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नक्सली इलाकों में जवानों को राहत: देर रात हेलीपैड पर उतर सकेंगे हेलिकॉप्टर

नक्सल प्रभावित क्षेत्र, जहां घने जंगल हैं और पथरीला रास्ता है, वहां पर विशेष ऑपरेशन, मुठभेड़ या आईईडी ब्लास्ट में घायल हुए सीआरपीएफ व अन्य बलों के योद्धाओं को एयर एंबुलेंस के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब ऐसे हेलीपैड बनाए गए हैं, जहां पर रात के समय भी हेलीकॉप्टर उतर सकता है.

सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर
जितेंद्र बहादुर सिंह
  • रायपुर,
  • 21 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 8:09 PM IST
  • रात को अंधेरे में भी अस्पताल पहुंचाए जा सकेंगे घायल जवान
  • झारखंड, छत्तीसगढ़ में बनाए गए हैं नाइट हेलीपैड

नक्सल प्रभावित इलाकों में ऑपरेशन करने साथ ही उस दौरान घायल जवानों को वापस लाने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में नाइट हेलीपैड की सुविधाएं विकसित की है. अलग-अलग राज्यों में 20 से अधिक नाइट हेलीपैड बनाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल ऑपरेशन के दौरान किया जाएगा. 

गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ व अन्य बलों के जवानों को अब एयर एंबुलेंस के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा. अब ऐसे हेलीपैड विकसित किए गए हैं, जो रात के समय में भी संचालित किए जा सकते हैं. 

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इन राज्यों में बनाए गए हैं हेलीपैड
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आजतक के साथ खास बातचीत में कहा कि रात में भी संचालित होने वाले हेलीपैड छत्तीसगढ़ में 13, झारखंड में 3 और ओडिशा में 4 तैयार किए गए हैं. अधिकारी ने कहा कि आने वाले वक्त में इन हेलीपैड्स की संख्या और बढ़ाई जाएगी. 

अधिकारी ने कहा कि जिस तरह से नक्सल प्रभावित इलाकों में गृह मंत्रालय द्वारा सुरक्षाबलों की मौजूदगी को बढ़ाया जा रहा है. ऐसे में हेलीपैड का होना बहुत जरूरी है, ताकि ऑपरेशन के दौरान अगर कोई जवान हताहत होता है तो उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया जा सके. उन्होंने कहा कि वर्तमान में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में घायल जवानों को रात के वक्त अस्पताल तक पहुंचाना मुश्किल होता है. ऐसे में यह हेलीपैड काफी सहायक साबित होंगे.

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बता दें कि वर्तमान में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में ऑपरेशन के दौरान घायल जवानों को बहुत परेशानी हो रही थी. रात के अंधेरे में सेना का हेलिकॉप्टर ऑपरेशन वाली जगह पर न उतरने के कारण कई बार सीआरपीएफ के जवानों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है. 

पिछले दिनों सीआरपीएफ कोबरा के असिस्टेंट कमांडेंट वैभव विभोर, नक्सलियों के IED हमले में बुरी तरह जख्मी हो गए थे. औरंगाबाद बिहार के मदनपुर थाना क्षेत्र में विभोर के जवान सुरेंद्र कुमार भी घायल हुए थे. जिस वक्त जंगल में सीआरपीएफ का ऑपरेशन चल रहा था, वहां आसपास के किसी भी बेस पर हेलीकॉप्टर मौजूद नहीं था. गया तक पहुंचने के लिए घायलों को एंबुलेंस में कई घंटे का सफर करना पड़ा. जब ये एंबुलेंस गया पहुंची तो रात को हेलीकॉप्टर उड़ाने की मंजूरी नहीं मिली. ऐसे में घायलों को 19 घंटे बाद दिल्ली एम्स में लाया गया. नतीजा, सहायक कमांडेंट विभोर को अपनी दोनों टांगे गंवानी पड़ी. इसके साथ ही जवान के हाथ की उंगलियां भी काटनी पड़ी.

सूत्रों के मुताबिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अब इस तरह की परेशानी न हो इसलिए खास हेलीपैड को विकसित किया गया है और आने वाले दिनों में दूसरे राज्यों में जो कि नक्सल प्रभावित है वहां पर इनकी संख्या और ज्यादा बढ़ाई जाएगी.

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