
बिहार के कटिहार में एक बुजुर्ग महिला को कफन नसीब होने में 48 घंटे लग गए. पिछड़ी जाति से आने वाली उस महिला को सरकार भी दो गज कफन उपलब्ध नहीं करा पाई और आखिर में लोगों को चन्दा करके उसका अंतिम संस्कार करना पड़ा.
कटिहार के कुर्सेला ब्लॉक के एक गांव यादव टोला की रहने वाली बुजुर्ग महिला की 20 जनवरी को मौत हो गई. अत्यंत गरीब परिवार के पास उसके अंतिम संस्कार के लिए भी पैसे नहीं थे. गांव के लोगों ने सरकारी मदद की आस में पंचायत से लेकर BDO तक का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिल पाई.
बिहार सरकार ने किसी गरीब की मौत होने पर उनके दाह संस्कार के लिए पंचायत के फंड से तत्काल 1500 रुपये दिए जाने का प्रावधान कर रखा है. इस महिला का नाम बीपीएल सूची में दर्ज था, लेकिन इसके बावजूद इसे कोई सहायता नहीं मिला. इसके वजह पीछे वजह यह रही कि यह महिला दलित नहीं बल्कि पिछड़ी जाति से आती है.
कुर्सेला प्रखंड की बीडीओ से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने पहले तो घटना की जानकारी होने से ही इनकार कर दिया. फिर जोर डालने पर घटना की सूचना की बात तो मानी, लेकिन मृतिका के अंत्योष्टि के लिए सरकारी मदद देने का आश्वासन देकर अपना पल्ला झाड़ लिया.
वहीं पंचायती राज व्यवस्था के पास से जो जानकारी मिली, वो चौकाने वाली है. अंतिम संस्कार के लिए रुपया मुहैया कराने वाले पंचायत के मुखिया और सचिव का कहना है कि फंड में एससी के लिए रुपया है, लेकिन पिछड़ी जाति के लिए ऐसा प्रावधान नहीं.
इसके बाद इन सारी जगहों की खाक छानने के बाद आखिरकार गांव के लोगों ने ही खुद चंदा कर महिला का अंतिम सरकार किया.