी बीच रामविलास पासवान ने अब दलितों को आरक्षण जारी रखने के साथ-साथ प्रमोशन में आरक्षण देने और गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की बात कहकर एक नया दांव चल दिया है.