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बिहार के पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन (Former MP Anand Mohan) के बड़े बेटे चेतन आनंद की शादी देहरादून में 3 मई को होने वाली है. इससे पहले पटना में 24 अप्रैल को सगाई होगी, जिसमें बड़े नेताओं सहित बिहार के सीएम नीतीश कुमार व अन्य तमाम मंत्री शामिल हो सकते हैं. इस हाई प्रोफाइल शादी की तैयारियां जोरों पर हैं.
जेल से बाहर आने के बाद आनंद मोहन ने आजतक से खास बातचीत की. आनंद मोहन ने बताया कि उनकी बहू आयुषी सिंह डॉक्टर हैं. फिलहाल वो जयपुर के निम्स में काम कर रही हैं. इसी के साथ आगे की भी पढ़ाई कर रही है .
आनंद मोहन ने बताया कि उनकी होने वाली बहू को उनकी पत्नी लवली आनंद ने पसंद किया है. उनकी पत्नी ने जब उनकी बहू के बारे में बताया तो वे खुश हो गए थे.
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मैं जल्द रिहा हो जाऊंगा: आनंद मोहन
आनंद मोहन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वह जल्द ही रिहा हो जाएंगे. फिलहाल तो मैं अपने बेटे की शादी के लिए पैरोल पर बाहर आया हूं. पूर्व सांसद आनंद मोहन ने कहा कि वह बेटे की शादी में दहेज नहीं लेंगे. उन्होंने कहा कि वह शुरू से ही दहेज के खिलाफ हैं. जब मैंने शादी की थी तब भी दहेज नहीं लिया था.
चेतन की शादी में शामिल होंगे कई नेता
चेतन आनंद के सगाई कार्यक्रम में बिहार के सभी एमएलए, एमएलसी व मंत्री शामिल होंगे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी पहुंचेंगे. एक जमाने में आनंद मोहन के जानी दुश्मन रहे पप्पू यादव भी शादी समारोह में शामिल होंगे. आनंद मोहन अपने बड़े बेटे और राजद विधायक चेतन आनंद की शादी के लिए पैरोल पर बाहर आए हैं.
15 फरवरी को हुई थी आनंद की बेटी की शादी
इसी साल 15 फरवरी को पूर्व सांसद आनंद मोहन की बेटी सुरभि आनंद की शादी हुई थी. सुरभि की शादी में बिहार के सीएम नीतीश कुमार, जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह, बिहार सरकार में मंत्री विजय चौधरी सहित अन्य पार्टियों के नेता भी पहुंचे थे.
कौन है आनंद मोहन सिंह
कोसी की धरती पर पैदा हुए आनंद मोहन सिंह बिहार के सहरसा जिले के पचगछिया गांव के रहने वाले हैं. उनके दादा राम बहादुर सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे. राजनीति से उनका परिचय 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन के दौरान हुआ. इसके लिए उन्होंने अपना कॉलेज तक छोड़ दिया. इमरजेंसी के दौरान उन्हें 2 साल जेल में भी रहना पड़ा. कहा जाता है कि आनंद मोहन सिंह ने 17 साल की उम्र में ही अपना सियासी करियर शुरू कर दिया था.
राजनीति में ऐसे रखा था कदम
साल 1990 में जनता दल (JD) ने उन्हें माहिषी विधानसभा सीट से मैदान में उतारा था. इसमें उन्हें जीत मिली थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, विधायक रहते हुए भी आनंद एक कुख्यात सांप्रदायिक गिरोह के अगुआ थे, जिसे उनकी 'प्राइवेट आर्मी' कहा जाता था. ये गिरोह उन लोगों पर हमला करता था जो आरक्षण के समर्थक थे. 5 बार लोकसभा सांसद रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के गैंग के साथ आनंद मोहन की लंबी अदावत चली. उस वक्त कोसी के इलाके में गृह युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई थी. जब सत्ता में बदलाव हुआ खासकर 1990 में, तो राजपूतों का दबदबा बिहार की राजनीति में कम हो गया था.