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एक्टर बनने घर से भागे थे मुकेश सहनी, बन गए बिहार के मिनिस्टर, जानिए VIP प्रमुख का सियासी सफर

कहा जाता है कि मुकेश सहनी ने पैसों के दम पर बिहार की राजनीति में एंट्री मारी थी. 2013 की एक सुबह बिहार में लोगों ने अपने हाथों में अखबार (अंग्रेजी-हिंदी दोनों) उठाया तो उनका सामना 'सन ऑफ मल्लाह- मुकेश सहनी' के चेहरे से हुआ.

बिहार की एनडीए सरकार में मुकेश सहनी ने मंत्री पद की शपथ ली है. बिहार की एनडीए सरकार में मुकेश सहनी ने मंत्री पद की शपथ ली है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2020,
  • अपडेटेड 7:59 PM IST
  • एक्टर बनने का सपना लिए मुंबई भागे थे मुकेश
  • 2014 में भांप ली थी पीएम मोदी की लोकप्रियता
  • चुनाव से पहले तोड़ लिया था महागठबंधन से नाता

बिहार में एक बार फिर नीतीश सरकार ने बागडोर संभाल ली है. इसी कड़ी में सोमवार को नीतीश कुमार 14 मंत्रियों ने पद की शपथ ली. चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन का साथ छोड़ एनडीए में शामिल हुए विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के अध्यक्ष को भी नीतीश की कैबिनेट में मंत्री पद मिला है. कभी एक्टर बनने के लिए घर छोड़कर मुंबई जाने वाले मुकेश सहनी आज बिहार सरकार में मंत्री बने हैं. उनका राजनीतिक सफर की शुरुआत ज्यादा पुरानी नहीं है लेकिन दिलचस्प जरूर है.

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कहा जाता है कि मुकेश सहनी ने पैसों के दम पर बिहार की राजनीति में एंट्री मारी थी. 2013 की एक सुबह बिहार में लोगों ने अपने हाथों में अखबार (अंग्रेजी-हिंदी दोनों) उठाया तो उनका सामना 'सन ऑफ मल्लाह- मुकेश सहनी' के चेहरे से हुआ. यह ऐसा नाम था जिसके बारे में उन दिनों लोग कम ही जानते थे. उस विज्ञापन के बाद अखबारों में मुकेश का एक और विज्ञापन छपा जिसमें उनका मोबाइल नंबर भी शेयर किया गया था. इसके बाद अखबारों, सोशल मीडिया और बिहार की जनता के बीच 'सन ऑफ मल्लाह' का बोलबाला बढ़ता चला गया.

चुनाव से पहले महागठबंधन से तोड़ा नाता

मुकेश सहनी की किस्मत का साथ कहें या फिर सही फैसला. उन्होंने  2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले महागठंधन का साथ छोड़ दिया था. उन्होंने तेजस्वी यादव पर पीठ में छूरा भोंकने का आरोप लगाते हुए कम सीटें देने की बात कही थी. महागठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनकी पार्टी ने हंगामा भी किया थी. बाद में वह एनडीए के साथ आ गए जिसके बाद बीजेपी ने अपने खाते से उन्हें 11 सीटें दीं और चार सीटों पर वीआईपी के उम्मीदवारों को जीत भी मिली.

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एक्टर बनने घर से भागे थे मुकेश

19 साल की उम्र में मुकेश घर से भागकर कुछ बड़ा काम करने का सपना लेकर मुंबई चले गए थे. शुरुआत में मुकेश ने एक सेल्समैन की नौकरी भी की. इसी दौरान मुकेश के दिमाग में फिल्मों, टीवी सीरियल्स और शो के सेट बनाने के बिजनेस का आइडिया आया. मुकेश ने जब इस फील्ड में मेहनत की तो किस्मत ने भी उनकी मदद की.

मुकेश के लिए सबसे बड़ा मौका उस वक्त आया जब, नितिन देसाई ने उनको 'देवदास' का सेट बनाने का काम दिया. इस धंधे में शुरुआती सफलताएं मिलने के बाद उन्होंने 'मुकेश सिनेवर्ल्ड प्राइवेट लिमिटेड' (एमसीपीएल) नाम की कंपनी भी बनाई. अपनी मेहनत के दम पर मुकेश ने महज कुछ ही समय में खूब नाम और पैसा कमाया. जिसके बाद उन्होंने राजनीति में हाथ आजमाने का निश्चिय किया.

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2018 में मुकेश ने बनाई अपनी पार्टी

मुकेश सहनी ने 2019 के लोकसभा चुनावों की घोषणा से कुछ महीने पहले ही नवंबर 2018 में अपनी अलग पार्टी की घोषणा की थी. राजनीति में वीआईपी तरीके से एंट्री लेने वाले मुकेश ने अपनी पार्टी का नाम विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) रखा. मुकेश की पार्टी का चुनाव चिन्ह भी उनकी जाति के पेशे से काफी हद तक मेल खाता है. जी हां, पानी में तैरती नाव ही वीआईपी का चुनाव चिन्ह है.

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2019 के चुनावों में पीएम मोदी के 'चाय पर चर्चा' की तरह ही मुकेश ने 'माछ पर चर्चा' कर सुर्खियां बटोरी थीं. उन दिनों मुकेश का नारा हुआ करता था 'माछ भात खाएंगे महागठबंधन को जिताएंगे'. 2019 में मुकेश ने खगड़िया लोकसभी सीट से किस्मत आजमाई थी लेकिन बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था.

सामाजिक जीवन में पहले ही कर चुके थे एंट्री

राजनीति में भले ही मुकेश सहनी की पहचान 2014 के लोकसभा चुनावों में बनी हो लेकिन सामाजिक जीवन में मुकेश सहनी ने 2010 में ही एंट्री कर ली थी. 2010 में मुकेश ने बिहार में साहनी समाज कल्याण संस्थान की स्थापना की थी. उन्होंने अपने दो ऑफिस भी खोले थे, एक दरभंगा में और दूसरा पटना में. इसका इस्तेमाल करते हुए, उन्होंने अपने समाज के लोगों को एकजुट करने और युवाओं को बेहतर शिक्षा का मौका दिया. 2015 में मुकेश ने निषाद विकास संघ की स्थापना की. यह संगठन अपने समाज के लोगों को इकट्ठा करने के लिए जिलेवार काम करता है. 

माना जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले मुकेश सहनी की बढ़ती लोकप्रियता को मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भांप लिया था. दरअसल इसके पीछे सिर्फ उनकी लोकप्रियता ही नहीं जातीय फैक्टर भी था जिसने एनडीए को उन्हें अपने पक्ष में लाने के लिए मजबूर किया. आपको बता दें कि मुकेश मल्लाह जाति के हैं. बिहार में इस समय इनका कोई बड़ा नेता नहीं है. बिहार में मछुआरों व नाविकों की जाति में आने वाले मल्लाह, सहनी, निषाद, बिंद जैसी अति पिछड़ी जातियों की आबादी काफी ज्यादा है और राज्य की 10 से 15 लोकसभा सीटों पर वे निर्णायक भूमिका निभाते हैं. लोकसभा चुनावों में मुकेश साहनी को एनडीए के पक्ष में वोट मांगते देखा गया.

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निषाद नेता के तौर पर मुकेश सहनी की पहचान
इसके बाद 2015 के विधानसभा चुनावों में मुकेश सहनी की राजनीतिक ताकत को पहली बार बड़ी पहचान मिली. उस वक्त उनका नाम एनडीए के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल था. बीजेपी को भरोसा था कि मुकेश सहनी 'सन ऑफ मल्लाह' की वजह से एनडीए को मल्लाहों का वोट जरूर मिलेगा. लालू-नीतीश की एकजुटता से घबराई बीजेपी को मुकेश से काफी आस थी. हालांकि चुनाव परिणाम एनडीए के पक्ष में नहीं आए जिसके बाद एनडीए से मुकेश की दूरियां बढ़ने लगीं. जिसके बाद उन्होंने एकबार फिर मुंबई पर फोकस किया लेकिन लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही फिर से बिहार में वापसी कर ली.

 

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