
केंद्र सरकार (Central Government) ने कहा है कि बिहार (Bihar) देश का सबसे पिछड़ा राज्य है. केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह (Inderjeet Singh) ने लोकसभा (Loksabha) में कहा कि नीति आयोग (Niti Ayog) की रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य है.
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार को 100 में से महज 52 नंबर मिले हैं, जो देश के सभी राज्यों से कम है. अब विपक्ष यह सवाल उठा रहा है कि जब बिहार में पिछले चार सालों से डबल इंजन की सरकार है, तब भी बिहार देश का सबसे पिछड़ा राज्य क्यों है?
जेडीयू सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने प्रश्नकाल के दौरान यह पूछा था कि नीति आयोग की 2020-21 की रिपोर्ट में बिहार को देश का सबसे पिछड़ा राज्य बताया है. अगर यह सही है तो बिहार के पिछड़े होने की वजह क्या है. उन्होंने यह भी पूछा कि बिहार का पिछड़ापन दूर करने के लिए विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग काफी लंबे समय से हो रही है, उस पर केंद्र कब विचार करेगा?
बिहार को 100 में से मिले 52 नंबर
केंद्रीय मंत्री ने अपने लिखित जवाब में कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, 115 क्षेत्रों में बिहार को 100 में से 52 अंक मिले हैं जोकि देश मे सबसे कम हैं. केंद्रीय मंत्री ने अपने जवाब में आगे लिखा कि बिहार के कम स्कोर के लिए गरीबी, 15 वर्ष के ऊपर के लोगो के लिए खराब शिक्षा, मोबाइल और इंटरनेट का कम इस्तेमाल है.
बिहार में 33.74% लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं और अगर वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) की बात करें तो यह फीसदी बढ़कर 52.5 हो जाता है केवल 12.3 % परिवार के लोग हेल्थ इंश्योरेंस के दायरे में हैं. 42 फीसदी 5 वर्ष के कम उम्र के बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. 15 वर्ष से ऊपर के लोगों की साक्षरता 64.7% है.
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने जवाब में आगे कहा है कि बिहार में सबसे कम मोबाइल का इस्तेमाल होता है. 100 लोगो मे महज 50.65 लोग मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. बिहार में केवल 39.99% इंटरनेट का इस्तेमाल बिहार के लोग करते है.
प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि आखिर क्या बात है कि बिहार में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद सभी पैरामीटर में बिहार फिसड्डी है. 14वीं वित्त आयोग के सिफारिश के मुताबिक सामान्य कैटेगरी और विशेष कैटेगरी के राज्य में कोई भेद नहीं किया है. केंद्र सरकार ने बताया कि 14वीं वित्त आयोग ने 2015 -20 के लिए केंद्रीय कर में राज्यों का शेयर 32 फीसदी से बढ़ा कर 42 फीसदी करने की सिफारिश की थी, जिसे केंद्र सरकार ने पूरा कर दिया है ताकि राज्य विकास की गति को तेज कर सके.