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राजभवन की जांच रिपोर्ट के बावजूद विश्वविद्यालय ने नहीं की कार्रवाई

जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि किराए के भवन में चल रहे आर्केड बिजनेस कॉलेज को विश्वविद्यालय के अधिनियमों को ताक पर रख कर विश्वविद्यालय द्वारा स्थाई सम्बंद्धन देने की अनुशंसा कर दी गई थी, लेकिन राज्य सरकार के पास से इस संबंध में कोई अनुमति प्राप्त नहीं हुई.

आर्केड बिजनेस कॉलेज आर्केड बिजनेस कॉलेज
सुजीत झा
  • पटना,
  • 04 जुलाई 2017,
  • अपडेटेड 10:33 PM IST

बिहार में शिक्षा में हो रही गड़बड़ियों के लिए वही जिम्मेदार हैं जिन पर शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी है. अब नया खुलासा ये है कि मगध विश्वविद्यालय के अधिकारियों की मिलीभगत से पटना के एक निजी शिक्षण संस्थान को फायदा पहुंचाने के लिए सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि आर्केड एजूकेशनल ट्रस्ट के अंतर्गत चलने वाले आर्केड बिजनेस कॉलेज के राजेन्द्र नगर और खगौल स्थित महाविद्यालयों में विश्वविद्यालय नियमों को ताक पर रख कर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

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इस मामले में राजभवन द्वारा गठित जांच समिति ने रिपोर्ट में लिखा है कि महाविद्यालय द्वारा स्थायी संबंधन विषयक प्रचार, भ्रम तथा धोखे की स्थिति को वर्णित करता है. इस विषय में महाविद्यालय पर समुचित कार्रवाई होनी चाहिए. जांच समिति के सदस्य आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के प्रो. वी.सी. एस. एम. करीम और मगध विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार नलिन शास्त्री ने घोटाले की जांच की. जिसमें कई गंभीर आरोपों की पुष्टि की है. लेकिन अभी तक विश्वविद्यालय ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि किराए के भवन में चल रहे आर्केड बिजनेस कॉलेज को विश्वविद्यालय के अधिनियमों को ताक पर रख कर विश्वविद्यालय द्वारा स्थाई सम्बंद्धन देने की अनुशंसा कर दी गई थी, लेकिन राज्य सरकार के पास से इस संबंध में कोई अनुमति प्राप्त नहीं हुई. आर्केड समूह द्वारा अपने सभी विज्ञापन, ब्रोशर, भवन एवं वेबसाईट पर स्थाई संबंधन प्राप्त होने का दावा किया गया है जो कि छात्रों को भ्रमित करने का प्रयास है. जांच रिपोर्ट में यह पाया गया है कि महाविद्यालय मात्र 5 कट्ठे के किराए के मकान में अवस्थित है. ऐसे में उसे स्थाई सम्बंद्धन नहीं दिया जा सकता. आर्केड द्वारा दिखाए गए एक अन्य किराये के एनेक्सी भवन को जांच दल द्वारा विश्वविद्यालय से स्वीकृत नहीं होने एवं नियमों के प्रतिकूल बताया है.

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जांच रिपोर्ट के अनुसार आर्केड बिजनेस कॉलेज का विश्वविद्यालय अधिनियम की धारा 21(2)(d) के प्रावधान के अंतर्गत सरकार द्वारा स्वीकृति नहीं हुई है. राजभवन की जांच रिपोर्ट के अनुसार आर्केड बिजनेस कॉलेज को मगध विश्वविद्यालय की मिलीभगत से प्रति कोर्स 250-250 सीट पर नामांकन लेने की अनुमति गैरकानूनी रूप से दे दिया गया है. जिसमें किसी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है और ना ही राज्य सरकार से अनुमति ली गई है. विश्वविद्यालय द्वारा बिना इन्फ्रास्ट्रक्चर के और बिना उचित संख्या में शिक्षकों की उपलब्धता के इतने अधिक संख्या में सीटों के आवंटन करने के पूर्व इस बात की परवाह नहीं की गई कि नामांकित छात्रों की पढ़ाई कहां होगी और उन्हें कौन शिक्षक पढ़ाएंगे. इस तरह संस्थान में पार्ट-वन, पार्ट-टू और पार्ट-थ्री में पढ़ रहे सभी कोर्सों को मिला कर कुल 2500 से अधिक छात्रों का नामांकन लिया जा रहा है. जिनको पढ़ाने की व्यवस्था का निरीक्षण विश्वविद्यालय द्वारा नहीं किया गया है. ऐसे में यह डिग्री बेंचने की दुकान की तरह चलाया जा रहा है. जांच रिपोर्ट के अनुसार आरोपी संस्थान में गैरकानूनी रूप से प्रति छात्र लाखों रुपए की फीस ली जा रही है जो कि राजभवन द्वारा निर्धारित शुल्क से कई गुणा अधिक है.

पटना के राजेन्द्र नगर और सगुण मोड़ पर चल रहे आर्केड बिजनेस कॉलेज के दो महाविद्यालयों में वर्षो से मिलीभगत से छात्रों को डिग्री दिलाने का खेल चल रहा है. 1998 से चल रहे आर्केड बिजनेस कॉलेज को महाविद्यालय की अपनी भूमि और भवन नहीं होने पर भी सम्बंद्धन दिया गया है जबकि इस तरह के अस्थाई सम्बंद्धन को 4 वर्ष से अधिक तक नहीं दिया जा सकता. बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम के मुताबिक सम्द्धन ले रहे निजी महाविद्यालय अथवा संस्थान के पास शहरी क्षेत्र में कम से कम 5 एकड़ अथवा ग्रामीण क्षेत्र में 10 एकड़ भूमि होनी चाहिए.

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दोषियों को बचाने के प्रयास में जुटा विश्वविद्यालय प्रशासन

राजभवन की जांच रिपोर्ट में दर्ज भारी अनियमितताओं के मामले के उजागर होने के बाद से मगध विश्वविद्यालय के अधिकारीयों के बीच हडकंप मच गया है. इस मामले में कई वर्तमान एवं पूर्व के अधिकारियों की सहभागिता की बात सामने आ रही है. अब विश्वविद्यालय के ऊपर दोषी संस्थान और उसे लाभ पहुंचाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने का दवाब है.

 

विश्वविद्यालय द्वारा मामले को दबाने का बहुत प्रयास भी किया जा रहा है परन्तु राजभवन की जांच रिपोर्ट आ जाने के पश्चात अब कानूनी कार्रवाई करना मजबूरी होगी. अभी तक विश्वविद्यालय द्वारा इस संदर्भ में आर्केड संस्थान पर कोई कार्रवाही नहीं की गई है. विश्वविद्यालय द्वारा बार-बार महाविद्यालय को स्पष्टीकरण देने के लिए समय दिया जा रहा है.

 

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