Advertisement

कौन हैं बिहार में दफनाए गए अंतिम मुस्लिम कश्मीरी शासक? जिनकी कब्र पर पहुंचीं महबूबा मुफ्ती

यूसुफ शाह चक ने 1579 से 1586 तक कश्मीर पर शासन किया और वह स्वतंत्र कश्मीर के अंतिम मुस्लिम शासकों में से एक थे. यूसुफ अपने पिता अली शाह चक के उत्तराधिकारी बने, जिन्होंने मरने से पहले यूसुफ को ताज पहनाया था. वहीं, महबूबा मुफ्ती आज यूसुफ शाह की कब्र पर पहुंचीं. उन्होंने ट्वीट किया कि यूसुफ शाह की कब्र कश्मीर और बिहार के बीच संबंधों का प्रतीक है. लेकिन दुर्भाग्य से यह पूरी तरह से जर्जर और खंडहर हो चुका है. उन्होंने नीतीश कुमार से अपील की कि इसे संरक्षित किया जाए.

महबूबा मुफ्ती ने बिहार में यूसुफ शाह चक की कब्र पर चादर चढ़ाया महबूबा मुफ्ती ने बिहार में यूसुफ शाह चक की कब्र पर चादर चढ़ाया
aajtak.in
  • पटना,
  • 22 जून 2023,
  • अपडेटेड 9:59 PM IST

पटना में 23 जून यानी शुक्रवार को विपक्षी दलों की बड़ी बैठक होने जा रही है. इसके लिए विपक्षी दलों के नेता पटना पहुंचने लगे हैं. इस मेगा मीटिंग से पहले जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ( PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती बिहार के नालंदा में यूसुफ शाह चक की कब्र पर गईं.

महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया कि बिहार में यूसुफ शाह चक की कब्र पर फूल चढ़ाए. कश्मीर के अंतिम मुस्लिम शासक का विश्राम स्थल (कब्र) कश्मीर और बिहार के बीच संबंधों का प्रतीक है. लेकिन दुर्भाग्य से यह पूरी तरह से जर्जर और खंडहर हो चुका है. उन्होंने कहा कि मेरी नीतीश कुमार जी से अपील है कि इतिहास के इस अवशेष को संरक्षित करने के लिए कदम उठाएं.

Advertisement

कौन हैं यूसुफ शाह चक?

यूसुफ शाह चक ने 1579 से 1586 तक कश्मीर पर शासन किया और वह स्वतंत्र कश्मीर के अंतिम मुस्लिम शासकों में से एक थे. यूसुफ अपने पिता अली शाह चक के उत्तराधिकारी बने, जिन्होंने मरने से पहले यूसुफ को ताज पहनाया था. यूसुफ ने 1579 में अपने चाचा अब्दाल चक सहित सभी विरोधियों को हराने के बाद राज्य पर कब्ज़ा कर लिया था.

जब कश्मीर पर मुगलों ने आक्रमण किया

जब 1586 में मुगलों ने कश्मीर पर हमला किया, तो युवा राजा यूसुफ शाह चक बहादुरी के साथ मुगलों से लड़ने के लिए खड़े हो गए. यूसुफ शाह ने  मुगलों की सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी. लंबा संघर्ष चला. इस लड़ाई में कश्मीरियों ने अपने राजा का पूरी बहादुरी से साथ दिया. हालांकि संख्या बल ज्यादा होने और बेहतर सैन्य कौशल होने के बावजूद मुगल सेना यूसुफ शाह को हरा नहीं पाई थी. 

Advertisement

जब मुगल सेना ने यह महसूस किया कि हालात कठिन है और लड़ाई से कोई भी फायदा नहीं होने वाला, तब मुगलों ने अपना लक्ष्य पूरा करने के लिए एक रणनीति बनाई. यूसुफ शाह को शांति वार्ता के लिए आगरा के शाही दरबार में आमंत्रित किया गया था. युवा राजा ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया और अपने मंत्रियों और कमांडरों के मना करने के बावजूद आगरा के लिए रवाना हो गए. यूसुफ शाह ने अपने लोगों को युद्ध की पीड़ा से बचाने के लिए यह कदम उठाया. जहां अकबर ने यूसुफ को कैद कर लिया औऱ दिसंबर 1587 तक कैद में रखा.

अकबर ने यूसुफ को बिहार में किया था निर्वासित

मुगल बादशाह अकबर ने यूसुफ शाह को कैद कर लिया और बाद में उसे बिहार निर्वासित कर दिया. उन्हें नालंदा जिले के इस्लामपुर ब्लॉक में जमीन दी गई और 500 सैनिकों की घुड़सवार सेना रखने की अनुमति दी गई. उस जगह का नाम कश्मीर चक नाम था, जहां मुस्लिम कश्मीरी शासक ने अपना घर बनाया था, 1592 में ओडिशा में उनका निधन हो गया और उनके अवशेषों को कश्मीर चक के करीब बिस्वाक में दफनाने के लिए बिहार भेज दिया गया. 

अकबर ने यूसुफ शाह को क्यों रिहा किया?

1579 में मुग़ल बादशाह अकबर ने यूसुफ़ को ग़लत तरीके से कैद कर लिया था, लेकिन बाद में उन्हें मुक्त कर दिया गया और बिहार के बिस्वाक क्षेत्र में निर्वासित कर दिया गया. दरअसल, मुगल बादशाह अकबर उनकी कला और साहित्य और समझ से प्रभावित थे, जिसने उनकी रिहाई में योगदान दिया.

Advertisement

यूसुफ शाह की कब्र का ये है हाल

स्वतंत्र कश्मीर के अंतिम मुस्लिम राजाओं में से एक यूसुफ शाह चक ने 1579 से 1586 तक कश्मीर पर शासन किया. लेकिन उनकी कब्र की जमीन पर कब्ज़ाधारियों की नजर है. कब्रिस्तान बिस्वाक में 5 एकड़ और कश्मीरी चक में एक एकड़ से अधिक भूमि में फैला है. लेकिन कई सालों तक किसी को नहीं पता था कि यूसुफ शाह, उनकी पत्नी या उनके लड़कों को कहां दफनाया गया था. इसके चारों ओर झाड़ियां हैं. 1977 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला कब्र का दौरा करने गए थे. उनकी यात्रा के बाद कब्रिस्तान को 2.5 किमी दूर बिस्वाक गांव से जोड़ने वाली सड़क का नाम शेख अब्दुल्ला रोड रखा गया था.

(रिपोर्ट- अरविंद मिश्रा)

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement